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जौनपुर : नौकरी के लिए युवतियों के झांसे में न आएं, खाली हो जाएगा बैंक अकाउंट, पुलिस ने छह को किया गिरफ्तार,,,।
एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो,जौनपुर),। देश की नामी-गिरामी कंपनियों में नौकरी के नाम पर झांसा देने वाले एक गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है।
गिरोह पहले क्षेत्र में पंपलेट बांटकर और पोस्टर के माध्यम से प्रचार कर लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर अपने दिए गए ऑफिस के पते पर बुलाते थे. ऑफिस में युवतियां बात करके उसे अपने झांसे में लेकर उनसे रुपए ले लेती थीं। इसके कुछ दिन बाद गिरोह ऑफिस बंद करके किसी नए जिले में इसी तरह का काम करते थे, जिसका खुलासा आज एसपी डॉ. संजय कुमार ने पुलिस लाइन में प्रेस वार्ता के दौरान किया।
बेरोजगार युवाओं को रोजगार का लालच देकर अंतर जनपदीय गिरोह फ्रॉड करता था. ऐसा ही एक मामला जनपद जौनपुर में सामने आया है, जहां पोस्टर बैनर लगाकर लोगों को बेवकूफ बनाकर नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
यही नहीं इस टीम में महिलाएं बेरोजगार युवाओं को फोन कर नौकरी का झांसा देकर फंसा लेती थीं और बाद में उनसे पैसे ले लेतीं थीं। कुछ महीनों तक यह खेल करने के बाद यह अन्य जनपद में चले जाते थे। पुलिस के अनुसार डेढ़ सौ लोगों से इस टीम ने फ्रॉडकर नौकरी के नाम पर पैसे वसूले हैं।
पुलिस को शिकायत मिल रही थी, जिस पर काम करके टीम को यह कामयाबी मिली। दो महिला समेत कुल छह आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से भारी मात्रा में अवैध कागजात, आधार कार्ड भी बरामद किए हैं, वहीं, इस टीम का मुखिया जिसके नाम से पेमेंट कराया जाता था, उसकी तलाश के लिए जौनपुर पुलिस दबिश दे रही है।
एसपी सिटी संजय कुमार ने बताया कि जिले के लाइन बाजार पुलिस को पिछले कई दिनों से शिकायत मिल रही थी कि क्षेत्र में फर्जी नौकरी दिलाने का गिरोह काम कर रहा है, इसी बीच मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि जिले के धनेपुर तिराहे के समीप मौर्य मेडिकल के बगल में पाल साहब के मकान में कुछ लोग नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से पैसे लेते हैं। इस सूचना पर पुलिसटीम पाल साहब के मकान में पहुंची, मकान की तलाशी ली गई तो चार पुरुष व दो महिला मिलीं। कड़ाई से पूछताछ पर पकड़े गए लोगों ने बताया कि जौनपुर के आसपास की कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर दिल्ली के रहने वाले मोहम्मद सुहेब, कानपुर के अनुराग कुमार के माध्यम से पैसा बनाया जाता था, फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करके व्हाट्सएप पर भेज दिए जाते थे, फिर ड्रेस और ट्रेनिंग के नाम पर और पैसे मांगे जाते थे, जब काफी पैसा इकट्ठा हो जाता है तब हम लोग ऑफिस बंद करके भाग जाते है।