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मसाने की होली : चिता भस्म की होली से काशी के विद्वान और संत नाराज, बोले- ऐसी कोई परंपरा नहीं,,,।

मसाने की होली : चिता भस्म की होली से काशी के विद्वान और संत नाराज, बोले- ऐसी कोई परंपरा नहीं,,,।



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एजेंसी डेस्क : (वाराणसी,ब्यूरो)।वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर होने वाली चिता भस्म की होली पर काशी के विद्वान, तीर्थ पुरोहित और संत समाज में आक्रोश है। उन्होंने जनता से यह अपील की है कि वह इस आयोजन को काशी की परंपरा ना बनाएं। 

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आपको बता दें कि रंगभरी एकादशी पर हर साल  महाशमशान घाट पर चिता भस्म होली का देर रात आयोजन होता है। लेकिन कोरोना काल में पिछले दो सालों से इसका आयोजन नहीं हुआ था।

काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि मसान में होली खेलने की कहीं भी कोई परंपरा नहीं रही है। 

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काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि शास्त्र में ऐसी कोई परंपरा नहीं है। जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मौज के लिए मोक्ष के तीर्थ पर इस तरह का आयोजन निंदनीय है।

अखिल भारतीय काशी विद्वत परिषद के डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, महाश्मशान में होली खेलकर काशी की गरिमा से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। 

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श्री काशी महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता ने बताया कि मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर चिता भस्म की होली की प्राचीनता का शायद उनको पता नहीं है।