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वाराणसी: नए साल पर काशी में टूटा रिकॉर्ड, विश्वनाथ कॉरिडोर से गंगा घाट तक लगी कतार

वाराणसी: नए साल पर काशी में टूटा रिकॉर्ड, विश्वनाथ कॉरिडोर से गंगा घाट तक लगी कतार



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वाराणसी । साल के पहले दिन जिले में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की मौजूदगी के पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। जिला प्रशासन द्वारा की गईं तैयारियां एक झटके में नाकाफी साबित होने लगीं। अत्यधिक भीड़ के कारण ट्रैफिक पुलिस को अपना डायवर्सन प्लान भी आननफानन में बदलना पड़ा।


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विश्वनाथ कॉरिडोर में लगाई गई बैरिकेडिंग भरने के बाद श्रद्धालुओं की कतार गंगा घाट पर लगी रही।

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भीड़ का आलम यह था कि ज्ञानवापी से दशाश्वमेध के बीच ही नहीं बल्कि गुरुबाग से ही मुख्य मार्ग पर पर्यटकों का ऐसा रेला लगा था मानो सावन का सोमवार या महाशिवरात्रि का मौका हो। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में लाखों लोगों की भीड़ लगी रही। इस क्षेत्र में भीड़ का दबाव आधी रात के बाद से ही बढ़ने लगा था।


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भोर में 3:00 बजे आलम यह था कि भक्तों की कतार ज्ञानवापी से गोदौलिया तक लगी थी। इस मार्ग पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी। दर्शन करने के बाद का विश्वनाथ धाम में समय बिताने की अभिलाषा लिए पहुंचे बहुत से लोगों को उस वक्त निराशा हुई जब भीड़ नियंत्रित करने के लिए विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन ने दर्शन करने के बाद लोगों को कॉरिडोर में रुकने नहीं दिया।

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गंगाद्वार से दशाश्वमेध घाट और घाट से गोदौलिया होते हुए ज्ञानवापी तक सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे। उम्मीद से कहीं अधिक पर्यटकों की भीड़ के कारण जिला प्रशासन को अपनी तमाम प्लानिंग में तत्काल परिवर्तन करना पड़ा। खासतौर पर ट्रैफिक डायवर्जन को नए सिरे से लागू करना पड़ा।

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सुबह 10:00 बजे तक चार पहिया वाहनों का आवागमन भेलूपुर से गिरजाघर, रथयात्रा से गिरजाघर और लहुराबीर से बेनियाबाग तक जारी रहा लेकिन 10:30 बजते-बजते इन जगहों से भी चार पहिया वाहनों का आवागमन रोक देना पड़ा। तेलियाबाग चौराहे पर ही बैरिकेड करके चार पहिया वाहनों को सिगरा की तरफ मोड़ दिया गया।

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उधर गुरुबाग से ही चार पहिया वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। इससे चार पहिया वाहन रथयात्रा तक घंटों जाम में फंसे रहे। भीड़ का दबाव बढ़ने पर विश्वनाथ मंदिर की ओर जाने वाले सभी प्रमुख चौराहों से दोपहिया वाहनों का भी आवागमन रोक देना पड़ा। दोपहर 12:00 बजे स्थिति यह थी कि बेनिया, लक्सा और सोनारपुरा से ही रास्ते बंद कर देने पड़े।


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वर्ष 2022 के अंतिम दिन नए साल की पूर्व संध्या पर ही बाबा विश्वनाथ की एक झलक पाने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। इससे भोर से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। सुबह मंगला आरती के बाद जब आम दर्शनार्थियों के लिए पट खोला गया तो दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। इसके लिए पहले से ही मंदिर प्रशासन की ओर से बैरियर लगाकर व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई गई थी। सुबह से लेकर शयन आरती तक दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन पूजन किए।




नए साल पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए सभी तरह के टिकट पहले से बंद कर दिए गए हैं। प्रोटोकॉल भी प्रतिबंधित है। मंदिर परिसर में पूर्व की भांति किसी भी गेट से मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक गैजेट वगैरह प्रतिबंधित है। जो दर्शनार्थी जिस प्रवेश द्वार से प्रवेश कर रहा है उसे निकासी भी उसी दिशा में की जा रही है। इसके लिए मंदिर प्रशासन ने चारों ओर बैरिकेडिंग की है।


मैदागिन से आने वाले दर्शनार्थी छत्ता द्वार होते हुए मंदिर चौक भेजे जा रहे हैं। गर्भगृह के उत्तरी द्वार पर जाकर दर्शन पूजन कर रहे हैं। गंगा की ओर से आने वाले दर्शनार्थी मंदिर के पूर्वी द्वार पर बाबा को जल चढ़ा रहे हैं। सरस्वती फाटक की तरफ से आने वाले दर्शनार्थी गर्भ गृह के दक्षिणी द्वार पर और ढूंढीराज प्रवेश द्वार से आने वाले दर्शनार्थी गर्भगृह के पश्चिमी द्वार से बाबा को जल चढ़ा रहे हैं।