चैत्र नवरात्र की शुरुआत कल से ही हो गई है। घर-घर मां दुर्गा की पूजन-अर्चना व्रत किए जा रहे है। ये नौ दिन मां भगवती को बेहद प्रिय हैं।इस समय मां अपने भक्तों की सभी मुराद पूरी करती हैं। नवरात्रि के दिन बहुत शुभ माने जाते हैं, इस समय हर तरफ एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के नौ स्वरुपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महगौरी, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां के ये स्परुप अत्यंत कल्याणकारी हर विपदा को हरने वाले हैं। मां के इन नौं स्वरुपों का अलग-अलग महत्व है
भक्तों का दुख दूर करने मां आती है पृथ्वी पर,,,,,,,
मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि है।मान्यता है किनवरात्रि में मां दुर्गा अपने भक्तों के दुख दूर करने पृथ्वी पर आती है। इसीलिए इन पावन 9 दिनों में माता के 9 रूपों की भक्ति से सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। कहते हैं कि इन दिनों में यदि पूरे विधि विधान से माता की आराधना की जाए तो मां प्रसन्न होती हैं जीवन सुख समृद्धि से भर देती हैं। आइए,जाने आज मां के दूसरे रूप ब्रह्माचारिणी की आराधना कैसे करें।
मां की भक्ति से मिलता है लंबी आयु का वरदान,,,,,,,
नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को समर्पित है। इस दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा का विधान है। कहते हैं ब्रह्म का अर्थ है तपस्या चारिणी यानी आचरण करने वाली इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। मां के हाथों में अक्षमाला कमंडल होती है। मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान, सदाचार, लगन, एकाग्रता, संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से लंबी आयु का वरदान मिलता है। माना जाता है कि ये देवी भक्तो की मनोकामना पूरी करती हैं।
भक्त हर प्रकार के भय से हो जाते हैं मुक्त,,,,,,,
भक्ति भाव श्रद्धा से नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सुख समृद्धिवैभव मिलती है। ब्रह्मचारिणी की पूजा पूजा करने वालों की इंद्रियां नियंत्रण में रहती हैं वो मोक्ष का भागी बनता है। श्रद्धा के साथ नवरात्रि के दूसरेदिन ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सुख, आरोग्य प्रसन्नता की प्राप्ती होती है। साथ ही माता के भक्त हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाते हैं।
शिव जी की पत्नी बनने का माता को मिला था वरदान,,,,,,,
पुराणोंके अनुसारमांब्रह्माचारिणी पर्वत राज हिमालय मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद के कहने पर भगवान शंकर की कठोर तपस्या की इससे प्रसन्न होकर ब्रह्म जी ने इन्हें शिव जी की पत्नी बनने का वरदान दिया था।
मां का आशीर्वाद पाने यहां आते हैं भक्त,,,,,,,
मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर शिव की नगरी में काशी में बना है। काशी के सप्त सागर कर्णघंटा क्षेत्र में ये मंदिर स्थित है। नवरात्रि के 9 दिन में दुर्गा के 9 स्वरूपों में ब्रह्मचारिणी देवी का स्थान दूसरा है।दूसरे दिन इस मंदिर में मां का आशीर्वाद पाने के लिए यहां भक्त आते हैं।
सुबह से ही लग जाती है भक्तों की भीड़,,,,,,,
वाराणसी में गंगा किनारे बालाजी घाट पर ब्रह्मचारिणी के इस मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लग जाती है। इस मंदिर में माता को नारियल, चुनरी, माला, फूल आदि चढ़ाकर पूजा की जाती है। काशी के मां ब्रह्मचारिणी मंदिर में देवी का स्वरूप भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला बाएं हाथ में कमंडल है।
मां के दर्शन से निसंतान भक्तों को मिलता है संतान सुख,,,,,,,
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में देवी की आराधना करने से साक्षात परब्रह्म की प्राप्ति होती है यहां माता के दर्शन करने वालों को यश कीर्ति का आशीर्वादमिल ता है। नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। लोगों को यकीन है कि मां के दर्शन करने वाले निसंतान भक्तों को संतान सुख मिलता है, उनकी मनोकामना पूरी होती है।
नवरात्रि के दिन माने जाते हैं बहुत शुभ,,,,,,,
मां दुर्गा अपने भक्तों के दुख दूर करने आती हैं पृथ्वी पर,,,,,,,
माता के भक्त हर प्रकार के भय से हो जाते हैं मुक्त,,,,,,,