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 'शहीद अतीक अमर रहें, योगी-मोदी मुर्दाबाद.नमाज़ पढ़कर भीड़ ने लगाए नारे, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा,, शहीदे अतीक का नहीं कानून का जनाजा निकला,,,।

'शहीद अतीक अमर रहें, योगी-मोदी मुर्दाबाद.नमाज़ पढ़कर भीड़ ने लगाए नारे, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा,, शहीदे अतीक का नहीं कानून का जनाजा निकला,,,।


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एजेंसी डेस्क:(बिहार पटना,न्यूज) बिहार की राजधानी पटना में रमजान के आखिरी जुमे (शुक्रवार - 21 अप्रैल) की नमाज के बाद तीन शूटरों द्वारा मारे गए समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद और गैंगस्टर अतीक अहमद का महिमा मंडन किया गया। जुमे नमाज के बाद कुछ कट्टरपंथियों ने 'शहीद अतीक अहमद अमर रहें' के नारे लगाए। इस दौरान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी मुर्दाबाद के नारे भी लगे। 

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यहां, गौर करने वाली बात ये भी है कि, कुछ समय पहले ही यूपी पुलिस ने गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर किया था, लेकिन हिन्दू समुदाय के एक भी व्यक्ति ने इस तरह की नारेबाजी नहीं की थी। यहाँ तक कि, यूपी की योगी सरकार में 2017 के बाद से अब तक जो 183 एनकाउंटर किए हैं, उनमे से केवल 57 ही मुस्लिम हैं, जबकि, 126 अपराधी हिंदू हैं। 

फिर भी अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं द्वारा ये फैलाया जा रहा है कि, यूपी में धर्म देखकर एनकाउंटर किए जा रहे हैं, इसी का नतीजा ये है कि, बंगाल में अतीक के सम्मान में कैंडल मार्च निकला है और बिहार में जुम्मे की नमाज़ के बाद एक हत्यारे के समर्थन में नारे लगे हैं।

बता दें कि, यह घटना किसी गाँव या छोटे-मोटे शहर कि नहीं,बल्कि बिहार की राजधानी घटना पटना जंक्शन के पास की है। बिहार के पटना जिले में स्थित एक मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद भीड़ बाहर निकल रही थी। इसी दौरान जमकर विवादित नारेबाजी की गई। गैंगस्टर अतीक के समर्थन में नारे लगाने वाले लोगों का नेतृत्व रईस अंसारी उर्फ रईस गजनवी कर रहा था। बताया जा रहा है कि गजनवी पटना जंक्शन के नजदीक एक दुकान चलाता है। सामने आए वीडियो में देखा और सुना जा सकता है कि 'गजनवी शहीद अतीक अहमद अमर रहें' की नारेबाजी हो रही है और वहां मौजूद सभी कट्टरपंथी यही नारा दोहरा रहे हैं। 

इस दौरान 'योगी-मोदी मुर्दाबाद' के भी नारे लगाए गए। बता दें कि 15 अप्रैल 2023 की शाम को अस्पताल में चेकअप कराने के ले जाते हुए तीन हमलावरों ने अतीक और उसके भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बताया जा रहा है कि, तीनों हमलावरों को अतीक को मारने के लिए पिस्तौल बाबर नामक एक कुख्यात अपराधी ने मुहैया कराई थी, जिसके बाद यह शक भी गहरा रहा है कि, पाकिस्तानी एजेंसी ISI ने अपना राज़ खुलने से पहले खुद ही अतीक को मरवा दिया । 

दरअसल, अतीक के ISI से भी कनेक्शन सामने आए थे । उसकी हत्या के बाद बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी अतीक और अशरफ की पुलिस के सामने हुई हत्या को लेकर तुष्टिकरण भरा बयान दिया था और कहा था कि, 'अतीक जी का नहीं, कानून का जनाजा निकला है।'

मुस्लिमों पर अतीक के जुल्म:-

यूपी पुलिस रिकॉर्ड्स के हवाले से अब जानकारी सामने आई है कि, दोनों भाइयों के मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी काफी प्रताड़ित किया था। इन दोनों माफियाओं के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, फ्रॉड करने, धमकी देने और जमीन कब्जाने जैसे कई आरोपों में केस दर्ज थे,लेकिनराजनितिक संरक्षण के चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। 

रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस रिकॉर्ड में माफिया भाइयों के खिलाफ आरोप लगाने वालों में एक लंबी सूची मुस्लिमों की ही है। पुलिस के मुताबिक, अतीक-अशरफ के खिलाफ दर्ज टॉप 20 अपराधिक मामलों में से 13 मामले मुस्लिम समुदाय ने दर्ज कराए थे। यही नहीं, अतीक के भाई अशरफ पर एक मदरसे से दो नाबालिग मुस्लिम लड़कियों को किडनैप करने और गनपॉइंट पर उनका बलात्कार करने का भी इल्जाम हैं। इसके बाद अशरफ ने खुद बलात्कार पीड़िता मुस्लिम लड़कियों को अगली सुबह मदरसे के गेट पर फेंक दिया था। 

इसी तरह उसने एक भाजपा नेता अशरफ कि हत्या भी करवाई थी, एक अन्य कारोबारी जीशान कि जमीन कब्जाई थी, और पार्षद नासन पर गोलीबारी करवाई थी।

इससे ये तो स्पष्ट है कि, अतीक मुस्लिमों के लिए भी​ कोई मसीहा नहीं था, लेकिन राजनेताओं के बयान ने उसे मुस्लिम समुदाय के साथ जोड़ दिया, लेकिनआज जो नेता माफिया अतीक की हत्या को मुसलमान की हत्या बताकर अल्पसंख्यक समुदाय को भड़का रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि अपराधी किसी के सगे नहीं होते, वो जब अपराध की चक्की चलाते हैं तो उसमे हर आम इंसान पिसता है, फिर चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान।

आतंकियों के लिए नमाज़ पढ़ने की हाई कोर्ट ने दी इजाजत,,,,,,,

बता दें कि, अतीक के समर्थन में नारे लगना अपराधियों केसमर्थन का पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी आतंकियों के लिए नमाज़ें और दुआएं पढ़ी जाती रही हैं और कुछ समय पहले तो हाई कोर्ट ने इसे बाकायदा इजाजत भी दे दी है। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने एक आतंकी की मौत पर उसके लिए नमाज़ पढ़ने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मारे गए आतंकियों के लिए नमाज पढ़ा जाना 'राष्ट्र विरोधी' गतिविधि नहीं है। 

हालांकि, कोर्ट के इस फैसले से एक बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ था कि भारत और भारत की जनता के विरोधी किसी आतंकी के लिए अगर इस तरह लोगों द्वारा नमाज़ें पढ़ीं जाने लगीं और उस दौरान 2-4 लोग भी सहानु भूति में आकर या आतंकी से प्रेरित होकर खुद आतंकवादी बन गए तो क्या देश की जनता के लिए ख़तरा नहीं होगा ? 

इसका जवाब किसके पास है विपक्ष या उन कट्टरवादी मुस्लिम नेताओं के पास ? जो एक क्रूर अपराधी माफिया गुंडे को हीरो और मसीहा बनाने पर तुले हैं?या वो यह नहीं जानते कि अपराध में चलाई हुई पहली गोली से लेकर आखरी गोली खुद अपराध करने वाले को ही लगती है। 

इसीलिए कहा गया है कि बुरे का अंत बुरा ही होता है,,,,,,,।