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जानिए हर करेंसी नोट पर ऐसा क्यों लिखा होता है? मैं धारक को..रुपये अदा करने का वचन देता हूँ,,,।

जानिए हर करेंसी नोट पर ऐसा क्यों लिखा होता है? मैं धारक को..रुपये अदा करने का वचन देता हूँ,,,।


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अपने पर्स में पड़े 10-20-50, 100-500 या 2000 के नोटों को आपने गौर से देखा है? दरअसल भारतीय करेंसी से जुड़ी अनोखी जानकारियों की अपनी एक दिलचस्प दुनिया है। 

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इन नोटों के बारे में बहुत सारी ऐसी बातें हैं, जो लगती तो सामान्य हैं, लेकिन उन पर आप गौर नहीं कर पाते हैं।हो सकता है कि, उनके बारे में आपने कभी जानने की कोशिश नहीं कीहोगी 

असली और नकली की पहचान के लिए नोटों पर सुरक्षा चिह्नों को ही देख लीजिए… बहुत सारे लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं रहती। 

आइए जानते हैं रूपयो की कुछ दिलचस्प बाते,,,,,,,

क्या आप जानते हैं कि भारतीय करेंसी में भाषा पैनल में कितनी भाषाएं मुद्रित होती हैं ? मतलब कि हिंदी और अंग्रेजी में प्रमुखता के अलावा कितनी भाषाओं में मूल्य अंकित रहता है ? 

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अपने पर्स में से कोई एक 100 रुपये का ही नोट निकालें, उसे पीछे पलटें। वहां सफेद भाग से सटी एक पट्टी में आपको 15 भाषाओं में 100 रुपये लिखा दिखाई देगा। 

क्या आप जानते हैं कि नए बैंक नोट पर मुद्रित होनेवाले रेखाचित्र (फिगर) का निर्धारण कौन करता है ? इस बारे में आरबीआई की वेबसाइट पर बताया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 25 के अनुसार, बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्वरूप और सामग्री आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप तय होती है।

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क्या आपने कभी सोचा है कि बैंक नोट पर "मैं धारक को… रुपये अदा करने का वचन देता हूं" क्यों लिखा होता है ? दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 के अनुसार, बैंकनोट के मूल्य का भुगतान करने हेतु बैंक उत्तरदायी होता है।जारीकर्ता होने के कारण मांग किए जाने पर यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा देय होता है। 

उपरोक्त वाक्य आरबीआई की तरफ से इस बात की गारंटी है कि 100 रुपये के नोट के लिए धारक को 100 रुपये की देयता है। यह एक तरह से नोटों के मूल्य के प्रति आरबीआई का वचन है।