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 कुल्लू मनाली :: ब्यास नदी के उफान में भी अडिग खड़ा रहा पंजवक्त्र महादेव मंदिर, लोगों को आई केदारनाथ आपदा की याद,,,।

कुल्लू मनाली :: ब्यास नदी के उफान में भी अडिग खड़ा रहा पंजवक्त्र महादेव मंदिर, लोगों को आई केदारनाथ आपदा की याद,,,।

हिमाचल में आई प्राकृतिक आपदा के बीच ब्यास नदी किनारे स्थिति पंजवक्त्र महादेव मंदिर का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में ब्यास नदी में आए जल प्रलय के बीच 800 साल पुराना पंजवक्त्र महादेव मंदिर अडिग खड़ा दिखाई दे रहा है। जिसके बाद से लोग इस वीडियो को शेयर कर केदारनाथ आपदा से इसकी तुलना कर रहे हैं।

मंडी: हिमाचल में आया जल प्रलय साल 2013 में उत्तराखंड में आई केदारनाथ आपदा की याद ताजा कर रहा है। हिमाचल में आए जल तांडव के बीच मंडी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें ब्यास नदी के तांडव के बीच मंडी शहर में सुकेती और ब्यास के संगम पर बना पंजवक्त्र मंदिर को आंच भी नहीं आई है। कुछ ऐसी ही तस्वीर साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई आपदा में देखने को मिली थी, जिसमें बादल फटने से पूरी केदारपुरी बह गई थी, लेकिन बाबा केदारनाथ मंदिर को आंच तक नहीं आई थी। इसी तरह ब्यास नदी में आये जल सैलाब में पंजवक्त्र मंदिर अडिग खड़ा दिखाई दिया. जो चर्चा का विषय हुआ।

बाढ़ में अडिग खड़ा रहा 800 साल पुराना पंजवक्त्र महादेव मंदिर

केदारनाथ आपदा की याद हुई ताजा

हिमाचल में आसमान से बरसती आफत से 28 सालों बाद ब्यास नदी ने एक बार फिर से रौद्र रूप धारण कर लिया। जिससे मंडी में हालात बद से बदत्तर हो गए हैं. 48 घंटे से ज्यादा बरसी इस आफत की बारिश से जहां सभी नदी नाले उफान पर थे तो, वहीं खतरे के निशान से कहीं ऊपर जाकर बह रही ब्यास अपने साथ सब कुछ बहा कर ले गई। जबकि ब्यास के तांडव के बीच मंडी शहर में सुकेती और ब्यास के संगम पर बना पंजवक्त्र मंदिर को आंच भी नहीं आई है। यह मंदिर आधे से ज्यादा ब्यास नदी में डूब गया था और इसका ऊपर का ही हिस्सा डूबने से बचा था। लारजी डैम प्रंबंधन के अनुसार करीब 2 लाख क्यूसिक पानी पर सेकंड पंडोह डैम से छोड़े जाने के बावजूद भी ब्यास नदी में उठी लहरें पंचवक्त्र का कोई नुकसान नहीं कर पाई। अब मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और केदारनाथ मंदिर से इसकी तुलना हो रही है।

ब्यास नदी में आई बाढ़ में डूबा पंजवक्त्र महादेव मंदिर

सोशल मीडिया रक पंजवक्त्र मंदिर का वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर लोग लगातार पंजवक्त्र मंदिर की तस्वीर शेयर करते हुए लिख रहे हैं कि सारा आधुनिक निर्माण धराशाई हो गया है, जबकि यह मंदिर टिका हुआ है। पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने भी सोशल मीडिया पर पंचवक्त्र महादेव मंदिर को लेकर एक पोस्ट शेयर की है। भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध यह मंदिर पुरानी मंडी और नए मंडी शहर के बीचोबीच ब्यास व सुकेती नदी के संगम पर है. ब्यास नदी के तट पर बना यह मंदिर हर मानसून सीजन में एक-दो बार आधे से ज्यादा जलमग्न हो जाता है।

 पंजवक्त्र महादेव मंदिर में आया मलबा

राजा अजबर सेन ने की पंचवक्त्र महादेव मंदिर की स्थापना
मान्यता है कि पंचवक्त्र महादेव मंदिर की स्थापना मंडी के शासक अजबर सेन ने की थी. मन मोहन की किताब 'हिस्ट्री ऑफ द मंडी स्टेट' में जिक्र है कि 1717 में ब्यास में आई बाढ़ में इस मंदिर को नुकसान पहुंचा और पंचमुखी शिव प्रतिमा बह गई. बाद में राजा सिद्ध सेन (शासनकाल 1684 से 1727) ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर नई प्रतिमा प्रतिष्ठित की, लेकिन पुरानी प्रतिमा का क्या हुआ ? यह आज तक रहस्य बना हुआ है. मंडी से कुछ किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे जोगिंद्र नगर के लांगणा क्षेत्र में पंचमुखी शिव मंदिर है. लोगों का कहना है कि यह प्रतिमा ब्यास नदी में बहकर आई थी. कई वर्षों तक यह मूर्ति खुले आसमान के नीचे ही रही. बाद में एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर इसे स्थापित किया गया. क्षेत्र में फैली किवदंतियों के अनुसार यह मूर्ति पंचवक्त्र महादेव मंदिर से ही बहकर वहां पहुंची थी, हालांकि इसके कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है।

 पंजवक्त्र महादेव मंदिर में पंचमुखी महादेव

ब्यास नदी ने मंडी और कुल्लू में मचाई तबाही बता दें कि करीब 3 दिन तक दिन तक हुए महाजल प्रलय में कुल्लू से लेकर मंडी जिला तक ब्यास नदी में भारी तबाही मचाई है. ब्यास नदी में आई बाढ़ के तांडव में कई पुल ध्वस्त हो गए. इस बारिश के कारण जिले में करोड़ों रुपए का नुकसान भी हुआ है. वहीं, इस जल प्रलय से पंचवक्त्र महादेव मंदिर के अंदर और बाहर मिट्टी और गाद भर गई है. हालांकि मंदिर की बाउंड्री वॉल की दीवारों को थोड़ा बहुत नुकसान जरूर पहुंचा है. बावजूद इसके पंजवक्त्र मंदिर और 1888 में बना विक्टोरिया पुल आज भी अडिग खड़ा है।