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मालवीय जयंती पर BHU में तीन दिन निहारें फूलों का संसार, अलग-अलग जगहों पर होंगे कार्यक्रम,,,।
एजेंसी डेस्क : वाराणसी (ब्यूरो),।काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर लोग रविवार से फूलों के मोहक संसार को निहार सकेंगे।
महामना की बगिया फूलों की खुशबू से महक उठेगी।मालवीय भवन दीपों की रोशनी से जगमगा उठेगा। बीएचयू परिसर में रविवार को मालवीय जयंती पर अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रमहोंगे,मालवीयअनुशीलन केंद्र परिसर में छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। वहीं, मालवीय भवन में भी पुष्प प्रदर्शनी केसाथ आयोजन कराए जाएंगे।
मुख्य द्वार से अन्य जगहों पर रंग-बिरंगी लाइटों से आकर्षक सजावट की गई है। 25 दिसंबर को उद्घाटन के बाद 27 तक लोग फूलों को निहार सकेंगे।
पुष्प प्रदर्शनी में इस बार फूलों की कई नई प्रजातियां देखने को मिलेंगी। वहीं, कई आकर्षक डिजाइन भी बनाए गए हैं। रंग-बिरंगे फूलों से बीएचयू के मुख्य द्वार की आकृति सजाई गई है। प्रदर्शनी के प्रभारी प्रो. एके सिंह के निर्देशन में शनिवार सुबह से देर शाम तक तैयारियां चलती रहीं।
प्रदर्शनी में हर साल की तरह साग, सब्जियों और फलों के उत्पादन के बारे में बताया जाएगा। प्रो. सिंह ने बताया कि पाली हाउस में मौजूद फूल टयूबरोज, जरबेरा, एंथूरियम, लीलियम, बर्ड ऑफ पैराडाइज सहित कई फूलों के ढेर सारे डिजाइन लोगों की देखने को मिलेंगे।
मालवीय जयंती की पूर्व संध्या पर छात्रों ने किया भजन कीर्तनमहामना मालवीय की जयंती की पूर्व संध्या पर बिड़ला छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने भजन-कीर्तन कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। प्रशासनिक संरक्षक प्रो. अशोक कुमार सिंह के निर्देशन में शोध छात्रों ने प्रसाद भी वितरित किया। प्रशासनिक संरक्षक ने महामना के जीवन दर्शन और उनके विचारों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
रासेयो के 171 स्वयंसेवकों ने किया रक्तदानबीएचयू राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र के निर्देशन में शिविर में 171 स्वयंसेवकों ने रक्तदान किया। सलाहकार डॉ. कमल कुमार ने शिविर का उद्घाटन कर उनका उत्साह बढ़ाया। विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि रक्तदान को महादान बताते हुए सभी से आगे आने का आह्वान किया।
आध्यात्म भारतीयों की सबसे बड़ी विशेषता बीएचयू के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र सभागार में विशेष व्याख्यान में भारतीय ज्ञान परंपरा पर चर्चा की गई। बतौर मुख्य वक्ता बीएल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के निदेशक प्रो. गया चरण त्रिपाठी ने कहा कि भारतीयों की सबसे बड़ी विशेषता अध्यात्म रही है। कहा कि धर्म में नैतिक मूल्यों, अहिंसा, करुणा, मैत्री का प्रसार करना भारतीयों की विशेषता रही है। सम्राट अशोक ने कलिंग विजय के बाद इसीलिए पश्चाताप किया। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि हमारी ज्ञान परंपरा धर्म से नियंत्रित है।