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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के दूसरे महान सगीतकारों की स्मृति में भी होने चाहिए समारोह,,मालिनी अवस्थी,,,।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के दूसरे महान सगीतकारों की स्मृति में भी होने चाहिए समारोह,,मालिनी अवस्थी,,,।



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एजेंसी डेस्क : (लखनऊ,ब्यूरो)।पद्मविभूषण विदुषी गिरिजा देवी की स्मृति में सोमवार को उप्र संगीत नाटक अकादमी की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें संगीत के साधकों ने सुरों में उन्हें 'पुष्पाजंलि' अर्पित की। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और विश्व प्रसिद्ध ठुमरी गायिका को याद किया। कार्यक्रम का आयोजन उप्र संगीत नाटक अकादमी के संत गाड्गे जी महाराज प्रक्षागृह में हुआ। 

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मुख्य अतिथि मालिनी ने अपनी गुरू महान गायिका गिरिजा देवी को याद करते हुए कहा कि वह प्रज्लवलित मान नक्षत्र की तरह जिन्होंने काशी के संगीत को पूरे विश्व में स्थापित किया, ऐसी महान विभूति का सम्मान करके उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी खुद अपना सम्मान कर रही है। आज उनके सम्मान में कुछ कहा जाए तो दो घंटे कम पड़ेगे। 'सोन चिरैया' हमारी संस्था उन्हीं के आशीर्वाद से बनी है। हमने उनसे कहा था कि ऐसी संस्था बनाना चाहते हैं कि जो भारत की लोक कलाओं को सामने ला सके। हम चाहते हैं कि आप उसकीअध्यक्षा बने। उन्होंने तुरंत सहमति दे दी। वह आजीवन अध्यक्षा रही है।

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प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक से एक बढ़कर कलाकारों की जन्म भूमि रही है,एक से एक नगीने है। उन्हीं में से एक है अप्पा जी। उन्होंने संगीतनाटकअकादमी केनिदेशक तरुण जी के लिए कहाकि,उनका साथ हमारी स्मृतियां बहुत पुरानी है। जब हमारा विवाह भी नहीं हुआ था। तब से उनको जानते है। उन्होंने कहा कि अप्पा जी के साथ-साथ प्रदेश के किशन महाराज, सितारा देवी, लल्लू बाजपेयी, हरि प्रसाद चौरसियां के सम्मान में कार्यक्रम होना चाहिए। देह रहे न रहे उनका कार्य अमर है। यह नई पीढ़ी को बताना चाहिए। 

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इससे पहले उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी के निदेशक तरूणराज ने पुष्पगुच्छ देकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। बताया कि उत्तरप्रदेश संगीतनाटकअकादमी ने भी उन्हें कई बार आमंत्रित किया था। यहां उन्होंने अपनी प्रस्तुति भी दी थी। अप्पा जी अकादमी की उपाध्यक्षा भी रही है। 

समारोह की शुरुआत वाराणसी से आए प्रियांशु घोष ने अपनी प्रस्तुति राग शिवरंजनी,विलम्बित एक ताल में सुनाया 'ऐरी कांहे कूकूत बैरन.... तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनकी प्रशंसा की। इसके बाद द्रुत तीनताल में ' कोयल बोले कू कू कू....। इसके अलावा उन्हें राग खमाज में टप्पा अद्धा त्रिताल मे ए मियां मैं ताने वारि जाऊं ' सुनाया। इनके साथ तबले पर आनंद मिश्रा व सारंगी पर अंकित मिश्रा ने संगत की। 

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नई दिल्ली से आए रीतेशरजनीश मिश्रा ने अपनी पुष्पाजंलि राग मधुकोंस में प्रस्तुत की। इसके अलावा उन्होंने भजन 'जननी मैं न जियूं बिन राम...गाया तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनकी प्रशंसा की। 

इसके बाद मुंबई से आईं अश्विनी भिड़े ने आजकल चल रहे चैत्र के महीने को देखते हुए चैती सुनाई और अप्पा जी को अपनी सुर से श्रद्धाजंलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया। 

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गिरिजा देवी सेनिया और बनारस घरानों की एक प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीयगायिका थीं वह शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत का गायन करतीं थीं। ठुमरी गायन को परिष्कृत करने और इसे लोक प्रिय बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनका जन्म 8 मई, 1929 को वाराणसी में हुआ था। कोलकाता के एक अस्पताल में 24 अक्टूबर, 2017 को वह इस दुनियां से विदा हो गई थीं। वह पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ,सहित कई पुरस्कारों से विभूषित हुई थीं।