एजेंसी डेस्क : (वाराणसी, ब्यूरो)।देशभर में आज महाशिवरात्रि का पावन त्योहार मनाया जा रहा है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में बाबा की एक झलक पाने के लिए रात से ही भक्तों की लंबी कतार लगी है। काशी के सभी शिवालयों में आज उत्सव मनाया जा रहा है।बनारस में शिव बरात भी निकाली जाएगी।
क्यों होता है मासशिवरात्रि व्रत ?,,,,,,
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार इस वर्ष शनिवार 18 फरवरी को शाम 5:43 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है, जो रविवार 19 फरवरी को अपराह्न 3:19 मिनट तक रहेगी। इसलिए 18 को अर्द्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी प्राप्त होने से 18 फरवरी को ही महाशिव रात्रि मनाई जा रही है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं अर्थात शिव कि तिथि चतुर्दशी है। इसलिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में शिवरात्रि व्रत होता है, जो मासशिवरात्रि व्रत कहलाता है।
शिवलोक को देने वाली शिवरात्रि,,,,,,
शिवभक्त प्रत्येक चतुर्दशी का व्रत करते हैं लेकिन फाल्गुन कृष्णपक्ष चतुर्दशी को अर्द्धरात्रिमेंफाल्गुनकृष्ण चतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिङ्गतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ।। ईशान संहिता के इस वाक्य के अनुसार ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। ये व्रत सभी कर सकते हैं। इसे न करने से दोष लगता है। प्रो. पांडेय ने बताया कि महाशिवरात्रि का व्रत व्रतराज के नाम से विख्यात है। शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली है और शिवलोक को देने वाली है। इसके करने मात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है।