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वाराणसी, रामनगर थाना::8 महीने पहले तस्करी से बचे 16 ऊंटों में से 6 की मौत,प्रशासन जिम्मेदार?

वाराणसी, रामनगर थाना::8 महीने पहले तस्करी से बचे 16 ऊंटों में से 6 की मौत,प्रशासन जिम्मेदार?



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एजेंसी डेस्क : (वाराणसी, ब्यूरो)।उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के रामनगर थाना क्षेत्र में पुलिस ने बीते साल 27 जून2022 की रात तस्करों के चंगुल से 16 ऊंटों को मुक्त कराया था। फिर उन्हें अपने घर राजस्थान वापस भेजा जाना था लेकिन कोर्ट और प्रशासन के बीच मामला इधर से उधर होने पर 6 ऊंटों ने दम तोड दिया, वहीं कोर्ट के आदेश के बावजूद जिला प्रशासन ने बिना सुरक्षा और चिकित्सकों के ही 8 महीने बाद 10 ऊंटों को राजस्थान के सिरोही भेज दिया।

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मवेशियों के लिए काम करने वाली संस्था गौ ज्ञान फाउंडेशन ने अपने खर्चे पर दो ट्रकों से 10 ऊंटों को राजस्थान भिजवाया। ऊंटों के चारा, पानी का इंतजाम संस्था ने किया, जबकि दवा का इंतजाम पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा कराया गया। रेगिस्तान के जहाज राजस्थान के सिरोही स्थित पीपुल्स फॉर एनिमल आश्रय में भेजे गए। गौ ज्ञान फाउंडेशन ने दो ट्रकों कीव्यवस्था की और उसमें बालू रखवाकर पांच-पांच ऊंटों को सवार कराया. इन्हें 27 जनवरी 2023 की शाम पांच बजे रवाना किया गया।

क्या है ऊटो का पूरा मामला?,,,,,,,

वाराणसी कमिश्नरेट की रामनगर थाने की पुलिस ने 27 जून की रात गौ-ज्ञान फाउंडेशन की मदद से तस्करी के लिए पश्चिम बंगाल ले जा रहे वाहन से 16 ऊंट बरामद किए थे। मौके से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। छुड़ाए गए ऊंटों को रामनगर थाना क्षेत्र में ही रखा गया था।

मवेशियों के लिए कामकरनेवाली संस्था गौ-ज्ञान फाउंडेशन ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी के जरिए, वाराणसी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोर्ट नंबर-1 के यहां वाराणसी में ऊंटों के प्रतिकूल मौसम और वातावरण की वजह से इनकी तबीयत खराब होने की बात रखी थी।

अदालत में याचिका दाखिल कर अनुरोध किया था कि सभी ऊंटों को राजस्थान के सिरोही स्थित पीपुल फॉर एनिमल आश्रय स्थल पहुंचाने का आदेश दिया जाए, 8 जुलाई को वाराणसी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोर्ट नंबर-1 ने आदेश दिया कि ऊंटों की अंतरिम कस्टडी गौ-ज्ञान फाउंडेशन को सौंपी जाए। कोर्ट ने कहा कि वाराणसी के जिलाधिकारी सभी ऊंटों को सकुशल सिरोही स्थित पीपुल फॉर एनिमल आश्रय स्थल पहुंचाने की व्यवस्था कराएं।

इसके बावजूद डीएम ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी। कोर्ट ने डीएम को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। इसके बाद डीएम ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था जिसे अदालत ने स्वीकार तो कर लिया और पिछले आदेश पर रोक लगा दी।

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सितंबर में उच्च न्यायालय ने जिला अदालत को आदेश दिया कि हर हालत में सितंबर के आखिरी तक मामले का निस्तारण करें। आखिरकार जिला अदालत में ऊंटों को ज्ञान फाउंडेशन के खर्च पर राजस्थान के सिरोही भेजने और फाउंडेशन को कस्टडी देने का आदेश दिया था,इसके बाद संस्था ने धनराशि इकट्ठा कर बीते 27 जनवरी को रेगिस्तान के जहाज को सिरोही भिजवाया। उधर, खान-पान में कमी और पालन पोषण के अभाव में एक-एक कर छह ऊंटों ने दम तोड़ दिया, बचे हुए ऊंटों की अंतरिम अभिरक्षा गौ ज्ञान फाउंडेशन को सौंपने का आदेश पिछले 1 दिसंबर को एसीजेएम प्रथम नीतेश कुमार सिन्हा की कोर्ट ने रामनगर पुलिस को दिया था।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का क्या आदेश है?,,,,,,,

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने सभी जब्त ऊंटो को बिना देरी किए राजस्थान भेजने का आदेश जिलाधिकारी वाराणसी को दिया ऊंटों की मौत के लिए दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। अपने आदेश में बोर्ड नें स्पष्ट तौर पर कहा है की ऊंटों को कानूनन किसी दूसरे राज्यों में नहीं रखा जा सकता है।

