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चन्दौली में अब EOW करेगी कोयले की कालाबाजारी की जांच, इन पर गिर सकती गाज

चन्दौली में अब EOW करेगी कोयले की कालाबाजारी की जांच, इन पर गिर सकती गाज



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एजेंसी डेस्क : संवाददाता(एस, के, गुप्ता)चन्दौलीः मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र की चंदासी कोयला मंडी एक बार फिर से जांच की आंच से गर्म हो सकती है. खदानों से ‌फर्जी तरीके से निकले कोयले की कालाबाजारी को लेकर थानों और कोतवालियों में दर्ज मुकदमों की जांच अब Economic Offences Wing यानी आर्थिक अपराध शाखा करेगी।

सोनभद्र जिले के चोपन, रॉबर्ट्सगंज समेत चंदौली के मुगलसराय कोतवाली में कोयला चोरी के मुकदमें दर्ज हैं. लेकिन अब EOW जांच में इस काले कारोबार में शामिल कई सफेदपोश समेत पुलिस अधिकारी का भी गला फंसता नजर आ रहा है।

महानिदेशक ईओडब्लू के राजकुमार विश्वकर्मा ने बताया कि सोनभद्र और चंदौली जिले में कोयला चोरी के बाबत दर्ज मुकदमों की जांच EOW को सौंपी गई है. EOW कोयला चोरी से संबंधित सभी पहलुओं की गहनता से जांच करेगी। 

गौरतलब है कि जनवरी 2022 को सोनभद्र जिले में चोपन, पिपरी और अनपरा की पुलिस ने चोरी के कोयले से लदी 22 ट्रकों को पकड़ा था. उस दौरान पुलिस ने 24 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर 18 आरोपियों को जेल भेज दिया था। 

सोनभद्र पुलिस ने बताया था कि कोयला लदे ट्रकों को फर्जी प्रपत्रों के आधार पर चंदासी कोयला मंडी ले जाया जा रहा था. इसके बाद सोनभद्र पुलिस ने इस पूरे मामले में चंदौली जिले से संबंधित बताकर पूरे मामले को जिले में ट्रांसफर दिया. विभागीय सूत्रों के अनुसार इसकी जांच जिले की क्राइम ब्रांच को सौंपी गई. जांच में कई बड़े व्यापारियों का नाम सामने आने पर उन्हें क्लीन चिट देकर किनारे कर दिया गया।

कुछ लोगों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कर दी. मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए कोयला चोरी से जुड़े समस्त मामलों की जांच EOW को सौंप दी है. ऐसे में सोनभद्र और चंदौली जिले समेत प्रदेशभर में किसी भी थाने में दर्ज कोयला चोरी से समस्त मामलों की जांच EOW की टीम करेगी. सूत्रों के माने तो इस जांच के आदेश के बाद कई सफेशपोश, व्यापारियों और अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। 

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद शासन स्तर से एक वरिष्ठ अधिकारी को इस जांच के लिए भी नियुक्त किया गया है. जो इस जांच में बरती गई लापरवाही की जांच करेंगे. ऐसे में उस वक्त जिले में तैनात रहे पुलिस के पूर्व अधिकारी भी इसके दायरे में आ सकते हैं।