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वाराणसी : राष्ट्रभक्ति का भाव शिवाजी में कूट-कूटकर भरा था, उन्हें राजा बनने की नहीं थी इच्छा : अनिल ओक,,,।

वाराणसी : राष्ट्रभक्ति का भाव शिवाजी में कूट-कूटकर भरा था, उन्हें राजा बनने की नहीं थी इच्छा : अनिल ओक,,,।


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- शिवाजी का नाम सुनते ही मन में एक प्रकार का तरंग, उमंग होता है पैदा : केशव प्रसाद मौर्य

एजेंसी डेस्क : (वाराणसी,ब्यूरो)।वाराणसी, सेवा भारती काशी प्रान्त की ओर से शुक्रवार शाम आयोजित महानाट्य जाणता राजा के पोस्टर का विमोचन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) के  अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने संयुक्त रूप से किया। 

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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिलओक ने कहाकिमहानाट्य जाणता राजा वर्तमान परिस्थिति यों में आमजन के मध्य छत्रपति शिवाजी जैसी दहाड़ मारेगा। हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए शिवाजी ने ऐसे मित्र बनाये, जिनकाआदर्श वर्तमानपरिस्थिति में भी प्रासंगिक है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रभक्ति का भाव शिवाजी में कूट-कूटकर भरा था। उन्हें राजा बनने की इच्छा नहीं थी, परन्तु हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की। शिवाजी महिलाओं काभी विशेष सत्कार करते थे। गरीब महिला के साथ दुर्व्यवहार करने वाले अपने सगे मामा मोहिते को भी आजीवन कारावास का दण्ड दिया।त्वरित निर्णय लेना छत्रपति शिवाजी की विशेषता थी। 

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उन्होंने कहा कि युद्ध में पारंगत न होते हुए भी स्वराज के लिए अपने प्राणों की चिंता न करके शत्रु के दल में सीधा प्रवेश किया। बाजी प्रभुदेश पाण्डेय ने छत्रपति शिवाजी के प्राणों की रक्षा के लिए मात्र तीन सौ मावलों को लेकर चारहजार पठान घुड़सवारों के साथ लड़े और वीरगति को प्राप्त हुए। 

उन्होंने बताया कि शिवाजी के इन्हीं आदर्शो को कलमबद्ध करते हुए बाबा साहब पुरन्दरे जी ने महानाट्य की रचना की। इस प्रस्तुति में लगभग 6 मंजिला मंच बनेगा। नाट्य प्रस्तुति में 300 से ऊपर कलाकार भाग लेंगे। इस नाटक की सबसे बड़ी विशेषता इसका नियत समय पर प्रारम्भ होता है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता अनिल ओक ने शिवाजी के जीवन पर आधारित काव्य पाठ किया। इस दौरान अनिल ओक ने महानाट्य के कुछ संवादों का ऑडियो क्लिप सुनाया। 

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि शिवाजी का नाम सुनते ही मन में एक प्रकार का तरंग, उमंग और उत्साह पैदा होता है। बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करना शत्रुओं की पकड़ से भी सहजता से बाहर आ जाना यह गुण छत्रपति शिवाजी को श्रेष्ठ बनाता है। इस महानाट्य को देखने पर ऐसा लगेगा जैसे हम सभी उसी काल में पहुंच गये हो। 

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कार्यक्रम के दूसरे मुख्य अतिथि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा हमारी संस्कृति को पुरातन काल में बहुत चोट पहुंची। जिसके उत्थान का कार्य शिवाजी ने किया। यह नाटक भारत की व्यवस्था को बदलने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थाप क आशीष गौतम ने कहा कि छत्रपति शिवाजी केवल महाराष्ट्र के गौरव नहीं है। बल्कि सम्पूर्ण भारत के आस्था के केन्द्र हैं। जिस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित को जन-जन तक पहुंचाया। उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित को बाबा साहब पुरन्दरे ने इस नाटक के माध्यम से जनता के बीच में पहुंचाने का कार्य किया है। इस नाटक द्वारा प्राप्त आय से चिकित्सालय निर्माण की योजना है। 

इसके पहले अतिथियों ने भारत माता, छत्रपति शिवाजी के चित्र एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमापरमाल्यार्पण किया। संचालन प्रीतेश आचार्य और स्वागत भाषण सेवा भारती काशी प्रान्त के अध्यक्ष डॉ. राहुल सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राघव मिश्रा ने किया।

कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त क्षेत्र संयोजक रामाशीष, पूर्वीउप्र. क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. वीरेन्द्र, क्षेत्र सेवा प्रमुख नवल किशोर, सह क्षेत्र सेवा प्रमुख युद्धवीर, क्षेत्र ग्राम्य विकास प्रमुख चन्द्र मोहन, क्षेत्र मुख्य मार्ग प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना, सेवा भारती की क्षेत्र प्रचारिका शारदा, RSS के काशी प्रान्त कार्यवाह मुरलीपाल, सह प्रान्त कार्यवाह डॉ. राकेश तिवारी, प्रान्त प्रचारक रमेश, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश, प्रान्त प्रचारक प्रमुख रामचन्द्र प्रान्त, कार्यकारिणी सदस्य श्याम आदि की उपस्थिति रही।