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विशेष लेख::2023 नए वर्ष में करें विधिवत पूजन : विष्णु प्रिया लक्ष्मी को प्रिय है उल्लू, कौड़ी और कमल,,,ऐसे करें  आराधना,,,।

विशेष लेख::2023 नए वर्ष में करें विधिवत पूजन : विष्णु प्रिया लक्ष्मी को प्रिय है उल्लू, कौड़ी और कमल,,,ऐसे करें आराधना,,,।


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धार्मिक आस्था न्यूज़ : जिस तरह पशुओं में गधे को मूर्खता का प्रतीक माना जाता है, उसी तरह उल्लू को भी बुद्धिहीनता या बेवकूफी का पर्याय मान लिया गया है। 

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उल्लू का मूर्खता से कोई लेना-देना नहीं है।यह एक शांतप्रिय पक्षी है। इसकी खास विशेषता यह है कि इसके शरीर का तापमान वातावरण के साथ घटता-बढ़ता नहीं है। अत: शांत स्वभाव वाली महारानी लक्ष्मी जी ने इस समतापी पक्षी को अपना वाहन स्वीकार किया।

लक्ष्मी जी को प्रिय उल्लू,,,,,,,

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श्री विष्णु भगवान की परमप्रिय लक्ष्मी अपने पतिदेव के साथ गरुड़ पर बैठकर अपने भक्त के यहां धार्मिक कृत्य होने पर सदा आती हैं। परंतु यदि कोई भगवान को छोड़कर अकेली लक्ष्मी का आह्वान करता है तब उनका वाहन दिन में न देख सकने वाला विनाश का प्रतिनिधि उल्लू होता है। गरुड़ के दर्शन को सर्व साधारण समस्त मंगल का मूल समझता है, और उल्लू को अमंगलकारक पक्षी।

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अत: जिस व्यक्ति के यहां जप, पूजा-पाठ, ईश्वर आराधना, देव- कर्म, दान-पुण्य और अतिथि सत्कार होता है वहां समझें कि लक्ष्मी पतिदेव श्रीमन्नारायण सहित पधारी हैं और जहां अनाचार, व्यभिचार, दुराचार, अत्याचार और प्रमाद का बोलबाला हो, वहां जान लेना चाहिए कि लक्ष्मी जी अकेले ही अपने वाहन उल्लू पर तशरीफ लाई हैं।

लक्ष्मी जी को प्रिय कौड़ी,,,,,,, 

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कौड़ी हमारे धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन से इस कदर जुड़ी है कि कौड़ी उपासना की वस्तु है तो शृंगार सामग्री की भी, सजावट की वस्तु है तो मनोरंजन का साधन भी। इसका प्रयोग आभूषण एवं टोटकों के लिए भी होता हैसंपदा की प्रतीक कौड़ियों को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। समुद्र से उत्पन्न जितनी भी वस्तुएं होती हैं, ये सभी किसी न किसी रूप में लक्ष्मी पूजा में अथवा लक्ष्मी के प्रतीक रूप में उपयोग की जाती हैं। शंख समुद्र में उत्पन्न होता है, अत: इसे लक्ष्मी का भाई माना गया है। शंख की पूजा का विशेष विधान है। कौड़ी भी समुद्र में उत्पन्न होता है, अत: इसे लक्ष्मीकारक माना गया है।

कौड़ी का संबंध शिव से भीजोड़ा गया है।शिव की बंधी जटाओं की शक्ल कौड़ी से बहुत मिलती-जुलती है। संभवत: इस कारण शिव को कपर्दिन कहा गया। शिव के वाहन नंदी को आज भी कौड़ियों से खूब सजाया जाता है। शिव के 18 शृंगार में कौड़ी भी सम्मिलित है। 

आज हालांकि कौड़ी का मुद्रा के रूप में प्रचनल नहीं रहा लेकिन हमारी भाषा में, मुहावरों में,लोको क्तियों में कौड़ी शब्द का बहुत उपयोग होता है। आज भी किसी को हिकारत से धिक्कारते हुए 'दो कौड़ी' का संबोधन दिया जाता है। कहते हैं कि गल्ले में, पैसों की अलमारी में, लॉकर आदि में कौड़ियों को केसर या हल्दी से रंग कर पीले कपड़े में बांध कर रखने से लक्ष्मी आकर्षित होती हैं।

लक्ष्मी का आसन कमल,,,,,,,

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लक्ष्मीजी का आसन कमल पुष्प है। कमल पानी में उत्पन्न होता है। इसका सम्पूर्ण तना पानी में डूबा रहने के बावजूद कमल के पत्तों पर पानी की बूंद नहीं ठहरती और कमल पुष्प सदैव जल से कुछ ऊपर रहता है। लक्ष्मीजी भी केवल उन भक्तों के हृदय में निवास करती हैं, जो संसार में रहते हुए भी माया में लिप्त नहीं होते, बल्कि लोभ, मोह, काम, क्रोध और अहंकार जैसे दुर्गुणों से कुछ ऊपर उठ चुके होते हैं।

एक प्रचलित मान्यता के अनुसार लक्ष्मीजी को कमल से उत्पन्न माना जाता है, इसलिए उन्हें पद्मजा भी कहते हैं। 

एकपौराणिक कथा के अनुसार सागर मंथन के दौरान सबसे पहले कमल पुष्प की ही सृष्टि हुई। भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल दंड पैदा हुआ। जब वह सागर से बाहर आये, तो उसमें एक पुष्पकली लगी हुईथी। इसी कली के खिलने पर ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मïजी ने सृष्टि की रचना की। इस प्रकार सृष्टि का आरंभ करने का श्रेय कमल को ही जाता है। कमल भारतीय धर्म, दर्शन एवं संस्कृति का संदेशवाहक है। यह एक सात्विक पुष्प है। कीचड़ में उत्पन्न होते हुए भी यह शुद्घ होता है। शास्त्रों के अनुसार कमल मनुष्य को सिखाता है कि संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी उसे उसमें डूबना नहीं चाहिए।

लक्ष्मी जी का प्रिय भोग क्या है?

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लक्ष्‍मी माता को प्रिय होने के कारण नारियल को श्रीफल कहा जाता है। नारियल कई परत में होने के कारण इसे अत्‍यंत शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसलिए मां लक्ष्‍मी से जुड़ी प्रत्‍येक पूजा में श्रीफल का भोग लगाना अनिवार्य होता है।

लक्ष्मी को कौन सा रंग पसंद है?,,

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लक्ष्मी जी को कौन सा रंग पसंद हैं. इस बारे में मान्यता है कि लक्ष्मी जी को गुलाबी रंग बेहद प्रिय है. इसलिए इस दिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए.

मां लक्ष्मी को खुश कैसे करें?,,,,,,,

शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर में शंख, कौड़ी, कमल का फूल, मखाने, बताशे, खीर और गुलाब का इत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और घर में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है।

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है?

जिन घरों में लोग महिलाओं का अपमान करते हैं या फिर उनके साथ मार-पीट करते हैं, उनके घर में कभी मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। इसके साथ ही घर के बड़े-बुजुर्गों और गरीबों का अपमान करने पर भी मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।

लक्ष्मी घर में कैसे आती है?,,,,,,,

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प्रतिदिन सुबह उठकर अपने घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान करने के बाद शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, ऐसा करने से घर में देवी-देवताओं का वास होता है और लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है।