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खबर का असर:जुड़वा बहनों से शादी करने वाले लड़के पर केस दर्ज, जानें शादियों पर क्या है कानून और कितनी हो सकती है सजा?
एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो),महाराष्ट्र के सोलापुर में शादी का एक अनोखा मामला सामने आया है।
यहां जुड़वा बहनों ने एक ही लड़के से शादी कर ली. हैरानी की बात ये है कि ये शादी परिवार वालों की मौजूदगी में बड़े ही धूमधाम से हुई. इस शादी का वीडियो भी केसरी न्यूज़ नेटवर्क और अन्य मीडिया ग्रुप में ने जोर शोर से वायरल किया था।
हालांकि, इस मामले में पुलिस ने बताया कि दूल्हा और दुल्हन, दोनों के ही परिवार वाले इस शादी के लिए राजी थे।
बताया जा रहा है कि जुड़वा बहनें पिंकी और रिंकी, दोनों आईटी इंजीनियर हैं और मुंबई में रहती हैं. कुछ समय पहले ही इनके पिता का निधन हो गया था. इसके बाद दोनों अपनी मां के साथ ही रह रही थीं. पिंकी और रिंकी ने अतुल नाम के युवक से शादी की है।
हालांकि, इस मामले में अकलज पुलिस थाने में दूल्हे के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. ये केस आईपीसी की धारा 494 के तहत दर्ज किया गया है. केस दर्ज क्यों हुआ? ये समझने से पहले ये जान लेते हैं कि शादियों को लेकर कानून क्या कहता है?
क्या है कानून?
हमारे देश में शादियों और तलाक से जुड़े मामले अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून है. जैसे- हिंदुओं की शादी के लिए हिंदू मैरिज एक्ट. मुस्लिमों की शादी के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ. हिंदुओं के अलावा हिंदू मैरिज एक्ट ही सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों पर भी लागू होता है।
1955 के हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 5 में उन शर्तों को बताया गया है जिसमें शादी को वैलिड मानी जाएगी. पहली शर्त तो यही है कि शादी के समय दूल्हा और दुल्हन की पति या पत्नी जीवित नहीं होनी चाहिए।
लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. हिंदू मैरिज एक्ट के तहत, शादी के लिए दूल्हा और दुल्हन, दोनों की सहमति जरूरी है।
हिंदू धर्म में पहले पति या पत्नी की जीवित रहते दूसरे शादी नहीं कर सकते. दूसरी शादी तभी होगी जब पहले पति या पत्नी की मौत हो चुकी हो. या फिर अगर 7 साल तक पति या पत्नी का कुछ पता न चले और उसके जीवित रहने का कोई सबूत न हो, तो ऐसे में भी दूसरी शादी कर सकते हैं।
हिंदुओं की तरह ही ईसाई धर्म में भी दूसरी शादी की मनाही है. ईसाई दूसरी शादी तभी कर सकते हैं, जब पति या पत्नी की मौत हो चुकी हो. मुस्लिमों को चार शादी करने की इजाजत है।
इसके अलावा एक स्पेशल मैरिज एक्ट भी है, जो 1954 में लागू हुआ था. ये कानून दो अलग-अलग धर्मों के वयस्कों को शादी करने का अधिकार देता है. स्पेशल मैरिज एक्ट सभी पर लागू होता है. इसके तहत शादी रजिस्टर्ड कराने के लिए धर्म बदलने की जरूरत नहीं होती।
अब बात केस दर्ज क्यों हुआ?
सोलापुर में दो जुड़वा बहनों से शादी करने पर दूल्हे अतुल पर केस दर्ज हो गया है. ये केस इसलिए दर्ज हुआ क्योंकि उसने दो शादियां कीं, जब हिंदुओं में दो शादियों की मनाही है।
उस पर आईपीसी की धारा 494 के तहत केस दर्ज हुआ है. ये धारा कहती है कि अगर पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करते हैं तो ऐसी स्थिति में ये शादी अमान्य है. ऐसा करने पर 7 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
इस धारा में अपवाद भी है. और वो ये कि अगर पहली शादी को अदालत अमान्य करार दे चुकी है तो फिर दूसरी शादी की जा सकती है।
कुल मिलाकर, हिंदू मैरिज एक्ट के दायरे में आने वाले लोग दूसरी शादी तभी कर सकते हैं, जब उनकी पहली पत्नी या पति की मौत हो चुकी हो या फिर तलाक हो चुका हो।