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विश्वनाथ धाम लोकार्पण की पहली वर्षगांठ: वेद मंत्रों संग होगी शाम, इस दिन होने जा रहा भव्य आयोजन,,।
एजेंसी डेस्क : (वाराणसी ब्यूरो), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की पहली वर्षगांठ यादगार होगी।
प्रदेश सरकार के निर्देश पर 13 दिसंबर को मंदिर प्रशासन की ओर से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।बाबा विश्वनाथ का धाम वेदमंत्रों से गूंजेगा। कई संत, महात्मा और धर्माचार्य भी इस आयोजन के साक्षी बनेंगे। मंदिर प्रशासन की ओर से तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की पहली वर्षगांठ को मंदिर न्यास और काशीवासियों के सहयोग से भव्य बनाने की तैयारियां चल रहीं हैं। काशीवासी जहां बाबा विश्वनाथ की शोभायात्रा निकालेंगे, वहीं मंदिर परिसर वेदमंत्रों से गुंजायमान होगा। मंदिर में हवन, पूजन से लेकर गोष्ठी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शृंखला श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेगी। आयोजन में साधु संतों के अलावा काशी के गणमान्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।
धाम में 13 दिसंबर की सुबह से ही वेद मंत्र और वैदिक ऋ चाओं की ध्वनियां गूंजेंगी। शाम को पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल के भजनों की सुर सरिता में भक्त गोते लगाएंगे। आयोजन में काशीवासी भी सहभाग कर सकते हैं। मंदिर न्यास की ओर से काशीवासियों को भी आमंत्रित किया गया है।
सुबह से शुरू होंगे आयोजन,,,,,,,
मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के एक साल पूरा होने पर 13 दिसंबर को 11 बजे से धाम में हवन पूजन का आयोजन किया गया है। इसमें साधु संतों के साथ ही गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे।
श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की अध्यक्षता में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रभाव विषय पर संगोष्ठी होगी। शाम को मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल की प्रस्तुति होगी। भजन संध्या में कोई भी भक्त धाम में पधार सकता है।
धाम से काशी में पर्यटन को लगे पंख,,,,,,,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम को बीते साल ही मूर्त रूप दे दिया गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और अधिकारियों की टीम ने दिन रात मेहनत करते हुए धाम को भव्य रूप प्रदान किया।
13 दिसम्बर 2021 को प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका लोकार्पण किया गया था। इसके बाद काशी में धार्मिक पर्यटन को मानो पंख लग गये हैं। कभी मात्र तीन हज़ार वर्ग फुट क्षेत्रफल में फैला मंदिर परिसर आज लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में भव्य आकार ले चुका है।