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सावधान! फर्जी कागजों पर सैंकड़ों वाहनों का बीमा, करोड़ों का इंश्योरेंस क्लेम लेकर गाड़ियां गायब कर रहे फ्रॉड,,,।
बरेली में वाहनों केफर्जीदस्तावेज बनाकर जालसाज बड़ा खेल कर रहे हैं। एचडीएफसी बैंक ने जब इंश्योरेंस क्लेम की फाइलेंजांचनी शुरू की तो इसका खुलासा हुआ 932कार,बाइक, एक्टिवा व अन्य वाहन ऐसे मिले, जिनका कुछ पता ही नहीं है। करोड़ों रुपए का इंश्योरेंस क्लेम लेकर गाड़ियां गायब कर दी गईं। मामले की शिकायत प्रशासन से की गई तो आरटीओ विभाग ने जांच शुरू की। पता चला, फाइनेंस करने वाली कंपनियों के कर्मचारियों से मिलकर खेल किया गया है।
कमिश्नर ऑफिस में एचडीएफसी बैंक की ओर932वाहनों की सूची भेजी गई थी। इसमें बरेली यूपी 25 बीटी,सीटी,एसटी,सीडी, बीसी आदि सीरीज की गाड़ियां थीं। इन गाड़ियों के फर्जी दस्तावेज लगाकर इंश्योरेंस कराया गया था फिर क्लेम लेने के बाद गाड़ियां गायब कर दी गईं। जिन पतों पर गाड़ियों का इंश्योरेंस हुआ, बैंक की टीम वहां गई तो, पता भी फर्जी निकला। इस मामले में बैंक और परिवहन विभाग रिकॉर्ड चेक करने में लगा है।
‘मिनी आरटीओ’ चलता है बरेली में,,,,,,,
दलालों और बाबूओं के गठजोड़ की कहानी पुरानी है। जहां आरटीओ ऑफिस है, उसका एरिया बाहर के ‘मिनी आरटीओ’ से कहीं कम नहीं है। मेन गेट के पास एक अंदर को गली है, उसमें 100 से अधिक दलालों की दुकानें हैं।300 से 400 दलालों के ऑफिस हैं। जो परिवहन विभाग के बाबूओं से मिलकर डुप्लीकेट आरसी, एनओसी आदि फर्जी तरह से जारी करा देते हैं। कुछ फाइनेंसर हैं, जो फर्जीवाड़ा कर गाड़ियों का इंश्योरेंस कराकर क्लेम दिला देते हैं।
पुलिस-प्रशासन से कार्रवाई की मांग,,,,,,,
आरटीओ दिनेश कुमार ने कहा कि दलालों को केवल ऑफिस आने से रोका जा सकता है। इसके लिए हर कमरे में सीसी कैमरे लगे हैंफर्जीवाड़ा,धोखाधड़ी की कार्रवाई करना पुलिस का काम है। कई बार प्रशासन और पुलिस को पत्र लिखा जा चुका है कि दलालों कोआरटीओऑफिस के बाहर से भगाया जाए।और तो परिवहन विभाग कई बार यहां जेसीबी से गड्ढे खोदवा चुकी है ताकि यहां कोई खोखा या तंबू न लगा सके। दलालों के तंबू भी तुड़वाया जा चुका है।
क्लेम के सत्यापन में यूं करते हैं खेल,,,,,,,
फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारी भी इस खेल में शामिल होते हैं। जालसाज फोटो एडिट एप के माध्यम से फर्जी दस्तावेजआधार, पैन कार्ड बनाते हैं। उन्हीं को सत्यापित कर दिया जाता है। उसी के आधार पर क्लेम कर देते हैं। कंपनी के अधिकारी स्वीकृत कर देते हैं। जब बैंक साल दो-साल में क्लेम संबंधी दस्तावेज चेक करती है तो खेल पकड़ा जाता है।
एआरटीओ (प्रशासन), मनोज कुमार ने कहा कि बैंक ने 932 वाहनों की सूची भेजी थी। उन वाहनों का ऑनलाइन डाटा हटाने को कहा था। हमारे यहां सिर्फ रजिस्ट्रेशन होता है। बीमा वाले वाहनों का डाटा हटाने का विभाग के पास कोई ऑप्शन नहीं है। जांच पूरी होने पर बैंक को रिपोर्ट भेजी जाएगी।