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स्टोरी अतीक न्यूज
प्रयागराज : इस IPS ने अतीक अहमद को तीन बार किया था गिरफ्तार, बताया कैसे मिलता था,अपराधियों को राजनीतिक दलों का संरक्षण,,,।
एक आईपीएस की,सच्चीकहानी अतीक के कारनामों की जुबानी,, प्रयागराज, माफिया अतीक अहमद के 44 साल के आतंक का अंत हो चुका है, लेकिन आज भी उसके आतंक के चर्चे हो रहे हैं। माफिया अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा था और उसे ऐसा राजनीतिक संरक्षण मिला कि वह अपराध दर अपराध करता गया। उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के खिलाफ दर्ज मामलों में पुलिस या तो राजनीतिक दबाव के चलते कोई कार्रवाई नहीं करती थी या फिर गवाह ही अपने बयान से मुकर जाया करते थे।जिसके चलते माफियाअतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हर गुनाह कर बच जाया करते थे। लेकिन प्रयागराज में एक ऐसे पुलिस अफसर भी तैनात रहे, जिन्होंने एक बार नहीं बल्कि अतीक अहमद को तीन बार गिरफ्तार करने का काम किया था हालांकि अब ये पुलिस के अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। लेकिन उनके मुताबिक उन्हें कभी भी अतीक अहमद को गिरफ्तार करने में कोई डर नहीं लगा।
यह पुलिस अधिकारी हैं रिटायर्ड आईपीएस और पुलिसमुख्यालय में आईजी स्थापना के पद से रिटायर लाल जी शुक्ला जिनका दावा है कि, उनके गिरफ्तार करने के बावजूद अतीक अहमद की कभी हिम्मत नहीं हुई कि वह उन्हें धमका सके।
रिटायर्ड आईपीएस लाल जी शुक्ला के मुताबिक बात अगस्त 1996 की है जब वे एसपी यमुना पार के पद पर कार्यरत थे। उस दौरान एक नौजवान अशोक साहू की हत्या हुई थी। हत्या का आरोप अतीक अहमद के भाई अशरफ पर लगा था। अशोक साहू की हत्या मामूली बात पर हुई थी। सिविल लाइन इलाके में कार पार्किंग को लेकर अशोक साहू और अशरफ का झगड़ा हो गया था। अशोक साहू युवा था, और उसने अशरफ को एक थप्पड़ रसीद कर दिया। लेकिन जब अशोक साहू को पता लगा कि अशरफ, माफिया अतीक अहमद का भाई है तो वह अतीक अहमद के घर पर गया और उसने माफी भी मांगी, लेकिन अतीक अहमद ने उसे माफ नहीं किया और अशरफ ने अपने साथियों के साथ मिलकर अशोक साहू की दिनदहाड़े हत्या कर दी। इस घटना की विवेचना में माफिया अतीक अहमद का नाम षड्यंत्र रचने और आरोपियों को बचाने में सामने आया था।
इस मामले में पहली बार लालजी शुक्ला ने पुलिस बल के साथ अतीक अहमद को तत्कालीन एसएसपी रजनीकांत मिश्रा के निर्देश पर 9 अगस्त 1996 को गिरफ्तार किया था। हालांकि इस मामले में गवाहों के मुकर जाने के चलते अतीक अहमद बच गया।
पार्षद अशफाक की हत्या में किया था गिरफ्तार,,,,,,,
इसके बाद एक दूसरी घटना 1994 की है, जिसमें एक पार्षद अशफाक ऊर्फ कुन्नू की हत्या हुई थी। रिटायर्ड आईपीएस लालजी शुक्ला के मुताबिक यह पार्षद पहले अतीक अहमद का ही करीबी था।लेकिन बाद में अतीक अहमद से अनबन होने के बाद उसे ठिकाने लगवा दिया था। इस मामले में भी विवेचना में अतीक अहमद का नाम सामने आया था। हालांकि अतीक अहमद ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करवा दी थी ताकि वह इस मामले में बच जाए। घटना के लगभग7सालबादसीबीसीआईडी कानपुर शाखा के विवेचक ने यह पाया कि,मामले में अतीकअहमद की संलिप्तता है। इस मामले में सीबीसीआईडी ने तत्कालीन एसएसपी पीके तिवारी से उसकी गिरफ्तारी के लिए अनुरोध किया उस दौरान लालजी शुक्ला एसपी सिटी प्रयागराज के पद पर तैनात थे। उनके मुताबिक उस दिन धूमनगंज थाने का इंस्पेक्शन कर रहे थे, और तत्कालीन एसएसपी पीके तिवारी का फोन आया। अतीक अहमद विधायक थे, उन्हें जानकारी मिली कि अतीक अहमद अपने चकिया स्थित कार्यालय में मौजूद था। एसपी सिटी लालजी शुक्ला ने धूमनगंज थाना इंस्पेक्टर को साथ लिया और कोतवाली इंस्पेक्टर राधेश्याम त्रिवेदी को भी मौके पर बुला लिया, और विधायक रहते हुए दूसरी बार पार्षद हत्याकांड में अतीक अहमद को उन्होंने गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। रिटायर्ड आईजी के मुताबिक किसी ने विरोध करने की हिम्मत तक नहीं की।
