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काशी तमिल संगमम का समापन समारोह LIVE: गृहमंत्री अमित शाह बोले- आज पूर्णाहुति नहीं, ये तो एक शुरुआत है,,,।

एजेंसी डेस्क::(वाराणसी ब्यूरो),।तमिलनाडु की परंपराओं व संस्कृति से वाराणसी के जुड़ाव को प्रदर्शित कर रहे काशी तमिल संगमम के मास पर्यंत यात्रा पर शुक्रवार को विराम लग गया।

बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में आयोजित समापन समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तमिलनाडु के राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री समेत कई नेता मौजूद हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन की शुरुआत में काशी तमिल संगमम के एक माह तक के आयोजन को अलौकिक बताया। कहा कि यह भारत की दो महान सांस्कृतिक धरोहरों के अद्भुत संगम है।

अमित शाह ने कहा कि आज काशी तमिल संगगम का अंतिम दिन है। लेकिन यह पूर्णाहुति नहीं है। यह तो एक शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का नतीजा है कि देश की दो सबसे प्राचीन संस्कृति आज एक साथ है। ये प्रयास तो आजादी के बाद ही होना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी तमिल संगमम ने काशी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार कर दिया हैउन्होंने इस भव्यआयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन के लिए काशी को चुना जाना उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी बात है। इस आयोजन में जिस तरह से काशीवासियों ने योगदान किया वो प्रशंसनीय है।

इससे पहले वाराणसी एयरपोर्ट पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का स्वागत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। दोनों नेताओं के दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री करीब ढाई घंटे तक शहर में रहेंगे, फिर लौट जाएंगे।
पीएम मोदी ने किया था भव्य उद्घाटन,,,,,,,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 दिसंबर को बीएचयू एंफीथियेटर मैदान में मास पर्यंत चलने वाले उत्सव काशी तमिल संगमम का भव्य उद्घाटन किया था। पद्मश्री इलैयराजा के गीत और संगीत से तमिल संगमम की शुरुआत हुई थी।
इसके बाद हर दिन काशी वासियों ने समृद्ध तमिल सांस्कृतिक विरासत की झलक देखी।साहित्य, विरासत, ग्रामीण परिवेश, संस्कृति विषयों पर संवाद के दौरान बनारस और तमिलनाडु के लोगों ने एक दूसरे को समझा।
काशी व तमिलनाडु के विद्वानों, विशेषज्ञों व विद्यार्थियों को विचारों को साझा करने का अवसर मिला। साथ ही काशी व कांची की प्राचीन संस्कृति ने एक दूसरे को करीब से समझा।
