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शनिचरी अमावस्या विशेष : आइए जानते हैं उस पहाड़ी के बारे में जहां राम भक्त हनुमान जी की जन्मस्थली है,,,।
एजेंसी धर्म और आस्था डेस्क : : हनुमान जी,,जिनका नाम सुनते ही दिल और दिमाग में उनकी एक विशाल प्रतिमा चित्रित हो जाता है। मन में एक अलग सा आत्मविश्वास बन जाता है।
ऐसा लगता है कि जैसे कोई साथ खड़ा है और कह रहा हो "डर मत..मैं हूं साथ तेरे"। पूरे देश में कई ऐसे स्थान है, जहां महाबली के विशाल मंदिर स्थित है और पूरे विश्व में विख्यात भी है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिरकार हनुमान जी जन्म कहां हुआ था?
दरअसल, हनुमान जी के जन्म को लेकर कई मिथक भी कहे जाते हैं लेकिन अगर अतीत के पन्नों में झांका जाए तो ये पवित्र स्थान अंजनाद्रि पर्वत मालूम पड़ता है। रामायण में जिस किष्किंधा की बात की गई है, वर्तमान में उसे हम्पी के नाम से जाना जाता है, जो कर्नाटक राज्य में स्थित है। इसी स्थान पर हनुमान जी जन्मस्थली बताई जाती है।
रामायण में किष्किंधा के आस पास के जिन जगहों के बारे में बताया गया है, वे सभी स्थान वर्तमान में हम्पी और उससे 20 किमी की दूरी पर स्थित अनेगुंडी गांव के आसपास में स्थित है। अनेगुंडी गांव, कोप्पल जिले में पड़ता है, अंजनाद्रि पर्वत इसी गांव में स्थित है। किष्किंधा कांड के अनुसार, अंजनाद्रि पर्वत के आसपास में पंपा सरोवर, बालि किला, मधुबन, ऋषिमुख पर्वत थे, जो वर्तमान समय में देखने को मिल जाएंगे।
यंत्रोधारक आंजनेय मंदिर,,,,,,,
अंजनाद्रि पर्वत पर भगवान राम, महाबली हनुमान और माता अंजनी को समर्पित यहां मंदिर है, जहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर का नाम यंत्रोधारक आंजनेय मंदिर है, जहां पहुंचने के लिए लगभग 575 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। इसकी चढ़ाई सुबह 08:00 बजे से शुरू होती है, जो शाम 06:00 तक चलती है। यहां आपको भगवान राम को समर्पित भी एक मंदिर देखने को मिल जाएगा, जहां आप जाकर मत्था टेंक सकते हैं।
बालि किला,,,,,
यहां आपको बालि किला भी देखने को मिलेगा, जिन्हें रामायण में किष्किंधा नरेश के नाम से जाना जाता है। यह किला आज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां आने वाला हर पर्यटक यहां घूमने जाता है और इसकी पहाड़ी सरंचना और पौराणिक महत्व के बारे में करीब से जानने की कोशिश करता है।
अनेगुंडी गांव,,,,,
आनेगुंडी गांव, हम्पी से लगभग 10 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यह 14वीं से 16वीं शाताब्दी तक विजयनगर साम्राज्य की क्षेत्रीय राजधानी के रूप में जानी जाती थी। कहा जाता है कि यह स्थान हम्पी से भी पुराना है। रामायण के अनुसार इसे सुग्रीव (वानर राजा) द्वारा शासित किष्किन्धा राज्य माना जाता था।
शेष फिर अगले अंक में विशेष लेख के साथ,,,ए.के.केसरी।
(श्री बजरंग बली की जय) "जय श्री राम"