गंगासागर न्यूज़
गंगासागर मेला शुरू होते ही तेज हुई UNESCO से मान्यता दिलाने की मांग, 26 लोगों की विशेष टीम हुई गठित,,,।
एजेंसी डेस्क : (ब्यूरो,गंगासागर)। बंगाल की दुर्गा पूजा को यूनेस्को से पिछले साल मान्यता मिल चुकी है और अब ममता सरकार गंगासागर मेले को भी यही दर्जा दिलाने के प्रयास में है।
इस बाबत दक्षिण 24 परगना जिले के डीएम सुमित गुप्ता के नेतृत्व में 20 अधिकारियों व 6 इतिहासकारों को लेकर एक विशेष टीम गठित की गई है, जो गंगासागर मेले के इतिहास व इससे जुड़े तथ्यों को संग्रह कर रही है, जिनके आधार पर यूनेस्को के पास मजबूती से दावेदारी पेश की जाएगी। इस बीच गंगासागर मेला शुरू होते ही यह मांग जोर पकड़ने लगी है।
कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी संजय दास ने दोहराया कि जिस तरह कुंभ मेले को यूनेस्को से मान्यता मिल चुकी है, उसी तरह गंगासागर मेले को भी मिलनी चाहिए।
गंगासागर मेले का अपना विशेष महत्व है। विश्व के मानचित्र पर यह बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, जहां खुद मां गंगा स्वर्ग से चलकर पृथ्वी पर आई थीं और राजा सागर के 60,000 पुत्रों का उद्धार किया था।' गंगासागर के लोग भी चाहते हैं कि उनके पुण्य धाम को जल्द से जल्द यूनेस्को से मान्यता मिले।
गंगासागर के कचुबेरिया इलाके के रहने वाले सुनील सरकार ने कहा कि यह कुंभ के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जहां हिंदुओं की आस्था के महापर्व मकर संक्रांति पर देश के विभिन्न राज्यों के अलावा नेपाल, भूटान, मॉरीशस समेत विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री मोक्ष की कामना लिए पुण्य स्नान करने आते हैं। यूनेस्को से मान्यता दिलाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार, दोनों को प्रयास करना चाहिए।
केंद्र सरकार कर रही है पूरा प्रयास,,,,,,,
इस बारे में बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा- 'केंद्र सरकार गंगासागर मेले को यूनेस्को से मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत है। हमारी पार्टी की तरफसे इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा जा चुका है। बंगाल की दुर्गा पूजा को यूनेस्को से मान्यता दिलाने में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह अकेले राज्य सरकार के बूते संभव नहीं है।वहीं, दूसरी तरफ माकपा का भिन्न मत है। पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम का कहना है कि कुंभ और गंगासागर मेले की तुलना नहीं की जा सकती है।
कुंभ मेले का महत्व गंगासागर मेले से कहीं ज्यादा है। जहां तक दुर्गा पूजा की बात है तो बंगाल की नहीं बल्कि कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को से मान्यता मिली है।