काशी टेंट सिटी न्यूज
काशी की टेंट सिटी का मकसद भोले के भक्तों की सेवा नहीं, अमीरों का विलास है!!!पढ़े ये पूरा लेख,,,।
एजेंसी डेस्क : (वाराणसी ब्यूरो),। प्रधानमंत्री मोदी का लोकसभा क्षेत्र है काशी।
काशी में वो बहुत कम पाए जाते हैं, और अब उनके कार्यों से प्रतीत होने लगा है कि काशी के लोग भी काशी छोड़ने को मजबूर न हो जाएं। वजह तो बस एक ही है उनका प्रेम जो वो अपने पूंजीपति मित्रों से करते हैं और उनके कार्यों में भी उनका ये प्रेम पूंजीपति वर्ग के लिए ही नज़र आता है।अब देखिये न कुछ समय पहलेउन्होंने बाबाविश्वनाथ कॉरिडोर बनवाया और बनवाकर क्या किया, उसके संचालन का ठेका उठाकर दे दिया एक विदेशी कंपनी को,जिस काशी में भोलेनाथ के भक्त मंदिरों का संचालन और सारे कार्य भली भांति अच्छे से कर रहे थे उनको छोड़ विश्वनाथ धाम के संचालन का कार्य विदेशी कंपनी कर रही है। और अब जिसकी बात मैं करने जा रहा हूं वो ये है कि भारत की आध्यात्मिक राजधानी कहे जाने वाले बनारस में एक टेंट सिटी का निर्माण किया गया है।
गंगा मां के किनारे यह सिटी विकसित की गयी है, पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ़्रेसिंग करके उद्घाटन भी कर दिया है। हम भी बाबा विश्वनाथ के भक्त हैं, सो हमने भी सोचा चलो बढ़िया मोदी जी ने टेंट सिटी बनवाया है अगली बार जाएंगे तो वहीं रुकेंगे. इसी उधेड़बुन के बीच हमने टिकट देख लिया, और टिकट देखते ही भोले के इस भक्त को ये समझ आ गया कि मुझ जैसे लाखों भक्तों के लिए नहीं वरन् ये सिटी उन चंद रईसों के लिए बनवाई गयी है जिन्हें बनारस की छोटी छोटी गलियों की ख़ूबसूरती गंदी लगती है।
काशी में कुछ इस तरह नजर आ रही है टेंट सिटी,,,,,,,
बनारस गलियों में डूब जाने का शहर है, उन्हीं गलियों में कई छोटे बड़े धर्मशाला, होटल और रुकने के लिए कमरे मिल जाते हैं, और हां इन्हीं कमरों में और होटल में आकर विदेशी भी रुकते हैं और हम देशी लोग भी अपनी अपनी जेब के अनुसार, सबसे मुख्य बात ये है जो मैंने ऊपर कही कि बनारस के लोग कैसे काशी छोड़ने को मजबूर न हो जाएं?
उसके पीछे बड़ा कारण यह है कि ऐसे कर कर के हमारे प्यारे मोदी जी ने पहले ही भोलेनाथ के भक्तों से काशी विश्वनाथ के संचालन छीन लिया. फिर उन्होंने क्रूज सेवा चालू की. हमारे नाविक भाई लोग जो थोड़ा कमाते थे अपनी नाव से, उनकी रोज़ी रोटी कम हुई. फिर उन्होंने नमो घाट में टिकट लगा दिया और अब उन सभी होटल वालों के व्यापार पर असर पड़ने वाला है जिनके होटल में थोड़े बहुत रईस और विदेशी मेहमान रुका करते थे।
धीरे धीरे करके लोकल लोगों के व्यापार को ख़त्म कर सभी को कुछ कंपनी का ग़ुलाम बनाकर काम करना मैंने तो इतिहास में ईस्ट इंडिया कंपनी के काम करने के तरीक़े में समझा था। जाने ये बातें हमारे देशवासियों तक कब पहुंचेंगी कि हमारे प्यारे मोदी जी विकास के नाम पर सिर्फ़ आधार भूत संरचना बना रहे हैं और उनके संचालन के नाम पर लोकल लोगों की रोज़ी रोटी ख़त्म करते जा रहे हैं।
अब मुझ जैसे भोलेभक्त काशी की टेंट सिटी में तो रह नहीं पायेंगे चूंकि दो लोगों के रहने का खर्च ही 15000₹, 20000₹ से शुरू होता है। तो भैया सभी को रईसों के लिए बने इस टेंट सिटी के लिए बधाई !!और जश्न आप इस बात का मनाइए कि आप इस टेंट सिटी में रहने की आर्थिक क्षमता नहीं रखते, ये टेंट सिटी भोले के उन तमाम भक्तों को ध्यान में रख कर नहीं चंद रईसों को ध्यान में रखकर बनाई गयी है। तो समझ सकें तो समझिए नहीं तो,
"हर हर महादेव"