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वाराणसी : जब तक रहेगी सांस आता रहूंगा संकटमोचन के दरबार, अनूप जलोटा बोले- सीएम योगी ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी,,,।
एजेंसी डेस्क : (वाराणसी, ब्यूरो)।जब तक मेरी सांस रहेगी संकट मोचन के दरबार में हाजिरीलगाने आएंगे। लगातार 25 साल से हनुमान जी का आशीर्वाद मिल रहा है। उनकी ही कृपा से जीवन की नैया भी चल रही है। जब तक गले में आवाज रहेगी मैं बाबा के दरबार में शीश नवाने आता रहूंगा।यह कहना है मशहूर भजन गायक अनूप जलोटा का।
संकटमोचन संगीत समारोह में हाजिरी लगाने पहुंचे भजनसम्राट ने कहा कि युवाओं को खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। संगीत की दुनिया में बेहतर करने वालों को शास्त्रीय संगीत जरूर सीखना चाहिए। अगर वह गजल भी गाएंगे, सूफी गाएंगे, भजन गाएंगे, फोक गाएंगे तो उनमें प्रभाव आ जाएगा। अगर खुद को बेहतर नहीं बनाया तो कहीं भी सफलता नहीं मिलेगी।
अनूप जलोटा ने बताया कि यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके ओमकार ग्रुप को देश के 121 घाटों पर भजन कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसकी शुरुआत गोरखपुर के राप्ती घाट से होगी और इसका अंतिम पड़ाव श्रीनगर में झेलम का किनारा होगा।
अनूप जलोटा के गानों पर झूमे लोग, पीएम मोदी को लेकर कही ऐसी बात जिसकी हो रही चर्चा,,,,
इस आयोजन का एक पड़ाव बनारस, प्रयागराज समेत गंगा तट वाले कई शहर हैं। आयोजन में युवाओं और नई प्रतिभाओं के लिए मंच मिलेगा। अनूप ने कहा कि देश को सोने की चिड़िया कह दिया गया और अंग्रेजों ने उसको लूट लिया। मुगलों ने तबाह कर दिया, लेकिन अब पीएम मोदी ने चिड़िया को शेर बना दिया है। अब कोई लूट के दिखाए। जिस देश ने यहां पर इतने साल राज किया। वहां का पीएम अब सना तनी है। इंग्लैंड का प्रधानमंत्री हिंदू है। उसके घर में दिन-रात भगवान की पूजा होती है। इसलिए मैं अब पुरानी लिरिक्स बदल रहा हूं।
संकटमोचन के मंच पर प्रस्तुति देना सबसे बड़ा सौभाग्य,,,,,,,
हर साल संकटमोचन दरबार में हम लोग आशीर्वाद लेने आते हैं। सौ का आंकड़ा अपने आप में बहुत बड़ा होता है। संकटमोचन संगीत समारोह की 100 साल की यात्रा का यह अहम पड़ाव है। यहां इस मंच पर ऐसे-ऐसे कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी हैं जिनका इतिहास में नाम दर्ज हैं, जिनको हम लोग तस्वीरों में देखते हैं। ऐसे मंच पर प्रस्तुति देना अपने आप में बड़ा सौभाग्य है। यह कहना है मशहूर सितार वादक नीलाद्री कुमार का।
संकटमोचन संगीत समारोह में प्रस्तुति देने आए नीलाद्री ने कहा कि आज की पीढ़ी सब कुछ बहुत जल्दी सीखना चाहती है लेकिन शास्त्रीय संगीत में यह आसान नहीं है। शास्त्रीय संगीत का मतलब है साधना। हर पीढ़ी में कभी हां कभी ना होता है। वर्तमान पीढ़ी में हां बोलने का कारण और जरिया बहुत है। ऐसे में युवाओं से यही कहना है कि, सीखना है तो सहज भाव के साथ धैर्य से गुरु की शरण में जाएं। बिना गुरु की कृपा से ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है।