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डेंगू बढ़ने के साथ कीवी व बकरी के दूध की कीमतें बढ़ीं, कितना फायदेमंद है देसी उपाय? क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एजेंसी डेस्क : रिपोर्ट,, आदित्य नारायण (मुन्ना)डेंगू मरीजों में प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक माने जाने वाले विकल्पों की मांग बढ़ गई है। इनमें से कुछ वैज्ञानिक रूप से स्थापित हैं तो कुछ मान्यताओं वाले विकल्पों की भी खासी मांग है।इसका असर उनके मूल्य पर भी पड़ा है। बकरी के दूध की कीमत 400 रुपये लीटर पहुंच गई है तो कीवी 300-350 रुपए किलो बिक रहा है।
जिन परिवारों में बकरी पाली जाती है वहां सुबह से शाम तक डेंगू मरीजों के परिजन मुंहमांगी कीमत देने को तैयार हैं। शहर में 250 से 400 रुपये में बकरी का दूध मिल रहा है। एलोपैथ में प्लेटलेट्स बाहर से चढ़ाई जाती है। लेकिन होम्योपैथी व आयुर्वेद में प्राकृतिक रूप से प्लेटलेट्स बढ़ाने का विकल्प है। बाजार में होम्योपैथिक दवाओं की दुकानों पर पपीते का मदर टिंचर (अर्क) खूब बिक रहा है।
आयुर्वेद में विभिन्न भस्म, रिष्ट की खासी मांग है। वहीं डेंगू से बचाव के लिए दुआएं भी हो रही हैं। नौचंदी जुमेरात पर गुरुवार को शहरभर के दरगाहों और इमामबाड़ों में अलम उठाया गया। देश और दुनिया की साथ शहर में अमन और खुशहाली के लिए दुआख्वानी की गयी। साथ ही डेंगू के खात्मे के लिए हजारों मुसलमान भाइयों ने दुआ की।
इमरजेंसी में चढ़ाएं प्लेटलेट्स,,,,,
सेंट्रल काउंसिल रिसर्च होम्योपैथी के सलाहकार डॉ. पीके मुखर्जी ने कहा कि केवल इमरजेंसी में शरीर में बाहर से प्लेटलेट्स चढ़ाना चाहिए। प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए होम्योपैथी में मदर टिंचर हैं, डॉक्टर की सलाह से इनका सेवन करना चाहिए।
तुलसी का काढ़ा, पपीते के पत्ते का रस फायदेमंद,,,,,
आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. भावना द्विवेदी ने कहा कि तुलसी के पत्तों का काढ़ा, पपीते के पत्ते का रस (4-5 पत्ते) फायदेमंद होता है। इसका सेवन दिन में तीन बार किया जा सकता है। गिलोय की वटी या रिष्ट (सिरप) के रूप में देने से बुखार में आराम मिलता है।
होम्योपैथी में बेहतर उपचार उपलब्ध,,,,,
राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय मुनारी में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीष त्रिपाठी ने कहा कि डेंगू का होम्योपैथी में बेहतर उपचार उपलब्ध हैं। पपीते के पत्ते (कैरिका पपैया) मदर टिंचर को दिन में चार बार लेने से 25 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ने लगता है।
अस्पतालों में बेड के लिए मारामारी,,,,,
वाराणसी जिला व मंडलीय अस्पतालों में दूसरे दिन गुरुवार को भी बेड के लिए मारामारी रही। वायरल बुखार और डेंगू के कई मरीजों को बेड नहीं मिला। जिला अस्पताल में बुखार और डेंगू, मलेरिया के 90 मरीज पहुंचे इनमें 47 को ही भर्ती किया गया।
जिला अस्पताल में 230 बेड व इमरजेंसी में 18 बेड फुल हैं।मंडलीय अस्पताल में मरीजों को बेड के लिए भटकना पड़ा। बीएचयू के मेडिसन विभाग में भी बेड फुल हैं।
अब डॉक्टर केवल गंभीर मरीजों को ही भर्ती कर रहे हैं। पहले से भर्ती मरीजों की स्क्रीनिंग कर सेहत में सुधार दिखने पर डिस्चार्ज कर दे रहे हैं। जिला अस्पताल से डेंगू के 11 मरीज रेफर हुए। वहीं सात मरीज जिला व छह मंडलीय अस्पताल से डिस्चार्ज हुए।
बुधवार को सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने निर्देश दिया था कि जिन मरीजों का प्लेटलेट्स 50 हजार से अधिक है और दो दिनों से बुखार नहीं आया। साथ ही यूरिन रिपोर्ट सामान्य है तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाए।
सभी वार्डों में भर्ती करें वायरल फीवर के पीड़ित,,,,,
वाराणसी, मंडलायुक्त व प्रभारी डीएम कौशलराज शर्मा ने स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अफसरो को कड़ाई से निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि रुटीन भर्ती रोककर सभी वार्ड वायरल बुखार के मरीजों के लिए प्रयोग करें। किसी मरीज को लौटाया न जाए। यदि शिकायत मिली तो प्रभारी पर कार्रवाई होगी।
मरीजों को लौटाने के मामले पर मंडलायुक्त ने गुरुवार की शाम वर्चुअल बैठक की। उन्होंने मंडलीय अस्पताल के एसआईसी से कहा कि ज्यादा से ज्यादा ब्लड टेस्टिंग कराएं। बेड की कमी न हो।
सीएचसी पर तैनात कर्मियों का ग्रुप बनाकर रोज कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी जाए। जो संविदाकर्मी काम नहीं कर रहे, उनके स्थान पर दूसरे रखे जाएं। उन्होंने सभी हेल्थ वेलनेस सेंटर पर मरीजों की जांच व भर्ती के सख्त निर्देश दिए और जांच व भर्ती मरीजों का आंकड़ा रोज सुबह मांगा है। उन्होंने कहा कि अगली बैठक 5 नवंबर को होगी, तब तक व्यवस्था दुरुस्त हो जानी चाहिए।
20 तक टालें इलेक्टिव सर्जरी,,,,,
मंडलायुक्त ने कहा कि जो सर्जरी जरूरी नहीं है उन्हें 20 नवम्बर के बाद करें। तब तक पूरा फोकस डेंगू व वायरल बुखार पर रहे। जरूरी हो तो घर जाकर विशेष इलाज दिया जाए। साफ-सफाई में कोताही नही होनी चाहिए। शिवपुर सीएचसी प्रभारी को उन्होंने किसी तरह की कोताही न बरने के विशेष निर्देश दिये।