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वाराणसी की गंगा में तीसरे दिन भी केरल जैसा नजारा, रंगी-बिरंगी नावों की रेस ने खूब लुभाया, जिया राजा चपले राहा,, जैसी उत्साहवर्धक आवाजें सुनाई दी,,,।

वाराणसी की गंगा में तीसरे दिन भी केरल जैसा नजारा, रंगी-बिरंगी नावों की रेस ने खूब लुभाया, जिया राजा चपले राहा,, जैसी उत्साहवर्धक आवाजें सुनाई दी,,,।



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एजेंसी डेस्क:ब्यूरो,आदित्य,मुन्ना!! वाराणसी में इन दिनों केरल जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। 

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रंग बिरंगी नावों की रेस लोगों को खूब लुभा रही हैं। पर्यटन विभाग के चार दिनी नौका दौड़ महोत्सव का गुरुवार को तीसरा दिन था।केरल की तर्ज पर पहली बार काशी में इसका आयोजन किया गया है। नाव रेस में 12 टीमें शामिल की गई हैं। यह टीमें रेस शुरू होने से काफी पहले ही अभ्यास में जुट जा रही हैं। यह भी लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है। 

पतवारों के टकराने से गंगाजल से ‘छप-छप’ की आवाजें आने लगीं। नावें तेजी से राजघाट की ओर बढ़ चलीं। कुछ लोग घाटों पर प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाते हुए उनके संग दौड़ने भी लगे। इस दौरान बनारस का पसंदीदा ‘जिया राजा, चपले रहा...’ जैसे शब्द सुनाई देते रहे।

दशास्वमेध घाट से नौकायन में प्रतिभागी पूरे दमखम से पानी के बहाव के साथ सबसे पहले राजघाट पहुंचने की होड़ में लगे रहे। घाटों पर बड़ी संख्या में लोग इस नजारे को देखने के लिए उमड़े थे। कुछ नाविकों का उत्साह बढ़ा रहे थे तो कुछ फोटो लेने और वीडियो बनाने में व्यस्त रहे।वहीं काफी लोग प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाते रहे।

औसतन 14 मिनट में दशाश्वमेध से राजघाट की तीन किलोमीटर की दूरी तय की गई। इसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाली टीम को क्रमश एक लाख, 50 हजार और 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। पहले दिन सबसे कम समय में ‘नौका सवार’ टीम ने रेस जीती है। दूसरे नंबर पर ‘गौमुख दैत्य’ तथा तीसरे स्थान पर ‘जल योद्धा’ की टीम रही।

नौका दौड़ महोत्सव मेंसांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।काशी के सौरभ मिश्र के कथक का आकर्षण तो था ही अयोध्या से आये ग्रुपऑफ अवध के कलाकारों ने भी खूब लुभाया।अवध के पारंपरिक नृत्य का लोगों ने खूब आनंद लिया। ग्रुप के कलाकार अमित, सूर्य कुमार, अभिनय पांडेय, संगम लता और अमर सिंह ने नृत्य से सभी को चकित कर दिया।

‘डांड़ा एक रंग चलइहा,,,,,,,

‘डांड़ा एक रंग चलइहा...इनाम क एक लाख रुपइया घरे लेके चले के हौ’... ‘गंगा मइया हम लोगन के संगे हाईं’...‘एकदम सीधे चपले जइया, हाथ रुके के न चाही...’- दशाश्वमेध घाट पर प्रतियोगिता शुरू होने से पहले कुछ पुरनिए ऐसे ही टिप्स देकर प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ा रहे थे।