काशी में 13 सौ वर्षों से विराजमान हैं सुमंतेश्वर महादेव, दर्शन मात्र से कभी नहीं होती धन की कमी,,,।
वाराणसी :: धार्मिक आस्था से भरी काशी नगरी में यूं तो वर्षों पुराने कई देवालय हैं लेकिन भगवान सुमंतेश्वर महादेव का मंदिर 13 सौ वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। मान्यता है कि सुमंतेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही मनुष्य को कभी धन की कमी नहीं होती।
मंदिर के मुख्य पुजारी प्रमोद पाठक ने बताया कि काशी खंड में वर्णित यह मंदिर 13 सौ वर्ष पहले सुमंतेश्वर ऋषि ने स्थापित किया था। यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि यहां तुलसी दास जी ने लंबे समय तक प्रवास किया था और इसे तुलसी प्रथम प्रवास स्थल के नाम से भी जाना जाता है।
इतना ही नहीं सुमंतेश्वर महादेव मंदिर में तुलसी दास जी ने बाल स्वरूप हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की थी। तुलसीदास जी ने यहीं बैठकर रामायण का अरण्य और किष्किंधा कांड लिखा था। लंबे समय तक यहां प्रवास करने के बाद तुलसी दास जी यहां से गए थे।
घनी आबादी वाले हनुमान फाटक क्षेत्र में स्थित है सुमंतेश्वर महादेव मंदिर
मंदिर आदमपुर के घनी आबादी वाले हनुमान फाटक इलाके में स्थित है। मंदिर के पुजारी परिवार के दीपक पाठक ने बताया कि उनकी चौथी पीढ़ी मंदिर में सेवा भाव कर रही है। मंदिर में भगवान के गर्भ गृह के अलावा एक शिवालय भी है और वर्षों पुरानी दीवार पर बनी देवी-देवताओं की आकृतियां भी हैं। सुमंतेश्व महादेव मंदिर के अंदर विराजमान बालस्वरूप हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के मन में बैठा भय मिट जाता है।