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वाराणसी : अब से थोड़ी देर में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण से जुड़े 7 मुकदमों की एक जगह सुनवाई पर आज आ सकता है फैसला,,,।

वाराणसी : अब से थोड़ी देर में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण से जुड़े 7 मुकदमों की एक जगह सुनवाई पर आज आ सकता है फैसला,,,।



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एजेंसी डेस्क : (वाराणसी,ब्यूरो)।वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ होगी या नहीं, इस मामले में कोर्ट का आदेश आज यानी मंगलवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोपहर 2 बजे के बाद आने की उम्मीद जताई जा रही है। विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन सहित अन्य कई लोगों की तरफ से इस मामले का विरोध भी किया जा रहा है। पिछले दिनों ही कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पत्रावली सुरक्षित कर ली थी। माना जा रहा है कि कोर्ट आज इस मामले में आदेश जारी कर सकता है।

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दरअसल, वादी पक्ष की सीता साहू, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास की तरफ से सात अलग-अलग मुकदमों को एक ही कोर्ट में सुनने के लिए4महिलाओं के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है। इस मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, विश्व वैदिक सनातन संघ समेत कई अन्य लोग विरोध में हैं, और इस प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए अलग-अलग सुनवाई का ही समर्थन कर रहे हैं। इसे लेकर लगातार कोर्ट में उनकी तरफ से दलीलें भी पेश की गई हैं।

ये हैं सात मुकदमे,,,,,,,

वाद नंबर: 839/2021, मा. न्यायालय सिविल जज (सीडि), वाराणसी, वादी लार्ड श्री आदि विशेश्वर, शीतला मंदिर महंत श्री शिवप्रसाद पाण्डेय आदि. वाद नंबर: 840/2021, मा. न्यायालय सिविल जज (सीडि), वाराणसी, वादी श्री नंदी महाराज व श्री सितेन्द चौधरी आदि. वाद नंबर: 350/2021, मा. न्यायालय सिविल जज (सीडि), वाराणसी, वादी मां श्रृंगार गौरी, रंजना अग्निहोत्री आदि. वाद नंबर: 245/2021, माननीय न्यायालय सिविल जज (सीडि), वाराणसी, वादी सत्यम त्रिपाठी आदि. वाद नंबर: 358/2021, मा. न्यायालय सिविल जज (सीडि), वाराणसी, वादी मां गंगा व सुरेश चौव्हांण आदि. वाद नंबर: 761/2021, मा. न्यायालय सिविल जज (सीडि), वाराणसी वादिनी साध्वी पूर्णम्बा व देवी शरदम्बा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का मुकदमा 2022 में सिविल जज सीनियर डिवीजन वाराणसी कोर्ट में है। जिसमें कथित ज्ञानवापी मस्जिद में कमिशन के सर्वेक्षण के दौरान शिवलिंग प्रकट हुए था, जिसके निरंतर पूजा का अधिकार मांगा गया था।