यूपी क्राइम न्यूज
हिस्ट्रीशीटर अतीक अहमद का खून से सना है इतिहास, 7 दुर्दांत कहांनियां और उसके क्राइम की कुंडली, पढ़े,,,,।
माफिया से कुख्यात नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज में काल्विन अस्पताल के पास तीन लोगों ने ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी।इस वारदात के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्टजारी कर दिया गया है। ये हमला उस वक्त हुआ जब दोनों को मेडिकल से लिए ले जाया जा रहा था, अब पूरे मामले की पुलिस गंभीरता से जांच कर रही है।
तीन दिन पहले 12 अप्रैल को जब अतीक अहमद को उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए प्रयागराज ले जाया जा रहा था, तब अतीक अहमद ने पुलिस वैन की ग्रिल वाली खिड़की से मीडिया को दिया गया बयान सबको याद होगा, अतीक ने कहा था-बिल्कुल मिट्टी में मिल गए हैं।
अतीक के दुुशमनों की नहीं थी कमी,,,,,,,
उमेश पाल उसका सबसे बड़ा दुश्मन था। यह दुश्मनी करीब दो दशक पुरानी थी। साल 2005 में राजू पाल की हत्या हुई। उमेश पाल इस मर्डर का चश्मदीद गवाह था। अतीक ने उमेश पाल को कई बार गवाही नहीं देने को कहा लेकिन वह नहीं माना, उमेश पाल नहीं माना तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण करा दिया गया, जिसके बाद 2007 में अतीक और उसके भाई अशरफ सहित 10 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी। इसी के बाद वह अतीक का दुश्मन बन गया।
अतीक पर उमेश पाल हत्याकांड में षडयंत्र रचने के अलावा 100 से अधिक केस दर्ज थे। वहीं उसके पूरे परिवार पर 160 केस दर्ज थे। अतीक अहमद 2019 से गुजरात की साबरमती सेंट्रल जेल में बंद था। उमेश पाल की पत्नी जयापाल की शिकायत केआधार पर धूमनगंज थाने में अतीक, उसके भाई अशरफ,पत्नीशाइस्ता परवीन, बेटे असद, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
अतीक अहमद की करतूतें पूरे यूपी में कुछ इस तरह कुख्यात रहीं है कि उसके दुश्मनों की कोई कमी नहीं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था- ‘माफिया को मिट्टी में मिला देंगे.’ प्रदेश में माफिया पर एक्शन के सिलसिले में प्रदेश की योगी सरकार और पुलिस ने पिछले छह सालों में अतीक के गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया, लेकिन उमेश पाल हत्याकांड और उससे पहले राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक की जैसे उल्टी गिनती शुरू हो गई थी
हिस्ट्रीशीटर अतीक का इतिहास,,
प्रयागराज और शहर के बाहरी इलाके में अतीक के नाम का खौफ था,अतीक अपने,विरोधियों को झूठे मामलों में फंसाने और अपने पक्ष में बयान देने के लिए मजबूर करने के लिए जाना जाता था। गवाहों को रिश्वत देने से लेकर उन्हें धमकाने तक अतीक की कई करतूतें जानी जाती हैं। वह हमेशा कानून से बचता रहा है।
शहर के खुल्दाबाद थाने के रिकॉर्ड में अतीक हिस्ट्रीशीटर नंबर 39ए है, जिसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और जबरन वसूली सहित लगभग 100 मामले दर्ज रहे हैं। रिकॉर्ड में यह भी कहा गया है कि अतीक प्रयागराज में 144 सदस्यों वाला गिरोह चलाता था।
अतीक अहमद की क्राइम फाइल
उसकी शुरुआत कसारी मसरी गांव से अपराध और फिर राज नीति की दुनिया तक हुई। उसके पिता हाजी फिरोज अहमद प्रयागराज में तांगा चलाते थे। जबकि अतीक अपने पैतृक कसारी मसरी गांव में स्कूल जाता था, परिवार बाद में शहर के चकिया चला गया। दसवीं कक्षा पूरी करने से पहले ही अतीक ने स्कूल छोड़ दिया था। अतीक ने चकिया में पहला अपराध किया। और अपना गिरोह बना लिया, जिसमें ज्यादातर गांव के लुटेरे होते थे।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अतीक के खिलाफ पहला हत्या का मामला 1979 में प्रयागराज के खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। बाद में वह जबरन वसूली और जमीन हड़पने सहित अन्य अपराधों में शामिल हो गया।
माफिया अतीक अहमद के अपराध की 7 दुर्दांत कहानियां,,,,,
पुलिस और राजनीतिक संरक्षण से कैसे एक मामूली तांगे वाले का बेटा इतना कद्दावर माफिया, एमएलए, एमपी बन बैठा, यह बेहद चौंकाने वाला है।
साल 1989 : शौक इलाही उर्फ चांद बाबा का खात्मा,,,,,,,
