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बनारस के इन दो घाटों पर बंद मुर्दा चौकी को फिर से चालू करेगी वाराणसी नगर निगम?जानिए कैसे मिलेगा इसका फायदा,,,।

वाराणसी: काशी में एक तरफ जहां पर्यटकों का आना लगा रहता है,तो मोक्ष की नगरी काशी में अपनों को मोक्ष दिलवाने की इच्छा लेकर भी देश-विदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग महाश्मशान मणिकर्णिका घाट भी पहुंचते हैं।

मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था अनादि काल से चली आ रही है। लेकिन, बदलते वक्त के साथ यहां चीजें बदलती गईं और तमाम नियम कानूनों में बदलाव होते रहे है। लेकिन, अंग्रेजों के समय से मणिकर्णिका घाट पर शुरू हुई एक व्यवस्था 1994-95 में अचानक बंद कर दी गई थी। यह पुरानी व्यवस्था थी महाश्मशान मणिकर्णिका पर दाह संस्कार के तुरंत बाद मुर्दा चौकी से मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध होने की।
तमाम दुश्वारियां और शिकायतों के बाद इस व्यवस्था को यहां से बंद कर दिया गया था। लेकिन, बदलते वक्त और मृत्यु उपरांत मृत्यु प्रमाण पत्र की बढ़ रही जरूरत एक बार फिर से इस व्यवस्था को मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए नगर निगम वाराणसी को जिम्मेदारी के साथ प्लानिंग दी गई है।

इस बारे मेंनगरस्वास्थ्यअधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं, यहां पर एक पुरानी व्यवस्था के तहत मुर्दाचौकी हुआ करती थी, जहां पर मृतक की जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ ही जो व्यक्ति चिता को अग्नि देता था, उस आधार पर एक रसीद काटी जाती थी, रसीद बाद में नगर निगम में जमा करने पर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध हो जाता था और इसका सबसे बड़ा फायदा मृतक के परिजनों को होता था। परिजन उस स्लिप का प्रयोग कई तरह के कागजी कार्यों में भी कर लिया करते थे। यहां तक कि संपत्ति बंटवारे तक में हिस्सेदारी के काम में भी उसका उपयोग होने लगा था, जो विवाद की वजह बन रहा था।
इन्हीं दुश्वारियां की वजह से तत्कालीन नगर आयुक्त हरदेव सिंह ने इस मुर्दा चौकी को बंद करने के निर्देश दिए थे, और इसे 1995 में ही बंद करवा दिया गया था, तब से यह व्यवस्था रुकी हुई है.। लेकिन, अब एक बार फिर से इस व्यवस्था को संचालित करने का प्लान नगर निगम ने बनाया है इसके लिए वाराणसी नगर निगम मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट दोनों स्थानों पर मुर्दा चौकी की व्यवस्था फिर से लागू करने जा रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि काशी में आने वाले शवों के दाह संस्कार का ब्यौरा नगर निगम के पास इकट्ठा होगा. क्योंकि, अभी तक नगरनिगम या वाराणसी प्रशासन के पास कोई डाटा उपलब्ध नहीं है कि वाराणसी के इन दो श्मशान घाटों पर प्रतिदिन कितने शवों का दाह संस्कार हो रहा है। यहां तक कि कई बार विवादित स्थिति में भी शवों कादाहसंस्कार चोरी छिपे कर दिया जाता है।
