काशी शिव बारात न्यूज़
काशी में धूमधाम हर्षोल्लास से निकली बाबा की बारात,,बाबा से पहले बरात में पहुंचा उनका रजत दंड,, जी 20 देशों के प्रतिनिधि हुए शामिल,,,।
काशी में महाशिवरात्रि यानी यहां के हर वासी के परमप्रिय शिव के विवाह का मौका।हर कोई बाराती बनने को लालायित। जाति-धर्म के बंधन से ऊपर बनारसी मौज मस्ती का लिबास पहने काशी की प्रधान शिव बरात अपने खास अंदाज में निकाली गई।
पांचवें दशक की पहली बारात में संकल्प के अनुसार बाबा की पंचबदन प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जानी थी लेकिन परंपरा को वरीयता देते हुए नियमानुसार बाबा से पहले बाबा का रजत दंड शिव बरात का हिस्सा बना।
शिव के गण बने युवकों द्वारा जी-20 राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों का मुखौटा लगा कर शामिल होना शिव बारात का एक और नयापन रहा। जी-20 के लोगो का इलेक्ट्रानिक संस्करण भी आकर्षण का केंद्र बना रहा।
मैदागिन से निकाली गई शिव बरात में परम्परागत रूप से देवी देवता, किन्नर, जादूगर, सपेरा, भूत पिशाच बाराती बने तो मटका फोड़ होली, बरसाने की लट्ठमार होली, काशी की मसाने की होली फागुन के अलग-अलग चेहरे दिखा रही थी।
बारात में प्रतीक दूल्हा कवि सुदामा प्रसाद तिवारी 'सांड़ बनारसी बने तो व्यापरी नेता हाजी बदरुद्दीन दुल्हन बनकर रथ पर बैठे। वहीं 80 साल के डा. अमरनाथ शर्मा 'डैडी सहबाला बने।
जगह-जगह सामाजिक संस्थाओं की ओर से बारातियों के लिए फलाहारी, ठंडई,पान आदि का प्रबंध किया गया। बुलानाला, चौक, ज्ञानवापी, गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क पहुंचने पर शिव-पार्वती विवाह की लीला हुई। मार्ग में पड़ने वाले विभिन्न व्यापार मंडलों की ओर से पुष्प वर्षा की गई। बरात देखने केलिए हजारों की संख्या में लोग मुख्य मार्ग के दोनों ओर के भवनों के खिड़की, बरामदों और छतों पर खड़े थे। कई विदेशी टीवी चैनलों की टीमें शिव बरात को अपने अपने हिसाब से फिल्माने में व्यस्त दिखीं।
छह घंटे में पूरी हुई तिलभांडेश्वर से निकली बरात की परिक्रमा,,,,,,,
तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर से निकाली गई अद्भुत शिव बरात ने केदार खंड में छह घंटे से अधिक समय तक परिक्रमा की। पूर्वाह्न करीब साढ़े दस बजे आरंभ हुई शिवबरात पांडेयघाट,मानसरोवर, चौकीघाट, केदार घाट, चिंतामणि गणेश मंदिर होते सोनारपुरा चौराहे पर पहुंची। गलियों में बमुश्किल एक किमी का दायरा तय करने में पांच घंटे से अधिक लगे। इसके बाद बरात भेलूपुर चौराहा होते हुए पुन:तिलभांडेश्वर मंदिर पहुंची। भगवान शिव की लीलाओं पर केंद्रित सजीव झांकियां इस बार खास आकर्षण रहीं। सुरक्षा कारणों से ऊंट और हाथियों को शामिल करने पर रोक लगा दी गई थी।
तिलभांडेश्वर मंदिर से भव्यबारात आरंभहोने पर स्थानीयमहिलाओं ने भगवान शिव के स्वरूप का सूप, मूसल, लोढ़ा से परछन कर दही-गुड़ खिलाया।
वाराणसी शहर के मुकीमगंज और बैजनत्था क्षेत्र में भी भव्य शिव बरात निकाली गई।