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सर्वे रिपोर्ट : काशी विश्वनाथ धाम से बदली बनारस की आर्थिक तस्वीर, एक साल में रोजगार की बहार,,,।

सर्वे रिपोर्ट : काशी विश्वनाथ धाम से बदली बनारस की आर्थिक तस्वीर, एक साल में रोजगार की बहार,,,।




एजेंसी डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की पहली वर्षगांठ कल यानी मंगलवार को है। 

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इस एक साल में धाम के कारण बनारस की आर्थिक तस्वीर बदल गई है।डीएवी पीजी कॉलेज की ओर से कराए गए आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

वाराणसी में ना सिर्फ में रोजगार के साधनों में वृद्धि हुई बल्कि यहॉ के ढांचागत सुविधाओं में भी व्यापक सुधार हुआ है। पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है। 

'काशी विश्वनाथ धाम के जीर्णोद्धार के आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण' विषय पर हुए शोध के बारे में प्राचार्य एवं मुख्य अन्वेषक डॉ. सत्यदेव सिंह सहित अन्य सदस्यों ने रिपोर्ट जारी की।

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प्राचार्य ने बताया कि वाराणसी में 98.48 फीसदी लोग यह मानते है कि रोजगार का सृजन हुआ है। अकेले पर्यटन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 34.18 प्रतिशत रोजगार बढ़ा। इसके अलावा घाटों के प्रबंधन के कार्य में रोजगार सृजन हुआ। 99.53 प्रतिशत लोगों ने माना है कि धाम के निर्माण के बाद शहर के ढांचागत सुविधाओं में व्यापक सुधार हुआ है। 85.90 प्रतिशत लोग सार्वजनिक सुविधाओं में सुधार मानते हैं।

होटल मालिकों की आय 65 फीसदी तक बढ़ी,,,,,,,

सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि होटल मालिकों की आय में 65 फीसदी, दुकानदारों की आय में 47 फीसदी, ई-रिक्शा चालकों की आय में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। टैक्सी ऑपरेटरों की आय में सबसे कम 20 फीसदी की वृद्धि आंकी गई है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन को लेकर पूछे गए सवाल में तकरीबन 48.40 फीसदी श्रद्धालु सुगम-दर्शन से प्रभावित हैं। वहीं सावन के महीने में तकरीबन 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया।

सर्वेक्षण में ये लोग हुए शामिल,,,, 

सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि सिर्फ टैक्सी चालकों को यह लगता है कि धाम के निर्माण का कोई विशेष प्रभाव नही पड़ा। हालांकि कुल 79 फीसदी लोग अपनी बढ़ी आय से संतुष्ट हैं। प्राचार्य ने बताया कि सर्वेक्षण में 160 लोगों से बातचीत की गई। जिसमें नाविक, होटल उद्यमी, टैक्सी चालक एवं ऑपरेटर, साड़ी व्यवसायी, पूजन समाग्री विक्रेता, गुलाबी मीनाकारी, शिल्प कारीगर, खाने-पीने के दुकानदार, रिक्शा चालक, ई- रिक्शा चालक और ऑटोचालकों के अलावा काशी आए पर्यटक शामिल हैं।