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ऐसी शख्सियत वाली लेडीज::डकैतों से बेखौफ दिव्या ने गांव को बनाया पानीदार, धमकियों के बाद भी चुनाव लड़कर बनीं हैं प्रधान,,,।

ऐसी शख्सियत वाली लेडीज::डकैतों से बेखौफ दिव्या ने गांव को बनाया पानीदार, धमकियों के बाद भी चुनाव लड़कर बनीं हैं प्रधान,,,।



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एजेंसी डेस्क : (चित्रकूट, ब्यूरो)। आइए आज हम आपको एक ऐसे लेडीज शख्सियत के बारे में बताते हैं। आज से करीब10साल पहले तक चित्रकूट के गांवों में डकैतों की दहशत के साथ ग्रामीणों के लिए पेयजल का संकटअभिशाप सा बन गया था। तब उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे सेमरिया जगन्नाथ वासी गांव में दिव्या ने डेहरीलांघी और ग्रामीणों का हौसला बनी, वे निडर होकर डकैतों की धमकियों को नजर अंदाज करके प्रधान भी बनीं। पहाड़ों से आने वाले वर्षा जल को रोककर गांव को पानी दार बनाया। साथ ही हर घर तक नल पहुंचाने के संकल्प को पूरा किया। उन्होंने न केवल पेयजल संकट दूर किया, बल्कि ग्रामीणों के जीवन में उम्मीदों की किरणें बिखेर दीं। 

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दिव्या त्रिपाठी का वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में डकैतों से सामना हुआ था। उनको चुनाव न लड़ने के लिए डकैतों ने चेतावनी भेजी। बावजूद इसके उनके द्वारा मैदान न छोड़ने पर फोन पर तरह-तरह से धमकाया, लेकिन वह डरी नहीं और चुनाव मैदान में डटी रहीं। 

गांव वालों ने भी उनका साथ दिया और उनको अपनी प्रधान चुन लिया। प्रधान बनने के बाद ग्रामीणों का कर्ज उतारने की उनकी जिम्मेदारी थी। पहले उन्होंने गांव में विकास को रफ्तार दी। प्रत्येक घर के बच्चे को स्कूल पहुंचाने का लक्ष्य बनाया। प्रदेश सरकार के विकास के मानक पर गांव को दूसरा स्थान मिलने पर उन्हें सात लाख रुपये की धनराशि देकर पुरस्कृत किया। 

पेयजल योजना में फूंकी जान,,,,,,,

वर्ष 2000 में सरकार ने सेमरिया जगन्नाथ वासी गांव को पेयजल योजना की सौगात दी थी। पूरे गांव में पाइप लाइन बिछाने के साथ पानी की टंकी का निर्माण कराया गया था। कुछ वर्षों तक तो लोगों को पाइप लाइन के जरिये पानी मिला, लेकिन बाद में यह योजना शोपीस बनकर रह गई थी। दिव्या ने प्रदेश सरकार से इनाम में मिले सात लाख रुपये से पेयजल योजना का दुरुस्त कराया। उसी का परिणाम है कि आज हर घर में नल से पानी उपलब्ध हो रहा है। 

नाले में बह जाने वाला पानी रोका,तालाबों को दिया पुनर्जीवन

बारिश में पहाड़ों से आने वाला पानी कोठरिया नाले से होकर में चला जाता था। इस पानी को गांव में रोकने के लिए नाले में ही तीन मीटर चौड़े, एक मीटर गहरे और तीस मीटर गहरे छोटे-छोटे 100 तालाब से तैयार कराए। वर्षा जल रुकने से गांव का भूगर्भ जलस्तर बढ़ गया। 

ऐसे में जो हैंडपंप गर्मी में जवाब दे जाते थे, उनको नया जीवन मिल गया। गांव के दो तालाब 'बड़ा' और 'मोगरी' कभी गांव भर की प्यास बुझाते थे, वह सिल्ट और कूड़े से पट गए थे। दिव्या ने उनकी खोदाई कराई और उनका प्राचीन स्वरूप लौटाया। गांव के लोग अब वर्ष भर तालाबों के पानी उपयोग करते हैं। 

उपलब्धियों पर मिला सम्मान,,,,,,,

वर्ष 2018 में दिव्या को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड दिया। वर्षा जल संचयन के लिए वह जिला स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुकी हैं। स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय का उपयोग करने के लिए उन्होंने ग्रामीणों को जागरूक किया था। तत्कालीन सांसद भैरों प्रसाद मिश्र व डीएम विशाख जी अय्यर ने उनको प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया था। मिशन शक्ति अभियान में भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।