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वाराणसी : इको फ्रेंडली रंगों से नहाएंगे बाबा काशी विश्वनाथ, गौना में 4 दिन बाद पालक, हल्दी, मेथी, चुकंदर से बन रहे गुलाल

वाराणसी : इको फ्रेंडली रंगों से नहाएंगे बाबा काशी विश्वनाथ, गौना में 4 दिन बाद पालक, हल्दी, मेथी, चुकंदर से बन रहे गुलाल


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वाराणसी । नगर में 3 मार्च को रंगभरी एकादशी पर माता गौरी और बाबा विश्वनाथ का गौना होगा। बाबा विश्वनाथ माता पार्वती की विदाई कराकर जब लौटेंगे तो काशी में जश्न और उत्सव मनाया जाएगा। काशीपुराधिपति खादी परिधान और मखमली राजशाही पगड़ी पहनकर माता की विदाई कराएंगे। वहीं, मां गौरी घाघरा में काशी से कैलाश पर्वत की ओर निकलेंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं और शिव भक्तों की भीड़ होगी।




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हजारों कुंतल रंगी-अबीर गुलाल के साथ बाबा और माता की पालकी निकलेगी। उसी दिन मसाने की अड़बंगी होली खेली जाएगी। हरिश्चचंद्र घाट से लेकर मणिकर्णिका घाट पर चिताभस्म की होली होगी। गाेदौलिया से लेकर मैदागिन तक सैकड़ों झांकियों में बाबा का गौना निकलेगा।


स्थानीय लोग अपने घरों के छतों और रेलिंग से बाबा और माता गौरी की पालकी पर रंग फेकेंगे। औघड़, काली और शिव के गण सड़कों पर तांडव करेंगे। वहीं, इस बार जो गुलाल बाबा काशी विश्वनाथ पर उड़ाया जाएगा, उसे मथुरा कारागार में बंद 6 कैदियों ने तैयार किया है। बाबा की राजशाही पगड़ी यहीं के वस्त्र कलाकार नंदलाल अरोड़ा ने तैयार किया है।


इको फ्रेंडली गुलाल से नहाएंगे बाबा विश्वनाथ


श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी ने कहा कि यह गुलाल पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगा। अरारोट में कई तरह के वेजिटेबल चूर्ण मिलाकर रंग तैयार किए जा रहे हैं। इसमें पालक, मेथी, चुकंदर का पीसा हुआ लेप भी होगा। वहीं, इस मिश्रण पर तरह-तरह के कलर्स भी डाले जा रहे, जिससे इनका रंग अलग-अलग हो। इसे सुगंधित बनाने के लिए परफ्यूम का भी छिड़काव किया जा रहा है। वहीं, हल्दी पाउडर से एक पीला रंग भी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मथुरा के जेल में बन रहे इन गुलालों को 2-3 दिन में वाराणसी ले आया जाएगा।