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कल्पवास मेलाः नीतीश कुमार ने कहा- बिहार का 'हरकी पौड़ी' बनेगा सिमरिया घाट, ब्लूप्रिंट तैयार

कल्पवास मेलाः नीतीश कुमार ने कहा- बिहार का 'हरकी पौड़ी' बनेगा सिमरिया घाट, ब्लूप्रिंट तैयार



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एजेंसी डेस्क : बिहार के बेगूसराय का सिमरिया में गंगा घाट का विकास हरकी पौड़ी की तर्ज पर किया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए यहां सभी प्रकार की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके तहत सिमरिया में गंगा नदी के घाट पर स्नानागार चेंजिंग रूम बनाए जाएंगे।इसका ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। 

बुधवार को बेगूसराय पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की। सीएम ने उम्मीद जताई कि अगले कल्पवास मेला के पहले सभी तरह का निर्माण कार्य पूरा कर लिए जाएंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग 30 मिनट तक सिमरिया में गंगा घाट पर समय बिताया सीएम ने अपने भ्रमण में पूरे घाट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने निर्माण कार्य से संबंधित ब्लूप्रिंट का अवलोकन भी किया।

सीएम ने देखा नक्शा,,,,,

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दोनों पुलों के बीच में सिमरियाधाम में स्थायी स्नान घाट, चेजिंग रूम, ठरहने की आदि की व्यवस्था रहेगी। पुल से पूरब मुक्तिधाम बनेगा। मुक्तिधाम में बिजली के साथ साथ लकड़ी से भी शव जलाने की मुकम्मल व्यवस्था होगी। 

सीएम ने सूबे के वित्त मंत्री विजय चौधरी व जल संसाधन मंत्री संजय झा, मटिहानी विधायक राज कुमार सिंह की मौजूदगी में सिमरिया धाम के विकास के लिए तैयार ब्लू प्रिंट पर सबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ करीब दस मिनट तक विचार-विमर्श भी किया। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता ने नजरी नक्शा के जरिये सिमरियाधाम में क्रियान्वित होने वाली विकास योजनाओं के लिए स्थल को चिह्नित करते हुए अपेक्षित जानकारी दी। 

देश भर से आते हैं श्रद्धालु,,,,,

कल्पवास मेले में बिहार ही नहीं बल्कि कई राज्यों और नेपाल के श्रद्धालु आते हैं और एक माह तक गंगा तट पर पर्णकुटी बनाकर रहते हैं। कार्तिक महीने में चलने वाले कल्पवास मेले में गंगा सेवन कर पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि सिमरिया में आदि काल से ही कल्पवास मेले का आयोजन किया जाता रहा है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए गंगाघाट पर एक माह तक कल्पवास में रहकर जत तप किया जाता है। 

कोरोना के कारण दो साल बाद आयोजित मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा किनारे पहुंच रहे हैं और अपनी अपनी कुटिया बना रहे हैं। निममितअनुशासन और श्रद्धा के साथ यहां पहुंचे श्रद्धालु सुबह में गंगा स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं और दिन भर भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। कहा जाता है कि यहां सांसारिक मोह-माया छोड़ कर लोग आता हैं।

राजकीय मेला का दर्जा,,,,,

कल्पवास मेले को सरकार की ओर से राजकीय मेले का दर्जा दिया गया है। मेले के आयोजन में जिला प्रशासन की बड़ी भूमिका होती है। उनकी ओर से सुरक्षा के लिए सैकड़ों पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाती है। मेले में ठहरने की सुविधा के साथ शौचालय, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवा, समेत कई सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है।

श्रीराम ने रात्रि में किया था विश्राम,,,,,

मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब सीताजी से विवाह कर मिथिला से अयोध्या जाने के समय सिमरिया में गंगा घाट किनारे ठहरे थे। भगवान ने पर्णकुटी बनाकर यहां रात्रि विश्राम किया था। उसी समय से यहां कल्पवास किया जाता है। कालांतर में यहां मेला लगने लगा। नेपाल समेत देश के कई राज्यों से श्रद्धालु और मठ के मंहत यहां आते हैं और कुटिया बनाकर रहते हैं। बुर्जुग श्रद्धालु मोक्ष की कामना करते हैं।

वाराणसी के तर्ज पर गंगाआरती,

सिमरिया कल्पवास मेला के दौरान मां गंगा की आरती की जाती है। यहां उत्तर प्रदेश के वाराणसी की तरह भव्य गंगा महाआरती का आयोजन किया जाता है। महाआरती के समय पूरे मेला परिसर और गंगा तट की छटा आध्यात्म और भक्ति से भर जाती है।

मुख्यमंत्री मंत्री अन्य मंत्रियों के साथ हेलिकॉप्टर से एनटीपीसी बरौनी स्थित हैलीपेड पर उतरे। सीएम सड़क मार्ग से सीधे राजकीय कल्पवास मेला क्षेत्र स्थित अखिल भारतीय चतुर्भुजी खालसा पहुंचे। वहां पर महामंडलेश्वर रामउदित झा उर्फ मौनी बाबा के नेतृत्व में साधु-संतों ने पाग, चादर व मखाना का माला पहनाकर अभिवादन किया। स्वास्तिक वाचन के साथ मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया।