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वाराणसी : काशी में दो दिन होली, युवाओं ने उल्लास पूर्ण माहौल में रंगों के बजाय अबीर गुलाल की खेली होली,,होलिका में लगा आग,,,।
एजेंसी डेस्क : (वाराणसी, ब्यूरो)।तिथियों के फेर में होली को लेकर लोगों में बने भ्रम के चलते काशी पुराधिपति की नगरी में रंगों का पर्व होली उल्लासपूर्ण माहौल में दो दिन मनाया जा रहा है। जिले के अधिकतर हिस्सों में होलिका दहन मंगलवार की शाम गोधुली बेला और रंगों की होली बुधवार को होगी। शहर के कुछ हिस्सों में सोमवार देर रात होलिका दहन भी किया गया।
इनमें प्रमुख रूप से जैतपुरा थाना क्षेत्र के बड़ी बाजार से हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक होली बारात रात्रि में निकाली गई जो विभिन्न रास्तों से घूम कर बड़ी बाजार सब्जी मंडी होलिका स्थल पर आकर समाप्त हुई। इस बारात की यह विशेषता रही कि रंग की जगह अबीर गुलाल से होली खेला गया। होलिका दहन रात्रि 1:30 बजे के लगभग किया गया।
होलिका दहन में प्रमुख रूप से ईश्वर लाल जायसवाल आदित्य नारायण केसरी, ओम प्रकाश, शिव नारायण केसरी, विनोद राजू, सुभाष और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। जैतपुरा थानाध्यक्ष अपनी टीम के साथ होलिका दहन के समय उपस्थित रहे।
मंगलवार को कई जगहों पर लोगों ने होली मनाई। चेतगंज जायसवाल ज्वेलरी हाउस के सामने जुटे हजारों युवाओं ने डीजे की धुन पर नाचते-गाते एक दूसरे पर अबीर गुलाल के साथ रंग भी उड़ाए। युवा होली के परम्परागत गीतों के साथ नये गानों पर मदमस्त होकर थिरकते रहे।
हुड़दंग के बीच युवाओं ने एक-दूसरे पर रंग-अबीर की बौछार की। पर्व की खुमारी बच्चों के सिर चढ़कर बोली। दोपहर 12 बजे चेतगंज पुलिस ने युवाओं को समझा-बुझा कर डीजे हटवाया और युवाओं को घर भेजा।
गंगाघाटों पर भी युवाओं की टीम ने ढोलक-मजीरे के साथ होली के गीत गाते हुए गुलाल-अबीर एक दूसरे को लगाकर पर्व मनाया। इसमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए। लोगों ने ज्योतिष शास्त्र को ध्यान में रख होली खेली लेकिन रंगों से परहेज किया।
लोगों ने कहा कि आज छोटी होली मनाई है। कल रंगों के पर्व का आनंद लेंगे। शहर में कुछ व्यापारिक और सामाजिक संगठनों ने अबीर गुलाल के साथ फूलों की भी होली खेली। होली खेलने के बाद लोगों ने परम्परानुसार चौसठ्ठी घाट स्थित चौसठ्ठी देवी मंदिर में दर्शन पूजन किया।
पर्व पर लोगों ने काशी के विद्वानों का जमकर उड़ाया मजाक, बनाया मीम,,,,,,,
होली पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति के बीच आम लोगों के निशाने पर काशी के विद्वान और उनके संगठन रहे।लोगों ने सड़कों से लेकर सोशलमीडिया के जरिए उन पर निशानासाधा औरमजाक भी उड़ाया। पूरे दिन लोग मीम और वीडियो शेयर कर पूछते रहे कब है, कब है होली ? लोग सुपर हिट फिल्म शोले का डायलॉग और उसके वीडियो भी शेयर करते रहे। दरअसल काशी केकई विद्वतजनों ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा छह मार्च की शाम को 4:18 बजे से और सात मार्च की शाम को 5:30 बजे समाप्त हो रही हैऐसे प्रदोषकाल व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका दहन छह मार्च को किया जाएगा। पूर्णिमा के साथ भद्रा होने के कारण भद्रा के पुच्छकाल में होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि में 12:30 बजे से 1:30 बजे तक मिलेगा। पूर्णिमा सात मार्च को समाप्त होने के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शाम को शुरू हो रही है, लेकिन होली उदयातिथि में मनाने का शास्त्रीय विधान है। ऐसे में आठ मार्च को होली मनाई जाएगी।
वाराणसी में होली के लिए अलग परंपरा है। काशी में जिस रात को होलिका दहन होता है, उसके अगले दिन चाहे प्रतिपदा हो या पूर्णिमा हो, होली मनाई जाती है। यह ऐसी परंपरा है, जो शास्त्र से हटकर है। होलिका दहन के दूसरे दिन काशीवासी चौसठ्ठी देवी योगिनी की यात्रा निकालते हैं। जब होली जलाकर यात्रा के लिए निकलते हैं तो अबीर, गुलाल और रंग खेलते हुए निकलते हैं।
चौसठ्ठी देवी केवल काशी में ही विराजती हैं। इसलिए इस परंपरा का पालन भी काशीवासी ही करते हैं। ऐसे में केवल काशी में सात मार्च को होली मनाई जाएगी।