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अतीक-अशरफ हत्याकांड : लिफाफे में बंद है हत्या का राज, कत्ल के 19 दिन पहले अशरफ ने सीजेआई के नाम लिखी थी चिट्ठी, योगी के मंत्री नंदी पर पैसे हड़पने का आरोप,,,।
एजेंसी डेस्क : (प्रयागराज,ब्यूरो)।माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का राज एक लिफाफे में बंद है। हत्या किसने कराई, इसके पीछे की वजहें क्या हैं ? यह सब उस लिफाफे में छिपा है। कत्ल से 19 दिन पहले 28 मार्च को एमपीएम एलए कोर्ट में बरेली जेल से पेशी पर आए अशरफ ने खुद इस लिफाफे को बंद कर अपनेवकील को सौंपा था।
तब अशरफ ने कहा था कि मेरी हत्या के बाद वह लिफाफा सीजेआई, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री के पास पहुंच जाएगा। अब अतीक-अशरफ की हत्या के बाद वह लिफाफा चर्चा में है। उस लिफाफे में दबे राज के बाहर आने का हर किसी को इंतजार है।
बीती 28 मार्च को साबरमती जेल से अतीक को और बरेली जेल सेअशरफ कोएमपीएमएलए कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। पेशी के बाद बरेली भेजेजाते समय अशरफ ने हफ्ते भर के भीतर अपनी हत्या का अंदेशा जताया था।अशरफ ने बरेलीजेल जाने के दौरान इस बंद लिफाफे का जिक्र मीडिया से किया था। कोर्ट परिसर के बाहर प्रिजन वैन में सवार होने के बाद अशरफ ने मीडिया को बताया था कि उसे प्रयागराज में एक पुलिस अधिकारी ने हत्या कराने की धमकी दी है। मीडिया को दिए बयान का अशरफ का वीडियो तक शोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था।
इसमें अशरफ कहता नजर आ रहा है कि पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने मुझे धमकी दी है कि हफ्ते भर के भीतर किसी न किसी बहाने तुझे फिर बुलाकर निपटा दूंगा। जब अशरफ से जब पूछा गया कि वह अफसर कौन हैं, तब उसका कहना था कि उनकानाम मैंने लिखकर लिफाफे बंद कर दिया है। जिस दिन मेरी हत्या होगी, वह लिफाफा देश के सीजेआई, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति और मुख्यमंत्री के पास पहुंच जाएगा। मंगलवार को यही बंद लिफाफा भेजे जाने की चर्चा दिन भर होती रही। लिफाफा कहां और किसके पास है। इसे अभी सीजेआई को भेजा गया या नहीं, फिलहाल इसकी पुष्टि अतीक -अशरफ के वकीलों ने अभी नहीं की है।
अशरफ के वकील ने कहा-लिफाफे का जिक्र तो किया था, लेकिन उन्हें नहीं मिला,,,,,,,
काॅल्विन अस्पताल के गेट पर दो दिन पहले माफिया भाई अतीक के साथ गोलियों से उड़ाए गए खालिद अजीम अशरफ के अधि वक्ता विजय मिश्र ने मंगलवार को लिफाफे के बारे में स्पष्ट तौर पर बोलने से इन्कार कर दिया। उन्होंंने बताया कि बरेली जेल में मुलाकात के दौरान अशरफ ने इसका जिक्र किया था। लेकिन, यह बंद लिफाफा उन्हें नहीं दिया। वह यह भी नहीं बता सकते कि बंद लिफाफा किसके पास है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी ओर से किसी तरह का कोई पत्र या लिफाफा कहीं नहीं भेजा गया है। उधर, इस मामले में उमेशपाल अपहरण केस में अतीक व अशरफ के अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र से भी बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
हाथ से लिखा या टाइप कराया ?
बंद लिफाफे को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। सवाल यह है कि इसमें जो पत्र है, उसे अशरफ या अतीक ने हाथ से लिखा या इसे किसी के जरिए टाइप कराया। अगर यह टाइप कराया गया है तो इसे कहां तैयार कराया गया।
बहन ने इन अफसरों का लिया था नाम,,,,,,,
अतीक की बहन आयशा नूरी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने भाइयों की जान को खतरा बताया था। कहा था कि उन्हें जेल से निकालकर उनकी हत्या की जा सकती है। नूरी ने कहा था कि तीन दिन उसे टॉर्चर कर कहा जाता रहा कि तुम्हारे भाई बच नहीं सकते, उनकी एसटीएफ हत्या कर देगी। उसने रमित कुमार शर्मा और अमिताभ यश का नाम लिया था।
योगी मंत्रिमंडल के कैबिनेट मंत्री नंदी पर लगा आरोप,,,,,,,
इसके अलावा अतीक की बहन आयशा नूरी ने मीडिया को बताया कि अतीक से कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्त नंदी पर पांच करोड़ रुपये लेकर वापस न करने का भी आरोप लगाया था।