मकर संक्रांति विशेष2023 : जब सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
इस बार ये त्योहार 15 जनवरी, रविवार को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने लगता है, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं।ऐसा होने से सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक हमें प्राप्त होता है, जिससे फसल पकने लगती है व अन्य फायदे भी होते हैं। इसीलिए ये त्योहार पूरे देश में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
आगे जानिए देश के किस हिस्से में ये त्योहार कैसे मनाया जाता है।
गुजरात में उत्तरायण,,,,,,,
मकर संक्रांति का उत्सव गुजरात में बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है। इसे वहां उत्तरायण कहते हैं। इस दिन लोग पतंगबाजी करते हैं और तिल-गुड़ के पकवान विशेष रूप से खाए जाते हैं। गुजरात में पतंगबाजी के बड़े आयोजन भी किए जाते हैं, जिसे देखने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग यहां आते हैं। गुजरात का काइट फेस्टिवल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
असम में बिहू,,,,,,,
बिहू असम के मुख्य त्योहार है। साल में अलग-अलग मौकों पर बिहू पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर माघ बिहू का पर्व असम में मनाया जाता है। माघ बिहू के पहले दिन को उरुका कहा जाता है। इस मौके पर लोग परंपरागत नृत्य करते हैं और विशेष पकवान बनाते हैं। बिहू उत्सव में असम की लोकसंस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व,,,,,,,
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहते हैं। इस दिन वहां खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश में लोग मकर संक्रांति पर किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं, और इसके बाद जरूरतमंदों को दाल-चावल की खिचड़ी दान करते हैं। शीत ऋतु में खिचड़ी खाना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है।
तमिलनाडु में पोंगल,,,,,,,
तमिलाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाताहै। ये उत्सव 4 दिनों तक चलता है। इस मौके पर पशुओं को सजाया जाता है। उनके सींगों पर चित्रकारी की जाती है। भगवान को नई फसल का भोग लगाया जाता है। इस मौके पर जल्ली कट्टू का आयोजन किया जाता है। ये खेल पोंगल का मुख्य आकर्षण होता है।
पंजाब में मनाते हैं लोहड़ी,,,,,,,
मकर संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। लोहड़ी की शाम को परिवार के लोग एक स्थान पर इकट्ठा होकर अग्नि जलाते हैं और इसके आस-पास नाचते-गाते हैं। अग्नि में तिल, मूंगफली और मक्के के दाने डालकर आहुति दी जाती है। सिंधी समाज के लोग भी इस त्योहार को बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं।