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चंदौली में वन्य जीवों से समृद्ध प्रतिबंधित पहाड़ियों पर धड़ल्ले से हो रहा नियमित खनन।

एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो),चंदौली प्रभाग के चंद्रप्रभा वन सेंचुरी एरिया में वन्य जीवों की भरमार हैं। इनके संरक्षण को लेकर शासन स्तर से नौगढ़ से लगायत चकिया के विभिन्न पहाड़िया पर खनन कार्य पर पिछले 30 वर्षों से रोक लगा दी है।
पर सर्वहारा वर्ग हाड़ तोड़ मेहनत कर रोजी-रोटी के लिए प्रतिबंधित पहाड़ियों पर पत्थर तोड़ने को मजबूर है।
देखा जाय तो क्षेत्र के गायघाट, हिनौती (दक्षिणी), अमरा (दक्षिणी) गनेशपुर, कुशही, फत्तेपुर, छुछाड़, चतुरीपुर, कोठी घाट आदि पहाड़ियों पर अवैध खनन का कार्य खुलेआम धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिंदगी की जद्दोजहद से तंग आ चुके इन तबके के लोग अवैध खनन के कार्य में पूरे परिवार के साथ जुड़े हुए हैं।
पत्थर तोड़ने वाले बोले मजदूर जंगल व पहाड़ किनारे बसे मजदूरों की आजीविका पत्थर तोड़ने से चल रही है। प्रतिबंधित पहाड़ियों से अवैध खनन के दौरान पुलिस व वन विभाग की कार्रवाई को झेलना मानो इनकी नियति बन गई है। अवैध खनन में लगे मजदूर कहते हैं कि न चाहते हुए भी अवैध खनन का कार्य करना मजबूरी है। खनन प्रतिबंधित है, लेकिन करें तो क्या करें। गांव में मनरेगा का कार्य मिलता ही नहीं है।
पंचायत प्रतिनिधि के चहेतो का नाम ही मस्टरोल पर भरा जाता है। कहा कि गांव मे काम के अभाव में घुट-घुटकर जिंदगी बिताने से बेहतर अवैध खनन का कार्य करना।कहा यदि खनन न किया जाए तो परिवार भूखे मरने की स्थिति में पहुंच जाएगा। यह कार्य जोखिम भरा है, समय-समय पर वन विभाग की कार्रवाई को भुगतना पड़ता है। खनन के दौरान अक्सर चोटिल हो जाते हैं पर क्या करें मजबूरी सब कुछ कराता है।
बोले अधिकारी : प्रतिबंधित पहाड़ियों पर अवैध खनन करना जुर्म है। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए। जरूरत है खनन कार्य में लगे मजदूरों को जागरूक कर मनरेगा व अन्य मेहनत मजदूरी के कार्य से जोड़ना होगा। - विनोद कुमार पांडेय, वन क्षेत्राधिकारी, चंद्रप्रभा रेंज।