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वाराणसी में बेहद चमत्कारी कुंड, जहां सच्चे मन से दर्शन और स्नान करने से होती है मनाेकामना पूरी,,,।
एजेंसी खोज डेस्क : महादेव की नगरी काशी की महिमा ही अद्भुत निराली है। काशी आपको हमेशा अपना सा लगेगा। वैसे काशी, वाराणसी और बनारस सब एक ही हैं। बाबा विश्वनाथ मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, जबकि घाटों में हर दिन भक्त पाप-मुक्ति के लिए पवित्र गंगा नदी में स्नान करने आते हैं।
धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध काशी को मंदिरों का घर कहा जाता है। जहां दुनियाभर से पर्यटकों का ताता लगा रहता है और वे सब अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं।
वाराणसी में वैसे तो बहुत सारी रहस्यमयी और चमत्कारी जगहें हैं, लेकिन हम आपको एक ऐसे चमत्कारी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर स्नान मात्र से ही मनोकामना पूर्ति होती है। बताया जाता है कि भाद्रपद की षष्टी तिथि को वाराणसी के इस कुंड के दर्शन और स्नान करने का विशेष महत्व है। ये कुंड बहुत ही फलदायी है।
मनोकामना पूर्ति के लिए यहां दर्शन करने जाएं,,,,,,,
काशी के इस शक्तिशाली कुंड का नाम लोलार्क कुंड है। जहां पर स्नान करने से चर्म रोग से निजात मिलती है। अगर आप संतान प्राप्ति की कामना के साथ इस कुंड में सच्चे मन और श्रद्धा जो दंपत्ति स्नान करते हैं उन्हें कुंड आर्शीवाद देता है। जिस भी अच्छे कार्य की मनोकामना लेकर आप इस कुंड में स्नान करते हैं वो सिद्ध होते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए हिंदू धर्म में लोग कई उपाय करते हैं।महिलाएं अपनी सूनी गोद को भरने के लिए भगवान से मन्नतें मांगती हैं, और व्रत रखती हैं। लेकिन इस कुंड में महिलाओं को संतान प्राप्ति के लिए दर्शन करने चाहिए और स्नान करना चाहिए।
वाराणसी में कहां है लोलार्क कुंड,
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में मोहल्ला अस्सी भदैनी क्षेत्र में लोलार्क कुंड स्थित है। वाराणसी कैंट स्टेशन से इसकी दूरी 5 किलोमीटर है।
वाराणसी के इस दिव्य कुंड की विशेष महत्ता है। जिसे सूर्य कुंड के नाम से भी जाना जाता है। इस दिव्य कुंड के बारे में बताया जाता है कि, देवासुर संग्राम के दौरान भगवान सूर्य के रथ का पहिया यहीं पर गिरा था। जिसके बाद से इस कुंड का निर्माण हुआ।
तब से आज तक काशी में सूर्य उदय होने पर सबसे पहली किरण इस कुंड पर पड़ती है। जिससे इस दिव्य कुंड में स्नान करना बहुत गुणकारी बताया जाता है।