सूरज कली के मामले में भी अतीक हुआ था गिरफ्तार,,,,,,
इसके अलावा एक वाकया 2002 का है, जब माफिया अतीक अहमद के खिलाफ धूमनगंज थाने में झलवा की महिला जयश्री उर्फ सूरज कली ने अपने पति को गायब करवाने और साढ़े12बीघे जमीन कब्जाने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में अतीक अहमद को गिरफ्तार करना था, तत्कालीन एसएसपी रहे लालजी शुक्ला ने प्रयागराज से पुलिस टीमभेजी,अतीकअहमदविधायक थे और अपने विधायक निवास लखनऊ में मौजूद थे। वहीं से पुलिस टीम ने उन्हें गिरफ्तार किया और प्रयागराज लेकर आई माफिया अतीक अहमद का गैंग था, और उस पर गैंगस्टर की धाराओं का भी इजाफा किया गया जिसके बाद अतीक अहमद को कोर्ट में पेश किया गया और कोर्ट ने सीधे अतीक अहमद को जेल भेज दिया था।
अतीक अहमद को राजनीतिक दलों का खूब संरक्षण मिला,,,,,,,
रिटायर्ड आईजी लाल जी शुक्ला के मुताबिक माफिया अतीक अहमद को राजनीतिक दलों का खूब संरक्षण मिला। माफिया अतीक अहमद पहले निर्दलीय चुनाव जीता, उसने अपने राजनी तिक गुरु चांद बाबा की हत्या की, जिसके बाद उसने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह अपना दल और समाजवादी पार्टी से विधायक बना। इसके बाद समाजवादी की टिकट पर 2004 में फूलपुर संसदीय सीट से भी सांसद निर्वाचित हुआ। उसका भाई अशरफ भी एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से विधायक बना। लेकिन माफिया अतीक अहमद के अपराध का सिलसिला जारी रहा।
रिटायर्ड आईजी लाल जी शुक्ला बताते हैं कि राजनीतिक दलों से मिलने वाले संरक्षण के चलते ही माफिया फलते-फूलते हैं और अगर उनकी जड़ों को काट दिया जाए और पुलिस के अफसरों की इच्छा शक्ति मजबूत हो तो माफियाओं को नेस्तनाबूद किया जा सकता है। उनके मुताबिक बीजेपी सरकार बनने के बाद ऐसा ही कुछ देखने को मिला।
बीजेपी सरकार की मजबूत इच्छा शक्ति की वजह से हुई कार्रवाई,,,,,,,
माफियाओं के खिलाफ सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति के चलते अफसरों ने जमकर कार्रवाई की। हालांकि लाल जी शुक्ला मानते हैं कि माफिया अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए भी अपना नेटवर्क ऑपरेट किया। देवरिया जेल में रहते हुए लखनऊ से अपने कारोबारी पार्टनर मोहित जायसवाल को अगवा कर उसकी पिटाई की और रंगदारी मांगी। इसके साथ ही प्रयागराज से मोहम्मदजैद को अगवा कराया और उसेभी देवरिया जेल में पीटा गया। जिसकी एफआईआर जनवरी2019 में जैद ने धूमनगंज थाने में कराई जबकि लखनऊ के कारोबारी मोहित जायसवाल ने 2018 में कृष्णा नगर थाने में एफआईआर कराई थी। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 3 जून 2019 को माफिया अतीक अहमद को साबरमती जेल भेजा गया था। यहां भी जेल से ही माफिया नेअपना कारोबार फैला लिया था। जांच एजेंसियों को जो जानकारी मिली है, उसके तहत उसने गुजरात और महाराष्ट्र के साथ ही राजस्थान के कुछ कारोबारियों के साथ बिजनेस डील की थी, उसने करीब 15 सौ करोड़ का निवेश किया है। फिलहाल तमाम मामलों की जांच हो रही है।
अतीक अहमद को तीन बार गिरफ्तार करने वाले पुलिस ऑफिसर रिटायर्ड आईजी लालजी शुक्ला के मुताबिक निष्पक्ष अगर कार्रवाई की गई तो आने वाले दिनों में माफिया अतीक अहमद का पूरा साम्राज्य पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा। उनके मुताबिक अगर ईमानदारी से कार्रवाई की गई तो अब माफिया के इस काले साम्राज्य में कोई भी व्यक्ति नहीं पनपेगा।