आईएएस की सक्सेस स्टोरी
लाखों की नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी में जुटी, 2 बार प्रीलिम्स में फेल होने पर ऐसे पाई 6वीं रैंक,,,।
:: यूपीएससी की सक्सेस स्टोरी ::
मोटी सैलरी हर कोई चाहता है, क्योंकि लोग पढ़ाई भी इसीलिए करते हैं। मगर अब जमाना बदल गया है, ऐसे भी लोग हैं जो बेहतर पैकेज के बावजूद ना केवल नौकरी छोड़ देते हैं बल्कि वे फिर से पढ़ाई भी शुरू कर देते हैं और यूपीएससी सिविल परीक्षा की तैयारी में लग जाते हैं।
आज की इस सक्सेस स्टोरी में हम एक ऐसी ही लड़की की सच्चाई से भरी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने इंजीनियरिंग के बाद बेहतर पैकेज छोड़कर यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। आइए जानते हैं कैसा रहा उनका यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का सफर,,,,,,,।
देश की राजधानी से रखती हैं ताल्लुक,,,,,,,
विशाखा यादव देश की राजधानी दिल्ली से ताल्लुक रखती हैं। वह द्वारका की रहने वाली हैं। उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं पूरी हुई है। इसके साथ ही, उन्होंने जेईई मेन्स की परीक्षा पास की और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) में बीटेक में दाखिला लिया।
लाखों की छोड़ी नौकरी,,,,,,,
डीटीयू से बीटेक की डिग्री लेने के बाद विशाखा को संस्थान से बेहतर पैकेज पर नौकरी का ऑफर भी मिला। उन्होंने इसे स्वीकार भी किया लेकिन नौकरी के दो साल के दौरान उन्हें दिल से अहसास हुआ कि यह नौकरी ही उनकी मंजिल नहीं है। उन्हें कुछ और ही हासिल करना है। इसके बाद, उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने लगी।
प्रीलिम्स में दो बार हुई फेल,,,,,,,
पूरी तैयारी के बाद विशाखा प्रीलिम्स परीक्षा में शामिल हुईं लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली। ऐसा उनके साथ एक बार नहीं बल्कि दो बार हुआ। वह प्रारंभिक परीक्षा में अपने दोनों प्रयासों में अनुत्तीर्ण हो गई थी जिससे वह बहुत निराश थी।हालांकि, उन्होंने इस निराशा को खुद पर हावी नहीं होने दिया, वह अपने दृढ़ निश्चय पर अडिग रही।
तीसरे प्रयास में हासिल की 6 वीं रैंक,,,,,,,
हार ना मानते हुए विशाखा अपनी तैयारी करती रहीं पिछली दो बार में हुई गलतियों पर सुधार किया। इसके बाद, उन्होंने तीसरा प्रयास दिया। इस बार उनकी मेहनत में कोई कमी नहीं आई।वह परीक्षा में शामिल हुई और तीनों चरणों में उत्तीर्ण होकर सफल हो गई और पूरे देश में छठी रैंक हासिल की।
अंत में आईएएस विशाखा यादव ने हमारे केसरी न्यूज़ प्रतिनिधि पत्रकार तुषार उर्फ शिवम केसरी को बताया कि इंसान चाहे तो मेहनत से क्या नहीं कर सकता है एक मुस्तबील वह लगन ही इंसान के सफलता की मंजिल का रास्ता है। असफलता से निराश न होकर अपने लगन की मंजिल को प्राप्त करना ही जीवन का सुकून और एक मात्र लक्ष्य रहना चाहिए।