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वाराणसी नगर निगम में जीते केवल 15 मुस्लिम पार्षद, हार गए भाजपा के तीनों प्रत्याशी,,,।
एजेंसी डेस्क : (वाराणसी,ब्यूरो)।वाराणसी नगर निगम के चुनाव में इस बार 15 मुस्लिम पार्षद जीते हैं। सपा और कांग्रेस के छह-छह और तीन निर्दल मुस्लिम पार्षद जीते हैं। भाजपा ने इस बार एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। जिसे हार का सामना करना पड़ा।
सभी राजनीतिक दलों ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया था। लेकिन सपा और कांग्रेस के अलावा अन्य किसी पार्टी से मुस्लिम पार्षद नहीं जीते हैं। 15 प्रतिशत मुस्लिम पार्षद सदन में मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को रखेंगे और उनका समाधान कराएंगे।
सपा के खाते में छह मुस्लिम पार्षद हैं। इनमें जोल्हा दक्षिणी वार्ड से मोहम्मद इरफान, लोहता से रिजवाना शाहिना फिरदौस, अलईपुरा से रजिया बेगम, बागहाड़ा से समा, ओंकालेश्वर से साजिया खान, लल्लापुरा कला से हारून अंसारी शामिल हैं। कांग्रेस के खाते में भी छह मुस्लिम पार्षद आए हैं।
इनमें जलालीपुरा वार्ड से शबाना अंसारी, मदनपुरा से इशरत परवीन, काजी सादुल्लापुरा से फरजाना, कमलगड़हा से नूरजहां परवीन, सरैयां से जूफा जबी, कमलापुरा से गुलशन अली शामिल हैं। निर्दल मुस्लिम पार्षदों में बलुआबीर से ताजर बीबी, बंधु कच्चीबाग से शाहिन परवीन, जलालीपुरा से मोहम्मद तैयब जीती।
शपथ के बाद सदन की पहली बैठक में मुस्लिम पार्षद अपने अपने इलाकों में मूलभूत समस्या ओं को दूर कराएंगे। इसके लिए उन्होंने अभी से कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी है। कई ऐसे निवर्तमान पार्षद हैं जिन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा है बल्कि अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा और सफलता दिलाई है। इनमें हाजी ओकास अंसारी की पत्नी शबाना और रमजान अली की पत्नी फरजाना ने जीत दर्ज की है।
मुस्लिम मतों के बिखराव का मिला भाजपा को फायदा,,,,,,,
वाराणसी नगर निगम के चुनाव में मुस्लिम मतों के बिखराव ने भाजपा की राह आसान कर दी। शहरी क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता दो धुरी में बंटे दिखे। कांग्रेस से जीतने वाले आठ पार्षद मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से आते हैं। ठीक यही हाल सपा का भी रहा है।
शहरवासियों का कहना है कि मुस्लिम मतों का बिखराव न होता तो भाजपा को इतनी बंपर जीत नहीं नसीब होती। चुनाव की घोषणा के साथ ही जातीय व सामाजिक समीकरण साधे जाने लगे थे।
सपा ने यादव, मुस्लिम व क्षत्रियों का गठजोड़ बनाने का प्रयास किया। इसी तरह कांग्रेस ने कायस्थ को चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा के कैडर वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास किया, भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाकर विपक्ष की रणनीति ध्वस्त कर दी। सवर्ण के साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भाजपा के पक्ष में एकजुट दिखे। इसी वजह से भाजपा को बड़े अंतर से जीत मिली है।
विधायकों के निर्णय पर उठने लगे सवाल,,,,,,,
शहर के 100 वार्डों में 63पर जीत हासिल कर चुकी भाजपा ने हारी हुई सीटों पर समीक्षा शुरू कर दी है। दरअसल, इस चुनाव में विधायकों ने अपने विधानसभा के पार्षद प्रत्याशियों का चयन किया था। अपनों को टिकट देने की होड़ में कई वार्ड में पुराने कार्यकर्ता नजरअंदाज हुए और बड़ी संख्या में बागी मैदान में उतरे और जीते भी हैं।