एजेंसी डेस्क : (वाराणसी,ब्यूरो)।वाराणसी के सिगरा स्थित आईपी मॉल में शुक्रवार को हर-हर महादेव और जय-जय श्री राम के नारे लगे। पूरा हॉल केशरिया रंग से भरा हुआ था। मौका था 'द केरल स्टोरी' देखने का। यहां पर फिल्म देखने के लिए वाराणसी के संत और प्रबुद्धजन पहुंचे हुए थे। इस फिल्म का जितना विरोध हो रहा है, उतना ही लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
वाराणसी में भी लगभग यही हाल है। धर्मांतरण के मुद्दे पर बनी इस फिल्म को हर कोई देखने पहुंच रहा है।
अखिल भारतीय संत समिति के सचिव स्वामी जितेन्द्रानंद ने बताया कि अखिल भारतीय संत समिति के कोषाध्यक्ष और काशी के संत समाज के लोग फिल्म देखने पहुंचे। जितने सनातन धर्मावलंबी हैं वे भी पहुंचे थे।
पिछली सरकारों के द्वारा सनातन धर्म के विपरीत फिल्में बनाकर के उनके द्वारा दिखाया जाता रहा और सनातन धर्म का विरोध होता रहा। हर जगह चाहे वह लव जेहाद को लेकर, चाहे मठ-मंदिरों को लेकर हर समय हमारे भगवान को नीचा दिखाने का काम किया गया।
किसी भी संप्रदाय का अपमान नहीं होना चाहिए,,,,,,,
उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों में ऐसी ही फिल्में बनती थी। लोग हंसते थे और मजाक उड़ाते थे। वर्तमान में सत्य पर निर्धारित फिल्में बन रही हैं, क्योंकि पहले जब कोई सत्य पर फिल्में बनाना चाहता था तो उसे दबा दिया जाता था। आज ऐसी सरकार आई है जो देख रही है, कि किसी तरह से किसी का भी अपमान नहीं होना चाहिए, चाहे वह किसी भी संप्रदाय का क्यों न हो।
गुंडा-बदमाश चंदन लगाकर आया करते थे,,,,,,,
स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि आज जिस प्रकार से अत्याचार चाहे वह 'कश्मीर फाइल्स' के माध्यम से दिखाया गया हो, चाहे यह 'द केरल स्टोरी' के माध्यम से दिखाया जा रहा है। इसमें हमारे धर्म का अपमान करने वालों को दिखाया गया है। लव जिहाद के बढ़ावे को दिखाया गया है। पंडितों का अपमान करते हुए देखा गया है। कभी-कभी गुंडा-बदमाश जैसे लोग चंदन लगाकर ही आया करते थे।
कश्मीर फाइल्स को 600 स्क्रीन भी मिलना मुश्किल था ,,,,,,,
पातालेश्वर मठ के महंत स्वामी बालकदास ने बताया कि कि 'फिल्में समाज का आईना होती हैं। ऐसी फिल्में जो सत्य पर आधारित हों उसके निर्माण स्वरूप जब कश्मीर फाइल्स आई तो उसे दिखाने के लिए 600 स्क्रीन भी मिलना मुश्किल था। बाद में 6,000 से ज्यादा स्क्रीन उपलब्ध हुए और उसको लेकर एक चर्चा समाज में हुई। आज सरकारी आंकड़ों में उपलब्ध है कि हिंदू और ईसाइयों की 32,000 लड़कियां केरल से गायब हैं और इसमें अधिकतर को ब्रेन वाश करके ISIS में शामिल करा दिया गया'।
राष्ट्र की एकता और अखंडता का मसला ,,,,,,,
उन्होंने बताया कि राष्ट्र की एकता और अखंडता से जुड़ा हुआ यह मसला है। इस पर कोई फिल्म आई है तो इस फिल्म को देखना चाहिए, जिन्हें सत्य से आपत्ति हो उन्हें चुनौती देनी चाहिए हालांकि केरल हाईकोर्ट ने जो लोग विरोध में गए थे उस मुकदमे को आज खारिज कर दिया और कहा कि यह फिल्म प्रदर्शित होनी चाहिए।
एंटी नेशनल टूलकिटवाली कांग्रेस का विरोध करेगी,,,,,,,
स्वामी बालकदास ने कहा कि हम साधु संतों के साथ इस फिल्म को देखने के लिए आए थे। स्वाभाविक है कि AICC का अर्थ है ऑल इंडिया चर्च कांग्रेस। चर्च कांग्रेस इसका विरोध करेगी ही। उसे हिंदू समाज से कोई लेना-देना नहीं। जितने भी एंटी नेशनल टूलकिट हैं वे उनके यहां काम करेंगे ही।
कैसी फिल्म है 'द केरल स्टोरी',,,,,,
द केरल स्टोरी कश्मीर फाइल्स की तरह ही बोल्ड मूवी है। फिल्म में कुछ लड़कियों की सच्ची कहानी बताई जा रही है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे धर्म की बुराई कर दूसरे धर्म विशेष की ओर आकर्षित किया जाता है। पुलिस और प्रशासन ऐसी शिकायतों पर ध्यान नहीं देता।