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अयोध्या:: रंगभरी एकादशी पर मुस्लिम भाईयों ने संतों संग खेली होली, दी बधाई,,,।

अयोध्या:: रंगभरी एकादशी पर मुस्लिम भाईयों ने संतों संग खेली होली, दी बधाई,,,।



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एजेंसी डेस्क : (लखनऊ, ब्यूरो)। वैसे तो भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में बसंत पंचमी के दिन से ही रंगोत्सव का पावन पर्व शुरू हो जाता है। लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं होलिका से पहले रामनगरी में खेली जाने वाली सौहार्द की होली के बारे में।

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इसमें बाबरी मस्जिद के पूर्व सहभागी इकबाल अंसारी और रामलला के पुजारी आचार्य सतिंदर दास ने एक दूसरे को होली की बधाई दी। वास्तव में यह रंग-बिरंगा पर्व सभी प्रकार के भेदों को मिटा देता है और समस्त कटुताओं को दूर कर देता है।

इसी तर्ज पर अयोध्या में भेदभाव को भूलकर अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में मुस्लिमों ने संतों को गले मिलकर बधाई दी है, और एकता व एकजुटता का संदेश दिया है। दूसरी ओर मुसलमानों ने फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं और संतों को बड़े मन से गले लगाया। 

रामलला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने फगवा गाकर अवध की होली की शुरुआत की। वहीं आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सौहार्द की होली अवध की परंपरा रही है। लंबे समय से अयोध्या के लोग मिल जुल कर इस पर्व को मनाते आ रहे हैं। और वही परंपरा आज भी चल रही है।

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उनके साथ बाबरी मस्जिद समर्थक इकबाल अंसारी भी मौजूद थे। सभी लोगों ने न सिर्फ एक-दूसरे को रंग लगाया, बल्कि गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई भी दी। इस दौरान प्रधान पुजारी ने कहा कि हमें अपने आसपास की अराजकता को मिटाना चाहिए और रंगों का त्योहार मिलकर मनाना चाहिए। 

इकबाल ने रामचरित मानस का समर्थन किया,,,,,,,

बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या धर्म की नगरी है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी रहते हैं। होली और होली मिलन का पर्व सबके लिए है। चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई। 

इस दौरान इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या मठों और मंदिरों का शहर है, जहां 10 हजार से ज्यादा मंदिर हैं। इधर, हिंदू और मुस्लिम मंदिरों में मिलजुल कर होली खेल रहे हैं। यही संदेश है इस धर्मनगरी का। 

जहां हिंदू और मुस्लिम मिलकर होली मनाते हैं। इस खास मौके पर इकबाल अंसारी ने धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस पर टिप्पणी करने वालों से कहा कि किताब में कुछ भी गलत नहीं है। हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए।