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वाराणसी : जीवन रक्षक इंजेक्शन की गुणवत्ता निकली खराब, पीएमसी हॉस्पिटल के संचालक को नोटिस,,,।
एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो रिपोर्ट),।एमसी हॉस्पिटल रविंद्रपुरी से लिया गया जीवनरक्षक इंजेक्शन का नमूना गुणवत्ता के मानक पर खरा नहीं उतरा है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मुताबिक, इंजेक्शन में जरूरी तत्वों की मात्रा 68.88 फीसदी है।यह मानक 100 फीसदी होना चाहिए। अब औषधि निरीक्षक एके बंसल ने हॉस्पिटल के संचालक को नोटिस देकर जवाब मांगा है। इंजेक्शन खरीद-बिक्री से संबंधित कागजात तलब किए हैं। साथ ही मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधिप्रशासन की टीम ने पीएमसी हॉस्पिटल के अंदर से जीवन रक्षक इंजेक्शन मेरोपेनेम (क्यूरेनाम-1जीएम) का नमूना एक अगस्त 2022 को लिया था। औषधि निरीक्षक ने बताया कि जांच में इंजेक्शन की गुणवत्ता खराब मिली है। इसमें मेरोपेनम की मात्रा 68.88 फीसदी पाई गई।
इसी कंपनी की एक और दवा टीवाईजेडओ-4.5जीएम में पिपरसिलिन की मात्रा 42.72 फीसदी और टैजोबॉक्टाम की मात्रा 47.09 फीसदी पाई गई है। इसके चार अन्य फर्मों के विरुद्ध नकली व कम मानक की दवा बनाने के 15 से ज्यादा मुकदमे भदोही, जौनपुर और वाराणसी दर्ज कराए गए हैं।
गंभीर मरीजों को दिया जाता है इंजेक्शन,,,,,,,
औषधि निरीक्षक ने बताया कि जिस इंजेक्शन की गुणवत्ता खराब मिली है, वह गंभीर मरीजों को दी जाती है। वेंटिलेटर के मरीजों को भी इंजेक्शन लगता है। इसके बावजूद दवाएं बेची जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में क्योर हेल्थ फार्मास्युटि कल प्राइवेट लिमिटेड दवाएं बनाती है।
गाजियाबाद के लोनी स्थित लिनिवा हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से इंजेक्शन बाजार में बेचा जाता है। इंजेक्शन की वास्तविक कीमत 70 से 90 रुपये होती है, लेकिन बाजार में ढाई से तीन हजार रुपये में बेची जाती है। लगातार कार्रवाई के बाद भी औषधि बनाने वाली कंपनियां नकली और कम मानक वाली दवाएं बेच रही हैं। इस पर अंकुश लगाने की दिशा में कार्रवाई चल रही है। पिछले साल ही भेलूपुर स्थित मेडिकल स्टोर से इसी कंपनी की दवाओं का नमूना लिया गया था। कई नमूने मानक पर खरे नहीं उतरे हैं।
कंपनी की तरफ से नकली दवा देने की जानकारी मिलते ही कदम उठाया गया और तुरंत दवाओं की आपूर्ति बंद करा दी गई। अस्पताल के एक डॉक्टर इस कंपनी की दवा लिख रहे थे, उनसे भी और जानकारी ली जा रही है। मेरे हिसाब से मामले में हॉस्पिटल की कोई भूमिका नहीं है। - डॉ. संजय चौरसिया, निदेशक, पीएमसी हॉस्पिटल