मद्रास न्यूज
क्या होता है 'खुला' तलाक? मद्रास हाईकोर्ट ने इस मुस्लिम तरीके पर सुनाया बड़ा फैसला,,,।
एजेंसी डेस्क : मद्रास हाईकोर्ट ने मुस्लिम समुदाय के खुला तलाक पर बड़ा फैसला सुनाया है। आइये आपको बताते हैं खुला तलाक क्या होता है और कोर्ट ने इसपर क्या कहा?
What is Khula Talaak: एक खुशहाल परिवार के लिए पति-पत्नी के बीच एक मजबूत रिश्ता होना जरूरी है. इस्लामिक कानून में, शादी दो पक्षों के बीच एक अनुबंध है, लेकिन कुछ मामलों में पति-पत्नी को अपने वैवाहिक संबंधों को निभाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जिससे उनके बीच तलाक हो जाता है, इस्लामिक कानून में तलाक को एक बुराई माना जाता है। लेकिन कुछ मामलों में इस बुराई को एक आवश्यकता के रूप में माना जाता है क्योंकि जब शादी के पक्षकारों के लिए आपसी प्रेम और स्नेह के साथ अपने रिश्ते को बनाए रखना असंभव हो जाता है, तो इस्लाम उन्हें अलग होने और अलग रहने की अनुमति देता है।
तलाक की पहल,,,,,,,
तलाक की पहल पति या पत्नी में से किसी एक द्वारा की जा सकती है. इस्लामिक कानून में तलाक का आधार पति-पत्नी के एक साथ रहने में असमर्थता है। अगर पति-पत्नी एक साथ खुश नहीं हैं तो उनके लिए नफरत और गुस्से के माहौल में एक साथ रहने के लिए मजबूर करने के बजाय अलग और स्वतंत्र रूप से रहना बेहतर है।
पत्नी द्वारा तलाक,,,,,,,
पैगंबर मोहम्मद (S.A.W) के अनुसार, "यदि एक महिला को शादी से पूर्वाग्रह है, तो इसे तोड़ दें"। इस्लामी कानून में यह सार है कि महिलाओं को अपने पतियों को तलाक देने का उचित अवसर दिया जाता है यदि वे अपने वैवाहिक संबंधों को निभाने में सक्षम नहीं हैं। आम तौर पर ऐसे दो तरीके होते हैं जिनमें एक महिला अपने पति को तलाक दे सकती है। पहले पति-पत्नी के आपसी समझौते यानी खुला और मुबारत के जरिए, दूसरे, एक न्यायिक डिक्री के माध्यम से पति के खिलाफ कानून की अदालत में मुकदमा दायर करके यानी मुस्लिम विवाह अधिनियम, 1939 के विघटन के तहत।
तलाक-उल-बैन,,,,,,,
मुस्लिम कानून के तहत, पति या पत्नी की इच्छा से या दोनों के आपसी समझौते से विवाह को समाप्त किया जा सकता है। यदि पति के अनुरोध पर विवाह भंग हो जाता है तो इसे तलाक कहा जाता है। इसी तरह, पत्नी भी अपने पति को तलाक दे सकती है यदि वह इस बात से संतुष्ट है कि वे दोनों अपने वैवाहिक संबंधों को निभाने में सक्षम नहीं हैं, मुस्लिम महिला अपने आप को वैवाहिक बंधन से मुक्त कर सकती है जिसके लिए पति को उसे एक खुला देना होगा और जब उन्होंने ऐसा किया है तो तलाक-उल-बैन होगा।
मद्रास हाईकोर्ट का फैसला,,,,,,,
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के पास यह विकल्प है कि वे 'खुला' (तलाक के लिए पत्नी द्वारा की गई पहल) के जरिये अपनी शादी को समाप्त करने के अधिकार का इस्तेमाल परिवार अदालत में कर सकती हैं, 'शरीयत काउंसिल' जैसी निजी संस्थाओं में नहीं, अदालत ने कहा कि निजी संस्थाएं 'खुला' के जरिये शादी समाप्त करने का फैसला नहीं दे सकतीं, ना ही विवाह विच्छेद को सत्यापित कर सकती हैं। अदालत ने कहा, ''वे न्यायालय नहीं हैं और ना ही विवादों के निपटारे के लिए मध्यस्थ हैं.'' अदालत ने कहा कि 'खुला' मामलों में इस तरह की निजी संस्थाओं द्वारा जारी प्रमाणपत्र अवैध हैं।
जानें पूरा मामला,,,,,,,
उल्लेखनीय है कि एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को जारी किए गए 'खुला' प्रमाणपत्र को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति सी. सरवनन ने इस मामले में अपने फैसले में शरीयत काउंसिल 'तमिलनाडु तौहीद जमात' द्वारा 2017 में जारी प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया। फैसले में कहा गया है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने बदीर सैयद बनाम केंद्र सरकार 2017 मामले में अंतरिम स्थगन लगा दिया था और उस विषय में 'प्रतिवादियों (काजियों) जैसी संस्थाओं द्वारा 'खुला' के जरिये विवाह-विच्छेद को सत्यापित करने वाले प्रमाणपत्र जारी किये जाने पर रोक लगा दिया था।
परिवार अदालत में डालनी होगी अर्जी,,,,,,,
अदालत ने कहा कि एक मुस्लिम महिला के पास यह विकल्प है कि वह 'खुला' के जरिये शादी को समाप्त करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल परिवार अदालत में कर सकती है, और जमात के कुछ सदस्यों की एक स्वघोषित संस्था को ऐसे मामलों के निपटारे का कोई अधिकार नहीं है।