उधर, गौ ज्ञान फाउंडेशन के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि 31 अगस्त को पुलिस द्वारा तैयार रिपोर्ट मिली थी। जिसके मुताबिक दूसरे ऊंट की मौत भी 29 अगस्त को हो गई। अबतक छह ऊंट पुलिस कस्टडी में मर चुके हैं। पुलिस नें कोर्ट के आदेश के विरुद्ध जाकर स्थानीय पशुपालकों को बचे 15 ऊंटों की कस्टडी 20 अगस्त 2022 को दी थी। जिनमें से दूसरा ऊंट 29 अगस्त को मर गया, दो अन्य ऊंट नवंबर महीने तक मर चुके थे। जबकि 27 जनवरी 2023 को 10 ऊंटों की ही कस्टडी गौ ज्ञान फाउंडेशन को दी गई। और 6 के मरने की पुष्टि कर दी गई है।

ऊंटों की मौत के दोषियों पर क्या है सजा का प्रावधान?,,,,,,,

ऊंट प्रकरण में प्रथम दृष्टया ही रामनगर थानाध्यक्ष और केस के विवेचक पर सीधे तौर पर न्यायालय के अवमानना का मामला बनता है। क्योंकि एसीजेएम-प्रथम और जिला, सत्र न्यायालय, वाराणसी के फैसले से स्पष्ट है की गौ ज्ञान फाउंडेशन को पुलिस द्वारा ऊंटों की अंतरिम कस्टडी सौंप देना चाहिए, जबकि पुलिस द्वारा गैर-कानूनी रुप से दूसरें लोगों को ऊंटों को सौंपा गया। ऊंटों के मौत के मामले में दोषियों के खिलाफ पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 के तहत मुकदमा भी दर्ज होगा।

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पूरा घटनाक्रम एक नजर में,,,,,,,

26 जून को वाराणसी कमिश्नरेट की रामनगर थाना पुलिस ने 16 ऊंटों के साथ 3 लोगों को गिरफ्तार किया था।

2022 की 7 जुलाई के आदेश द्वारा एसीजेएम-प्रथम की अदालत द्वारा ऊंटों को राजस्थान भेजने के लिए जिलाधिकारी वाराणसी को निर्देशित किया था, जिसके विरुद्ध जिलाधिकारी कि तरफ से सत्र के समक्ष निगरानी याचिका दाखिल की गई थी। गौ ज्ञान फाउंडेशन द्वारा अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ऊंटों के जीवन हेतू हस्तक्षेप की मांग की गई थी, जिसपर 15 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने जिला जज को 30सितंबर तक निगरानीयाचिका पर सुनवाई कर फैसला देने का निर्देश दिया था, जिसके उपरांत 30 सितंबर को जिला जज की अदालत द्वारा एसीजेएम-प्रथम के 7 जुलाई के फैसले को निरस्त कर दिया गया था।

एसीजेएम-प्रथम, नीतेश कुमार सिन्हा की अदालत द्वारा ऊंटों को राजस्थान के सिरोही भेजने का फैसला 1 दिसंबर को दिया गया।

पिछले फैसले का मुख्य बिंदु ,,,,,,

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम-प्रथम) नीतेश कुमार सिन्हा की अदालत द्वारा फैसला देते हुए सभी जीवित बचे 12 ऊंटों की अंतरिम अभिरक्षा गौ ज्ञान फाउंडेशन को सौंप दिया गया।

एसीजेएम -प्रथम, नीतेश कुमार सिन्हा कि अदालत द्वारा अपने फैसले में कहा है कि वाराणसी में पुलिस द्वारा पशुपालकों को ऊंट सौंपे जाने के दौरान 4 ऊंटों का मरना स्पष्ट करता है किवाराणसी में ऊंटों के रखे जाने हेतू अनुकूल माहौल नहीं है।

अदालत ने थानाध्यक्ष/विवेचक, रामनगर को सभी बचे 12 ऊंटों की अंतरिम अभिरक्षा गौ ज्ञान फाउंडेशन को सौंपनें का निर्देश दिया है।

अदालत द्वारा आदेश मेंवाराणसी से सिरोही, राजस्थान ऊंटों के परिवहन हेतू भोजन और चिकित्सा व्यवस्था, अन्य आवश्यक व्यवस्था जिलाधिकारी वाराणसी को करने का निर्देश दिया है।

दो ऊंटों की मौत पर संशय में है गौ ज्ञान फाउंडेशन,,,,,,,

राजस्थान रवाना करते समय मात्र 10 ऊंट ही बचे थे, पुलिस ने जब फाउंडेशन को इन 10 ऊंटों को सौंपा तो फाउंडेशन के अधिवक्ता सौरभ तिवारी और शशांक शेखर तिवारी ने एतराज जताया, अधिवक्ताओं ने रामनगर पुलिस से मृत ऊंटों का पोस्ट मार्टम रिपोर्ट मांगा। इस दौरान पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया जाएगा, अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में जिला प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा है।