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कोरोना के नए वेरिएंट का डर! क्या हमें वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत है? जानें एक्सपर्ट्स की राय,,,।

कोरोना के नए वेरिएंट का डर! क्या हमें वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत है? जानें एक्सपर्ट्स की राय,,,।


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एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो,नई दिल्ली)।Covid-19 Alert In India: चीन में कोविड-19 के मामलों और मौतों में बढ़ोतरी को देखते हुए भारत हाई अलर्ट पर है।

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केंद्र सरकार ने एक हाई लेवल मीटिंग की, इस मीटिंग में एक्‍सपर्ट्स और अधिकारियों ने भारत में वैक्सीन कवरेज में सुधार के महत्व पर जोर दिया। भारत में केवल 27 फीसदी पर एहतियाती खुराक का बढ़ना निराशाजनक रहा है।

बैठक के बाद नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ,वी.के.पॉल ने वरिष्ठ नागरिकों से एहतियाती खुराक लेने की अपील की। हालांकि, जिन लोगों को पहले से ही बूस्टर दिए जा चुके हैं, वे पूछ रहे हैं कि क्या चौथी खुराक की जरूरत है? 

मीडिया से बात करते हुए एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने केवल तीसरी खुराक लेने की आवश्यकता पर जोर दिया। 

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डॉ गुलेरिया ने कहा, "यह सुझाव देने के लिए कोई डेटा नहीं है कि चौथी खुराक की आवश्यकता है, तब तक नहीं जब तक कि कोई नया टीका न हो, जो बाइवेलेंट वैक्सीन की तरह विशिष्ट हो"।

बाइवेलेंट वैक्सीन कितनी असरदार?

फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के अनुसार, बाइवेलेंट वैक्सीन एक साथ दो वायरस या उनके वेरिएंट पर कारगर होता है. बाइवेलेंट टीके में कोविड-19 के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ओरिजनल वायरस स्ट्रेन का एक कम्पोनेंट होता है। 

साथ ही इसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से कोविड-19 के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए ओमिक्रॉन वेरियंट का एक घटक भी शामिल है। इन्हें बाइवेलेंट कोविड-19 वैक्सीन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इनमें ये दो घटक होते हैं। 

बाइवेलेंट कोविड-19 वैक्सीन को अपडेटेड कोविड-19 वैक्सीन बूस्टर खुराक के रूप में भी रेफर किया जा सकता है. यह पहला 2019 से मूल SARS-CoV-2 वायरस पर और दूसरा स्‍ट्रेन, कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लक्षित करता है।

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भारत में बाइवेलेंट वैक्सीन नहीं,,,

वर्तमान में, भारत में उपयोग की जाने वाली कोई भी वैक्सीन बाइवेलेंट वैक्सीन नहीं है।

भारत के बाहर फाइजर और बायोएनटेक की बाइवेलेंट वैक्सीन और मॉडर्ना की वैक्सीन जैसी एमआरएनए वैक्सीन को बढ़ावा देने की दृष्टि से ही इस्तेमाल किया जा रहा है। 

केरल के कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. राजीव जयदेवन ने मीडिया को बताया, "बूस्टर डोज के साथ समस्या यह है कि उसका असर कम रहता है." उन्होंने कहा, "एमआरएनए टीके, जो अन्य देशों में चौथी खुराक के रूप में इस्तेमाल किए गए हैं, तीसरी खुराक की तुलना में जल्दी प्रभाव दिखाते हैं." एक्सपर्ट्स ने इस समय कमजोर आबादी को बढ़ावा देने की जरूरत पर भी बल दिया।