साल 1979 में अतीक पर हत्या का पहला मुकदमा लिखा गया तो उसका जलजला कायम हो गया। उस समय चांद बाबा का सिक्का चलता था। पुलिस भी चांद बाबा के दहशत में रहती थी, चांद बाबा का वर्चस्व खत्म करने के लिए पुलिस ने अतीक के ऊपर हाथ रख दिया, वर्ष 1989 में अतीक शहर पश्चिमी से निर्दलीय प्रत्याशी बना और चांद बाबा को हरा दिया। आरोप है कि एमएलए बनने के बाद अतीक की हवस और बढ़ी। नतीजे में रास्ते का महत्वपूर्ण कांटा चांद बाबा पर गोली-बम बरसाकर सरेआम उसकी हत्या कर दी गयी
साल 1994 : पार्षद अशफाक कुन्नू हत्याकांड,,,,,,,
सभासद अशफाक कुन्नू का 1994 में कत्ल हो गया।उस हत्या कांड में अतीक और अशरफ का नाम आया था लेकिन तबअतीक का ऐसा दबदबा था कि उस पर कानूनी शिकंजा नहीं कसा गया। कोई पुलिस अधिकारी अतीक पर हाथ नहीं डालना चाहता था। घटना के पांच साल बाद साल 1999 में तब के एसपी सिटी लालजी शुक्ला ने अशफाक कुन्नू हत्याकांड में अशरफ की गिरफ्तारी की। यह भी संयोग ही है कि तब भी उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थीऔरआज भी भाजपा की ही सरकार है।
साल 1996 : व्यापारी अशोक साहू हत्याकांड,,,,,,,
प्रयागराज के सिविल लाइंस में व्यापारी अशोक साहू की हत्या हुई।आरोप था कि अतीकअहमद के भाई अशरफ ने अशोक साहू को बेरहमी से मारा था,इस मामले में अतीक और उसके पिता जेल गए थे, लेकिन अशरफ को बचाने के लिए पुलिस कीघटियाभूमिका सामने आ गयी। अशरफ को घटना से दो घंटे पहले चंदौली में एक थानेदार ने तमंचा के साथ गिरफ्तार दिखा दिया। इसके जरिए दिखाने का प्रयास हुआ था कि, अशरफ गिरफ्तार है तो किसी का कत्ल कैसे कर सकता है ? इस केस को लोग आज भी नहीं भूले हैं।
साल 2003 : अपने ही घर के सामने भाजपा नेता अशरफ को मारा,,,,,,,
अतीक के चकिया घर के सामने रहने वाले भाजपा नेता अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। हत्या के बाद अतीक के गुर्गे शव लेकर भाग गए। अतीक को भाजपा नेता अशरफ से चिढ़ थी क्योंकि वह भाजपा से जुड़ कर उसे चुनौती देता था।
साल 2005 : दिनदहाड़े एमएलए राजू पाल पर बरसीं गोलियां,,,,,,,
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद सपा के टिकट पर फूलपुर सीट से चुनाव जीत गया था। सांसद बनने के बाद इलाहाबाद पश्चिम की विधायकी छोड़नी पड़ी।उपचुनाव हुआ सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार बनाया। उधर, अतीक के सहयोगी रहे राजू पाल को बसपा ने टिकट दिया, चुनाव राजू ने जीत लिया। पहली बार अतीक को अपने ही इलाके में वैसी ही टक्कर मिली जैसी चांद बाबा को अतीक से मिली थी।
15 जनवरी 2005 को राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली थी। ठीक 10 दिन बाद राजू पाल की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ आरोपी था। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस घटना की जांच के बाद 10 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
साल 2012 : जब हाईकोर्ट के 10 न्यायाधीश जमानत अर्जी सुनने को तैयार न हुए,,,,,,,
साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त अतीक अहमद जेल में था। उसने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी। हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक अहमद को जमानत मिल गई। इस चुनाव में अतीक अहमद की हार हुई। उसे राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया।
2014 के लोकसभा चुनाव में भी उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन BJP के दद्दन मिश्रा से हार गया। 2019 के आम चुनाव में जेल से ही वाराणसी सीट पर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा इस बार फिर जमानत जब्त हो गई।
साल 2018 : लखनऊ से उठवा कर बिल्डर से जेल में स्टाम्प पर दस्तखत करवा लिया,,,,,,,
अतीक देवरिया जेल में बंद था। उसके इशारे पर बिल्डर मोहित जायसवाल को लखनऊ से देवरिया जेल लाकर न केवल पिटाई की गई बल्कि उसकी करोड़ों की संपत्ति हथियाने के लिए स्टांप पेपर पर जबरन दस्तखत करवाया गया। मामला उछला तो शासन ने जेल अधि कारियों के खिलाफ कार्रवाई की। इसी मुकदमे में अतीक के बडे बेटे उमर के खिलाफ मुकदमा लिखा गया और वह दो लाख रुपये का इनामी घोषित कर दिया गया था। यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि अतीक और उसके भाई अशरफ की गुंडागर्दी और माफिया गिरी की अनेकों दास्तान है ऐसे जोकि प्रशासन और मीडिया के सामने आए ही नहीं है शेष,,, अतीक अशरफ की दुर्दांत कहानियों का दौर अगले लेख में जारी,,,।