काल भैरव जयंती विशेष
कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव को करें प्रसन्न, शनि-राहु-केतु के तमाम दोष होंगे दूर।
एजेंसी डेस्क : रिपोर्ट: तुषार कुमार,,भगवान काल भैरव को शिव जी का रौद्र रूप माना जाता है। सनातन परंपरा में भैरव की पूजा का विशेष धार्मिक महत्व है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव की जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है।इस साल यह पर्व 16 नवंबर 2022 को मनाया जाएगा। भैरव जयंती को काल भैरव अष्टमी, कालाष्टमी जैसे नामों से भी जाना जाता है।
अष्टमी वाले दिन भगवान काल भैरवनाथ की उत्पत्ति हुई थी। शिव से उत्पत्ति होने के कारण इनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ और इन्हें अजन्मा माना जाता है। इन्हें काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है और ये अपने भक्त की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र अवतार यानी काल भैरव को खुश करने से जीवन की कई बाधाएं दूर हो जाएंगी।
काल भैरव की पूजा का महत्व,,,,
मान्यता है कि काल भैरव की पूजा से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता है। उनकी पूजा से इंसान के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पापी ग्रहों यानी शनि, राहुु और केतु के दुष्प्रभावों से मुक्ति के लिए भी काल भैरव की आराधना की जाती है।
यदि आपके जीवन में शनि, राहु जैसे ग्रहों का प्रकोप है तो भैरव की पूजा अवश्य करें। भगवान कालभैरव को शनि का अधिपति देव बताया गया है और शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए एवं राहु-केतु से प्राप्त हुई पीड़ा और कष्ट की मुक्ति के लिए भैरव उपासना से उच्च और कोई उपाय नहीं है। कलयुग में हनुमान जी के अतिरिक्त केवल कालभैरव जी की पूजा एवं उपासना का ही तत्काल प्रभाव बताया गया है, इसलिए हमें इनकी उपासना करके इन्हे प्रसन्न रखना चाहिए।
दूर होंगे सभी ग्रह-दोष,,,,,
जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में शनि, मंगल, राहु तथा केतु आदि पाप ग्रह अशुभ फलदायक हों, नीचगत अथवा शनि की साढ़े-साती या ढैय्या से पीड़ित हों, उन्हें भैरव जयंती अथवा किसी माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, को बटुक भैरव मूल मंत्र की एक माला (108 बार) प्रारम्भ कर प्रतिदि न रूद्राक्ष की माला से 40 जाप करें, अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति होगी ।
अकाल मृत्यु से रक्षा,,,,,
काल भैरव जयंती के दिन भैरव जी के मंदिर जाकर विधि-विधान से पूजा अवश्य करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपको उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भैरवनाथ जी के सामने दीप भी जलाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान महाकाल अपने भक्तों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते हैं।
दांपत्य जीवन में मिलेगी सुख-शांति,,,,,
जो लोग दांपत्य जीवन में हैं उनको सुख-समृद्धि के लिए काल भैरव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके लिए भैरव जी की जन्मतिथि के दिन शाम के समय, शमी वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं। ऐसा करने से रिशतों में प्रेम और बढ़ता है।
काल भैरव को प्रसन्न करने के उपाय,,,,,
भगवान भैरव जिन्हें काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है, उनका आशीर्वाद पाने के लिए पूजा के वक्त उन्हें पुष्प, फल, नारियल, पान, सिंदूर आदि चढ़ाना चाहिए।
भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र ॐ काल भैरवाय नमः और ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय, कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा का जाप करें।
मान्यता है कि भगवान भैरव की पूजा में उनके यंत्र का भी बहुत महत्व है। ऐसे में विधि-विधान से श्री भैरव यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाएं।
काल भैरव देवों के देव महादेव के ही रूप हैं, इसलिए इस दिन शिवलिंग की पूजा करना भी शुभ माना गाया है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा के वक्त 21 बेल पत्रों पर चंदन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
श्री बटुक भैरव आपदुद्धारक मंत्र (ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा) के जाप से शनि की साढ़े साती, ढैय्या, अष्टम शनि और अन्य ग्रहों के अरिष्ट का नाश होता है और शनिदेव अनुकूल होते हैं।