एजेंसी डेस्क :(पुण्यतिथी विशेष) वाराणसी: देश को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसा संस्थान देने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय की आज 12 नवंबर पुण्यतिथि है। 25 दिसंबर, 1861 को इलाहाबाद ( मौजूदा समय में प्रयागराज) में जन्मे महामना ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की।उनका निधन 12 नवंबर, 1946 को हुआ था। वह भारत के पहले व्यक्ति हैं जिन्हें महामना के सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया।
मालवीय जी एक पत्रकार ,समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। मालवीय जी ने अपने जीवन का अर्पण भारत माता की सेवा में किया वह पत्रकारिता, वकालत ,समाज सुधारक के साथ-साथ एक सच्चे देशभक्त भी थे। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद भी मालवीय जी सत्ता से दूर रहें उन्होंने विश्वविद्यालय में अपना समय व्यतीत किया।
1916 में बसंत पंचमी के दिन हुई थी स्थापना,,,,,
भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना एक्ट क्रमांक 16 ,सन 1915 के अंतर्गत की थी। मालवीय जी ने 1916 बसंत पंचमी के दिन विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इस विद्यालय को विभिन्न नामों से भी जाना जाता है बीएचयू,काशी हिंदू विश्वविद्यालय और सर्व विद्या की राजधानी भी कहा जाता हैं।
कहा जाता है कि इस विश्वविद्यालय को मालवीय जी ने चंदा लेकर बनाया था जनवरी 2016 में कुंभ मेले में मालवीय जी ने त्रिवेणी संगम पर देश भर से आए जनता के बीच अपने संकल्प को दोहराया। वहां एक वृद्ध ने मालवीय जी को इस कार्य के लिए सर्वप्रथम एक पैसा चंदे के रूप में दिया था। इसके बाद इस विद्यालय की स्थापना में देश के विभिन्न लोगों ने अपना योगदान दिया जैसे डॉक्टर एनी बेसेंट दरभंगा के राजा रामेश्वर सिंह काशी नरेश प्रभु नारायण सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
महात्मा गांधी ने दी थी महामना की उपाधि,,,,,
यह विश्वविद्यालय अपने हरे-भरे वातावरण के लिए भी जाना जाता है 13 सौ एकड़ भूमि स्थित या विश्वविद्यालय देश के प्रति भारत महामना पंडित मालवीय जी के त्याग और बलिदान को दिखाता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लगभग 132 विभाग, 4 संस्थान, और 16 संकाय के साथ-साथ एक महिला महाविद्यालय स्कूल बनारस में चार महाविद्यालय जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्वीकृति प्राप्त है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय पर एक नजर डाले तो इसे सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय भी कहा जाता है इसके साथ साथ इस विद्यालय का साउथ कैंपस भी अपने आप में काफी खूबसूरत है जो 2600 एकड़ में फैला है।
मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी। बापू उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे। मदन मोहन मोहन मालवीय ने ही 'सत्यमेव जयते' को लोकप्रिय बनाया, जो अब राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बन गया है और इसे राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अंकित किया जाता है।