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अनोखा है ये जगन्नाथ मंदिर, मानसून के आने के कुछ दिन पहले टपकने लगती हैं बूंदे, जानिए इसका रहस्य,,,।
एजेंसी डेस्क : (कानपुर, ब्यूरो)।देश के कोने-कोने में कई रहस्य मयी जगह मौजूद है, जो अपने अनोखे रहस्य के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है, उत्तर प्रदेश के कानपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर एक ऐतिहासिक मंदिर मौजूद है, जिसे जगन्नाथ मंदिर कहा जाता है।
कानपुर जनपद के भीतर गांव ब्लॉक से करीब 3 किलोमीटर दूर बेहटा बुजुर्ग नाम का एक गांव है, जहां पर यह अनोखा मंदिर मौजूद है। इस मंदिर को ठाकुर जी बाबा के अलावा मानसून वाला मंदिर भी कहा जाता है। जानिए जगन्नाथ मंदिर के बारे में रोचक बातें।
क्या है इस मंदिर की खासियत ?
साधारण से दिखने वाला ये मंदिर अंदर से कई रहस्य छिपाए हुए है, जिन्हें बड़े-बुजुर्ग से सुनते चले आ रहे हैं। इसके साथ ही इस मंदिर की खासियत यह है कि बारिश होने या फिर मानसून आने के कुछ दिन पहले से गर्भ ग्रह की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती है। सबसे बड़ा अजूबा यह है कि इससे टपकी हुई बूंदे भी बारिश की बूंदों के आकार में होती है। वहीं, जिस दिन बारिश होती है,तो मंदिर में पानी टपकना बंद हो जाता है।
जगन्नाथ के साथ बलदाऊ की मूर्ति ,,,,,,,
जगन्नाथ मंदिर में काले पत्थर से बनी भगवान जगन्नाथ की करीब 15 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही सुभद्रा व बलराम मूर्ति भी विराजमान है।बता दें कि ये मूर्तियां दीवार से काफी हटकर विराजमान है,जिससे श्रद्धालुगण भगवान जगन्नाथ की पूरी परिक्रमा कर सकते हैं।
इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के चारों ओर10 अवतार की भी मूर्तियां बनी हुई है,हर एक अवतार के साथ अंत में कल्कि भी अंकित है। इस मंदिर के अंदर गर्भ ग्रह में चारों ओर खम्बे है। जिनमें बेहतरीन तरीके से नक्काशी की गई है।
कब हुआ था इस मंदिर का निर्माण,,,,,,,
तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी इसके निर्माण का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक भी सटीक जानकारी नहीं दे पाएंगे। जगन्नाथ मंदिर बाहर से बौद्ध स्तूप जैसा दिखाई देता है। हालांकि इस वैष्णव मंदिर के भीतर भगवान जगन्नाथ की मुख्य प्रतिमा और शिल्पकला नागर शैली की हैं। इसलिए माना जाता है कि करीब11वीं या 12वीं सदी में बना ये मंदिर ध्वस्त हो गया होगा। इसके बाद किसी ने इस मंदिर की मरम्मत फिर से नही कराई थी।
मंदिर के मुख्य द्वार के पास एक प्राचीन कुंआ है। इसके साथ की मंदिर के दाईं ओर एक प्राचीन तालाब भी मौजूद है। काले पत्थर से बनी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के साथ केवल उनके अग्रज बलराम की ही छोटी प्रतिमा है। उसके पीछे पत्थरों पर भगवान के दशावतार उकेरे गए हैं। इन दशावतारों में महात्मा बुद्ध के स्थान पर बलराम का चित्र उकेरा गया है।
मानसून पत्थर बारिश होने से पहले देता है संकेत,,,,,,,
जगन्नाथ मंदिर से टपकने वाली पानी की बूंदों का रहस्य काफी अनोखा है, क्योंकि यहां पर मानसून आने के कुछ पहले से ही पानी की बूंदे टपकना शुरू हो जाती है। इन बूंदों का आकार देखकर इस बात का अंदाजा भी लगा लिया जाता है कि इस बार मानसून अच्छा होगा कि कमजोर।