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काशी में तीर्थाटन यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, भक्तों ने 25 मंदिरों के दर्शन किए,,,।

काशी में तीर्थाटन यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, भक्तों ने 25 मंदिरों के दर्शन किए,,,।



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एजेंसी डेस्क : (वाराणसी,ब्यूरो)।वाराणसी :: धर्म नगरी काशी के इतिहास,प्राचीन सभ्यता, संस्कृति से युवा पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए आज काशी के विद्वानों ने काशी के तीर्थ को समर्पित यात्रा तीर्थाटन की शुरुआत की। इस यात्रा के तहत वह काशी के अलग-अलग खंडों में जाकर वहां मौजूद मंदिरों को देखेंगे।

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बता दे कि यह यात्रा काशी कथा व अंतरराष्ट्रीय घाट विश्वविद्यालय के निर्देशन में आयोजित की गई। इसकी शुरुआत वाराणसी के अस्सी घाट से हुआ। आज की यात्रा में भद्र खंड में मौजूद मंदिरों में व क्षेत्रों का भ्रमण किया गया, और लगभग 25 से ज्यादा मंदिरों में शीश नवाया गया।

खास बात यह है कि इस यात्रा के द्वारा आज सैकड़ों की संख्या में मौजूद काशी के विद्वान जनों ने भदैनी खंड की गली को भगवान राम व शिव के भजनों से सराबोर कर दिया। इस यात्रा में हर कोई हाथ में झाल मजीरा लेकर हर हर महादेव, शंभू जय श्री राम के भजन गाता हुआ दिख रहा था, जिसने वाराणसी के वातावरण को भी बेहद मनमोहक,भक्तिमय बना दिया था।

यात्रा में शामिल काशी के एक स्थानीय विद्वान ने बताया कि यह यात्रा काशी की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता को समर्पित है। इस यात्रा के जरिए हम काशी के अलग-अलग खंडों में मौजूद मंदिरों और उसकी इतिहास को जानने और समझने की कोशिश करेंगे। उन्होंने बताया कि, आज हमने पूरे भद्र खंड यानी कि भदैनी क्षेत्र में मौजूद 27 मंदिरों का दर्शन किया।इस दर्शन का तात्पर्य सिर्फ मंदिर को देखना ही नहीं बल्कि आसपास की पूरी सांस्कृतिक परिसर को समझने की भी कोशिश करना था। जहां हमें अपना जुड़ाव महसूस हुआ और यह प्रक्रिया बेहद और रोचक और ऐतिहासिक रही। 

उन्होंने बताया कि इस भ्रमण के जरिए हमें काशी के मंदिरों का भी भ्रमण करने को मिलेगा,    जिसके बारे में हमने सुना नहीं था, कभी देखा नहीं था, लेकिन, जब यहां पहुंचे यहां का इतिहास और महात्म बेहद अनोखा रहा।

उन्होंने बताया कि आज तो यह यात्रा भद्र खण्ड में रही, लेकिन अभी केदारखंड के 145 मंदिरों में हम जाएंगे, उसके बाद ओंकारेश्वर खंड जाएंगे और बनारस के अलग-अलग खंडों और मंदिरों, गली-गली में जो मंदिर है वहां हम जाएंगे, भ्रमण करेंगे और काशी की शाश्वत सनातन संस्कृति को समझेंगे ताकि हमारी युवा पीढ़ी भी अपने धर्म संस्कृति के प्रति जुड़ सके और यहां के महत्व को समझ सके।